Saturday, August 6, 2011

एक थी चिड़िया..........

बचपन में अपनी मां से मैंने बहुत सारी कहानियां सुनी। उन कहानियों को मैं चाहकर भी नहीं भुला सकता। सारी कहानियों में बाल मनोविज्ञान साफ झलकता था, साथ ही जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष की क्या महत्ता हैं, वो भी साफ देखने को मिलता, ऐसे ही कुछ कहानियों में से एक हैं ---- एक थी चिड़िय़ा।


एक चिड़िया थी।
उसे कहीं से दाल मिला, वो दाल लेकर जैसे ही उड़ी, उसकी दाल किसी खूंटे में जा गिरी। वो खूंटे में फंसे दाल को निकालने की जुगत लगायी पर कोई जुगत काम नहीं आयी, अंत में वो एक बढ़ई के पास पहुंची और बोली................
बढ़ई – बढ़ई खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी का पीहीं,
का ले परदेस जायी।
बढ़ई बोला – एक दाल के लिए हम खूंटा चीड़ने जाये, नहीं जायेंगे। चिड़िया – बड़ी दुखी हुई, वो इसके बाद राजा के पास गयी और बोली –
राजा राजा बढ़ई दंड,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी का पीहीं,
का ले परदेस जायी।
राजा बोला – एक दाल के लिए, हम बढ़ई को दंडे, नहीं दंडेगे, जाओ यहां से। चिड़िया बड़ी दुखी हुई, वो रानी के पास गयी और बोली-------------
रानी रानी राज बुझाव,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा मे मोर दाल भात,
का खायी, का पीहीं,
का ले परदेस जायी।,
रानी बोली – कि एक दाल के लिए हम राजा को बुझावे, ऐसा नहीं होगा। जाओ यहां से। चिड़िया बड़ी दुखी हुई वो सर्प के पांस गयी और बोली ---
सर्प सर्प रानी डस,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी का पीहीं,
का ले परदेस जायी,
सर्प बोला – कि एक दाल के लिए रानी को डसने जाये, नहीं जायेंगे, जाओ, यहां से। चिड़िया बड़ी दुखी हुई वो लउर के पास गयी और बोली --
लउर- लउर सर्प पीट,
सर्प न रानी डसे,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी का पीही,
का ले परदेस जायी,
लउर बोला कि एक दाल के लिए हम सर्प पीटे, नहीं पीटेंगे, जाओ। चिड़िया बड़ी दुखी हुई, वो अब अपना दुखड़ा लेके भाड़ के पास गयी और बोली-------
भाड़ भाड़ लउर जार,
लउर न सर्प पीटे,
सर्प न रानी डसे,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी, का पीहीं,
का ले परदेस जायी,
भाड़ बोला कि एक दाल के लिए हम लउर जार दे, नहीं होगा। जाओ यहां से। चिड़िया समुंदर के पास गयी और बोली-------
समुंदर समुंदर भाड़ बुझाव,
भाड़ न लउर जारे,
लउर न सर्प पीटे,
सर्प न रानी डसे,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी का पीहीं,
का ले परदेस जायी,
समुंदर बोला कि एक दाल के लिए हम भाड़ बुझावे। नहीं बुझायेंगे, जाओ यहां से। चिड़िया इसके बाद हाथी के पास गयी और बोली -----------
हाथी हाथी, समुंदर सोख,
समुंदर न भाड़ बुझावे,
भाड़ न लउर जारे,
लउर न सर्प पीटे,
सर्प न रानी डसे,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी का पीहीं,
का ले परदेस जायी,
हाथी बोला कि एक दाल के लिए हम समुंदर सोखे। नहीं सोखेंगे। जाओ यहां से। फिर चिड़िया, जाल के पास गयी और बोली ------
जाल जाल, हाथी छान,
हाथी न समुंदर सोखे,
समुंदर न भाड़ बुझावे,
भाड़ न लउर जारे,
लउर न सर्प पीटे,
सर्प न रानी डसे,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी का पीहीं,
का ले परदेस जायी,
जाल बोला कि एक दाल के लिए हम हाथी छानें। नहीं छानेंगे, जाओ यहां से। चिड़िया बड़ी दुखी हुई वो चूहा के पास गयी।
चूहा चूहा जाल काट,
जाल न हाथी छाने,
हाथी न समुंदर सोखे,
समुंदर न भाड़ बुझावे,
भाड़ न लउर जारे,
लउर न सर्प पीटे,
सर्प न रानी डसे,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंड़े,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी, का पीहीं,
का ले परदेस जायी,
चूहा बोला कि एक दाल के लिए हम जाल काटे, नहीं जायेंगे, जाओ यहां से, चिड़िया बड़ी दुखी हुई, वो बिल्ली के पास गयी।
बिल्ली बिल्ली चूहा चाप
चूहा न जाल काटे,
जाल न हाथी छाने,
हाथी न समुंदर सोखे,
समुंदर न भाड़ बुझावे,
भाड़ न लउर जारे,
लउर न सर्प पीटे,
सर्प न रानी डसे,
रानी न राज बुझावे,
राजा न बढ़ई दंडे,
बढ़ई न खूंटा चीरे,
खूंटा में मोर दाल भात,
का खायी, का पीहीं,
का ले परदेस जायी।
बिल्ली बोली चिड़िया से बताओ चूहा कहां हैं, हम उसको चापेंगे।
फिर क्या था,
चूहा डरते हुए बोला,
कि हमरा के चापे, उपे मत कोई
हम जाल काट बलोई,
जाल बोला,
कि हमरा के काटे उटे मत कोई,
हम हाथी छान बलोई,
हाथी बोला,
कि हमरा के छाने उने मत कोई,
हम समुंदर सोख बलोई,
समुंदर बोला,
कि हमरा के सोखे उखे मत कोई,
हम भाड़ बुझाये बलोई,
भाड़ बोला,
कि हमरा के बुझावे उझावे मत कोई,
हम लउर जार बलोई,
लउर बोला,
कि हमरा के जारे उरे मत कोई,
हम सर्प पीट बलोई,
सर्प बोला,
कि हमरा के पीटे उटे मत कोई,
हम रानी डस बलोई,
रानी बोली,
कि हमरा के डसे उसे मत कोई,
हम राज बुझाये बलोई,
राजा बोला,
कि हमरा बुझावे, उझावे मत कोई,
हम बढ़ई दंड बलोई,
बढ़ई बोला,
कि हमरा के दंडे उंडे मत कोई,
हम खूंटा चीर बलोई,
खूंटा बोला,
कि हमरा के चीरे उरे मत कोई,
हम अपने से फांट बलोई,
इस प्रकार खूंटा फंट गया,
और चिड़िया अपना दाल लेकर उड़ गयी.......................

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