Wednesday, December 30, 2015

नया वर्ष अब आयेगा.............

नया वर्ष अब आयेगा
मुर्गा खूब कटायेगा...
बकरा पर बन आयेगा
न्यू इयर डे कहलायेगा...
एक दिन के लिए ही सही
सभी मस्त हो जायेगा...
कोई गरीब न रहेगा दुनिया में
सब टन टन हो जायेगा...
कंबल लेनेवाला और
कंबल देनेवाला...
एक ही होटल में बैठकर
साथ ही पैग बनायेगा...
ऐसा दिन देख के लोगों
जी मेरा भर जायेगा...
छोटे – छोटे कपड़ों में
डांस बार सज जायेगा...
एक ही नशा
नये साल का
ऐसा सब पर छा जायेगा...
एक ही रायफल से चलेगी गोली
धायं धायं हो जायेगा...
बुढ़ा-बुढ़िया जो ठंड कांप रहे
उसकी मस्ती चढ़ जायेगी...
होली आने में दो – तीन महीने
आज ही होली हो जायेगी...
कोई न होगा
छोटा बड़ा
सभी होंगे समान...
एक बोतल से दारु गटगट
सुबह होगी या शाम...
ऐसा ही भारत में
नया साल मनता है...
कौन कहता है
भूखा भारत
सभी झूठ कहता है...
अरे देखना है भारत की अमीरी
एक जनवरी को देखो...
सड़क पर ही नंगे हो गये
औरत-मर्द तुम देखो...

Tuesday, December 29, 2015

हेमंत का दिव्यज्ञान........

झारखण्ड का सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य, यहां एक से बढ़कर एक नेता है...
जब ये सत्ता में रहते हैं तब इनका दिव्यज्ञान घास चरने चला जाता है और जब विपक्ष में होते है तब इनका दिव्यज्ञान पुनः इनके मनमस्तिष्क में दिव्यता के साथ आ धमकता है...फिर जब ये देना शुरु करते है तो जैसे लगता है कि दुनिया की सारी बुद्धि गर किसी के पास हैं तो इन्हीं के पास है...।
जरा देखिये आज के अखबारों को, हेमंत सोरेन जो शिबू सोरेन के बेटे है, वहीं शिबू सोरेन जिन्होंने घूस लेकर कांग्रेस के नरसिम्हा राव सरकार को जीवनदान दिया था, वहीं शिबू सोरेन जो झारखण्ड बनने के क्रम में पहला मुख्यमंत्री बनने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चरण स्पर्श किये और गणेश परिक्रमा की थी, वहीं शिबू सोरेन जो कभी भाजपा के वोट से राज्यसभा भी पहुंचे थे, वहीं शिबू सोरेन जो अपने परिवार के सभी सदस्यों को राजनीति के माध्यम से उनका जीवन सफल करने में लगे रहते है, जिनके परिवार के सदस्यों के पीछे सीबीआई हमेशा लगी रहती है, वहीं शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने बयान दिया है कि खतियान हो स्थानीयता का आधार। मैं पूछता हूं – भैया हेमंत, जो स्थानीयता पर आज बयान दिये जा रहे हो, इसी प्रकार का बयान तो कभी कांग्रेस की विधायक गीताश्री उरांव ने दिये थे, जब आप मुख्यमंत्री थे। उस वक्त आपने स्थानीयता का मुद्दा क्यों नहीं हल किया? उस वक्त तो सत्ता आपके हाथ में थी...अगर आपकी सरकार इस मुद्दे पर चल भी जाती, फिर भी आप पूर्ण बहुमत में आते...। इसके बावजूद इस स्थानीयता के आग से खेलने की रुचि क्यों नहीं दिखाई? उस वक्त आप के आज का दिव्यज्ञान कहां चला गया था?
हे खतियान भक्त नेता हेमंत जी, आज आप जो अपने प्रिय हिमांशु शेखर चौधरी को झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के सहयोग से सूचना आयुक्त बनाया, क्या आप बता सकते हो कि राज्य के कितने आदिवासी बच्चों का इसी प्रकार आपने कल्याण कराया?, वह भी तब जबकि आप राज्य के मुख्यमंत्री थे। आप बता सकते हैं कि झामुमो के दिग्गज नेता हेमलाल मुरमू और सायमन मरांडी जैसे नेताओं को भाजपा का दामन क्यों पकड़ना पड़ा? आपके पिता और आपकी पार्टी तो के डी सिंह जैसे लोगों को महान बनाती है और कैसे बनाती है?, वो राज्य की जनता से छूपी हैं क्या?
जरा आप अपने पिता शिबू सोरेन से ही पूछिये कि आखिर क्या वजह है कि रघुवर सरकार की वे प्रशंसा करते नहीं थक रहे, आज भी अखबारों में आया कि शिबू ने रघुवर सरकार की प्रशंसा की और आप रघुवर दास की सरकार के खिलाफ दिये जा रहे है...कहीं कोई डीलिंग वाली बात तो नहीं हैं न...गर कोई डीलिंग करनी हैं और डीलिंग की राजनीति कर रहे हैं तो फिर तो बात ही नहीं करनी...क्योंकि झारखंड की राजनीति तो डीलिंग ही प्रधान है...। मैंने तो कई नेताओं और विधायकों को देखा कि वे सदन में और सदन के बाहर बाबू लाल मरांडी की आलोचना करते थे, और जब बाबू लाल मरांडी के मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचते थे, तो डीलिंग करने लगते थे, जिस पर बाबू लाल मरांडी हंस भी दिया करते थे और कहते थे कि यार राजनीति करनी है या झारखंड का विकास करना है... अच्छी तरह पहले सोच लो, तो फिर बात करो...
तो लगे हाथों आप भी बता ही दीजिये... कि स्थानीयता के खतियान वाले बयान से रघुवर सरकार को आप ब्लेकमेल कर रहे है या सचमुच आपको झारखंड के विकास की चिंता है...
हालांकि मैं जानता हूं कि आप को झारखंड के विकास की कितनी चिंता है? असली बात तो यह हैं कि आपको जो चाहिए, वो मिल गया... कम से कम कहने में आता हैं न कि आप राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री है...आपको विकास से क्या मतलब? और रही बात रघुवर दास सरकार के काम-काज की...। तो कम से कम आपकी सरकार से तो यह बेहतर ही काम कर रही है और इसका सर्टिफिकेट आपके पिताश्री शिबू सोरेन एक नहीं, दो बार दे चुके हैं...

यहां तो हर जगह विभीषण ही दिखता है भाई...

जब से रघुवर दास झारखंड के मुख्यमंत्री क्या बने ? भाजपा के वरिष्ठ नेता, स्वयं को भाजपा के थिंक टैंक कहनेवाले, नीतीश भक्त सरयू राय की नींद ही गायब है। कोई ऐसा समय ये नहीं चूकते, जिसमें वे रघुवर सरकार को कटघरे में न रखते हो। अब लीजिये कल की ही बात है। मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने आवास में अपना वार्षिक प्रगति रिपोर्ट पेश कर रहे थे और राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय जमशेदपुर में सिसक रहे थे, वे बता रहे थे कि राज्य में अभी तक कुछ नहीं हुआ, ये इस प्रकार बोल रहे थे, जैसे लगता हो कि अगर ये मुख्यमंत्री होते तो राज्य में निश्चय ही राम राज्य आ चुका होता...
भाई मुख्यमंत्री बनने का सपना देखना, कोई गलत बात नहीं, देखना चाहिए...। पर इससे भी अच्छा रहता कि जो आपको काम मिला, उसमें आप कार्य कर सिद्ध करते कि आप सबसे बीस हैं, उन्नीस नहीं। यहां तो काम न धाम और चले बाबाधाम वाली कहावत सिद्ध हो रही है। सरयू राय दिन प्रतिदिन इस बात को लेकर घूलते जा रहे है कि भाई छतीसगढ़ का आदमी झारखंड का मुख्यमंत्री और बिहार से आनेवाले तीव्रबुद्धि का आदमी, क्षत्रियकुलभूषण खाद्य आपूर्ति मंत्री, ये तो बड़े ही शर्म की बात है...
सच पूछिये तो कोई भी व्यक्ति तभी बड़ा बनता है, जब उसे कोई जिम्मेवारी दी जाती है और वो जिम्मेवारी को ईमानदारी पूर्वक निर्वहण करता है, यहां तो जिम्मेवारी का निर्वहण तो दूर, बस एक ही काम करना है, सरकार में रहकर सरकार को ही खोदते रहना है...कि ये नहीं किया, वो नहीं किया...और खुद कुछ नहीं करना है...
सच्चाई यह है कि राज्य में एक समय था कि श्रम मंत्री को कोई जानता नहीं था और न ही इस विभाग में दिलचस्पी लेता था, पर आज देखिये झारखंड का श्रम मंत्रालय का तू-ती बोल रहा है। विश्व बैंक ने संपूर्ण भारत में झारखंड के इस श्रम विभाग को पहले स्थान पर रखा है...बधाई दीजिये श्रम मंत्रालय संभाल रहे नवोदित युवा मंत्री राज पालिवार को जिसने वो कर दिखाया, जो कूबत किसी में नहीं थी...पर जरा सरयू राय के विभाग का हाल देखिये...100 प्रतिशत फिसड्डी। गर आज का प्रमुख अखबार पढ़िये तो पता लग जायेगा कि सरयू राय ने जो विभाग संभाला है, उसकी सही स्थिति क्या है?
मेरा मानना है कि आखिर जो गलत कार्य आप कर रहे हैं, जिसके कारण राज्य सरकार की छवि खराब हो रही है, उसकी जिम्मेवारी मुख्यमंत्री या सरकार पर न देकर खुद इसे स्वीकार करते हुए, सरयू राय को मंत्रिमंडल से अलग हो जाना चाहिए और नीतीश की पार्टी में शामिल होते हुए, जदयू को मजबूत करना चाहिए...क्योंकि ऐसे भी जदयू में बहुत सारे पद झारखंड के लिए खाली है। नीतीश ऐसे भी सरयू राय को बहुत मानते है, प्यार करते है, जरुर ही कृपा लूटायेंगे, ठीक उसी प्रकार जैसे क्षत्रियकुलभूषण, प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश पर लूटाया...तो सरयू देर क्यों कर रहे है... हमें समझ में नहीं आ रहा...यही मौका है मुख्यमंत्री बनने के लिए सही निर्णय लेने का।

Monday, December 28, 2015

कहीं मोदी जी, जवाब कर न लगा दें...........

एक स्कूल में...
मैडम – बच्चों से,
बच्चों बताओं भाजपा व कांग्रेस के शासनकाल में क्या समानता है?
बच्चे – मैडम,
1. कांग्रेस राहुल और राबर्ट वाड्रा के लिए काम करती है और भाजपा अंबानी और अडानी के लिए...
2. कांग्रेस ने भी महंगाई का रिकार्ड बनाया, और भाजपा ने भी रहर दाल और तेल के माध्यम से महंगाई का रिकार्ड बना चुकी है...
3. कांग्रेस के समय भी पाकिस्तान भारत को लतियाता था, उसके वीर बांकुड़ों का सर काट कर ले जाता था फिर भी कांग्रेस के लोग पाकिस्तान की जय-जय करते थे, आज भाजपा के समय भी पाकिस्तान हर बार सीज फायर का उल्लंघन कर भारत को लतियाता है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवाज शरीफ के मां का चरण छू कर गदगद हो जाते है...
4. कांग्रेस भ्रष्टाचार के कारण ही गयी, भाजपा भी जायेगी, क्योंकि अरुण जेटली जैसे लोगों ने भाजपा को मिट्टी में मिलाने के लिए हर संभव कार्य करना प्रारंभ कर दिया है...
5. कांग्रेस शासनकाल में कांग्रेसी अपने कार्यकर्ताओं को अपने पास फटकने नहीं देते थे और उन्हें गरियाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे तथा अपने चापलूसों और चरणोदक पीनेवालों को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते थे, अब भाजपावाले भी उसी का अनुसरण कर रहे है...
6. और सबसे बड़ी बात कांग्रेस में भी अनुशासनहीनता का रिकार्ड बनानेवालों की कोई कमी नहीं, ठीक उसी प्रकार भाजपा में भी अनुशासनहीनता का रिकार्ड तोड़नेवालों की कोई कमी नहीं...
मैडम – वाह बच्चों, तुमने सही उत्तर दिये...
तुम्हें मिलते है, दस में दस अंक...
मैडम – बच्चों से, एक और सवाल...
क्या अच्छे दिन आ गये?
बच्चे – जी हां...अच्छे दिन आ गये...
भाजपा शासित राज्यों में अंबानी और अडानी के समूह उदयोग लगा रहे है, और उन्हें हर प्रकार की सुविधा मिल रही है और जनसामान्य दो रोटी के लिए तरस रही है...
रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेलयात्रियों को सब्जबाग दिखाकर प्रतिदिन लूट रहे हैं कभी सुरक्षा व स्वच्छता के नाम पर तो कभी तत्काल टिकट के दाम बढ़ाकर, यानी जनसामान्य तो अब रेल का नाम सुनते ही डर जाती है, ये कहकर कि पता नहीं कब रेलमंत्री जेबकतरे की तरह आसानी से उनके पाकेट से रुपये निकाल लें और वे देखते रह जाये...
बच्चे – मैडम अब छोड़ दीजिये, और सवाल मत पूछिये, नहीं तो हो सकता है कि जवाब देने पर भी मोदी भाई, सेवा कर के जैसा, जवाब कर न वसूलने लगे...
शिक्षक – हा हा हा हा...................

Monday, December 14, 2015

गुड़ खाये पर गुलगुल्ले से परहेज...........

गुड़ खाये पर गुलगुल्ले से परहेज...
वे गुड़ खुब खाते हैं...
पर गुलगुल्ले से परहेज करते हैं...
खुद के अखबारों में अपना नाम नहीं छपवाते हैं...
नाम क्या पद भी नहीं दिलवाते हैं...
शायद खुद को इससे चरित्रवान शो करते हैं...
पर कभी – कभी...
खुद के ही अखबारों से निकलनेवाले किताबों में...
एडिटर इन चीफ बन धूम मचाते हैं...
टीवी में अपनी सुविधानुसार कभी नेता...
तो कभी पत्रकार बन जाते हैं...
राज्य सरकार की दूरभाष – निर्देशिका में...
अखबार के प्रधान के रुप में दीख जाते हैं...
खुद को जेपी व चंद्रशेखर के चेले के रुप में...
दिखलाने का खुब यत्न करते हैं...
अरे क्या कहूं...
आजकल जनाब...
गुड़ खुब खाते हैं...
पर गुलगुल्ले से परहेज करते हैं...

Friday, December 11, 2015

अरविंद और नरेन्द्र मोदी में बेशर्म कौन............

अरविंद और नरेन्द्र मोदी में बेशर्म कौन ?
हमारे देश में बेशर्मों की कमी नहीं, उन्हीं बेशर्मों में से एक है –अरविंद केजरीवाल। ईमानदारी का ढोल पीटकर, दिल्ली की 70 सीटों में से 67 सीटों पर कब्जा कर लिया और अपने 67 विधायकों का वेतन 400 फीसदी बढ़ा लिया। क्या अरविंद केजरीवाल बता सकता है? कि उसने अपने राज्य के कर्मचारियों और कामगारों को 400 फीसदी वेतन बढ़ायी, जैसा कि खुद के लिए कर लिया...उत्तर होगा नहीं। क्या दिल्ली में आम आदमी की हैसियत बढ़ी? अगर नहीं बढ़ी तो फिर अरविंद केजरीवाल किस हैसियत से अपना और अपने मातहतों विधायकों का जीवन स्तर सुधारने के लिए स्वयं के वेतन में अप्रत्याशित वृद्धि कर ली।
यह है 100 प्रतिशत सत्ता का चरित्र...सत्ता खुद को ईमानदार घोषित करने से मिलती है और जब सत्ता मिल जाये तो अपने परिवारों और अपने शुभचिंतकों का ख्याल रखों, जनता जाये भाड़ में....और मजाक उड़ाओ, उनका जो कभी तुम्हारा मजाक उड़ाया करते थे, ये कहकर कि रह गये न...
ये है हमारे देश के नये – नये नेता अरविंद केजरीवाल, कभी बोलता था कि उसकी पार्टी आम आदमी की पार्टी है, इसलिए पार्टी का नाम रखा – आम आदमी पार्टी। जरा पूछो अरविंद केजरीवाल से कि क्या आम आदमी की सैलरी उतनी है?, जितनी उसकी है...क्योंकि वो तो आम आदमी का नेता है...
जब कथनी और करनी में अंतर होता है, तभी भ्रष्टाचार का जन्म होता है। भ्रष्टाचार केवल धन लोलुपता ही नहीं, भ्रष्टाचार आचरण की मर्यादा को तोड़ना भी है, पर हम ऐसे घटियास्तर के नेताओं से उसकी आचरण की मर्यादा के बारे में भी बात नहीं कर सकते, क्योंकि ज्यादा दिनों की बात नहीं है, वो हाल ही में भ्रष्टाचार शिरोमणि सजायाफ्ता लालू प्रसाद के भी गले मिल चुका है, शायद वो दिखलाना चाहता हो कि लालू तुम क्या जानते हो? भ्रष्टाचार में हम तुम्हारे भी बाप सिद्ध होंगे। सत्ता का स्वाद भी चखेंगे, खूब पैसे भी कमायेंगे, जनता को लूटेंगे भी, फिर आनन्द से उपर भी जायेंगे और बाद में दिल्ली या देश की सड़कों पर अपनी मूर्ति बनवाकर सदा के लिए खुद को पूजवायेंगे भी...
लेकिन इस के विपरीत सत्ता में ही रहकर सत्ता का सुख लेने से वंचित त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार को देखिये, इन सबसे अलग उन्हें क्या करना है?, वे करते जा रहे है?
ठीक उसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देखिये, उनके उपर लगातार छीटाकशीं व हमले जारी हैं, पर इनसे बेफिक्र, वे देश सेवा में लगे है, हालांकि नरेन्द्र मोदी की सत्ता जल्द समाप्त हो, इसके लिए तो कांग्रेस के कई नेता पाकिस्तान जाकर नवाज शरीफ के तलवे तक चाट चूके है, ऐसे –ऐसे बयान दिये है, जिसे पढ़ व सुनकर शर्म महसूस होती है कि ऐसे नेता इस भारत में ही क्यों पैदा होते है?, अन्य जगहों पर क्यों नहीं? कुछ दिनों पूर्व, एक कांग्रेसी ने नेपाल संकट पर जो बयान दिया, उस बयान से एक बात फिर पुष्ट हो गयी कि कांग्रेस सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है, पर फिलहाल उसका वश नहीं चल रहा...
दूसरी ओर जरा अरविंद केजरीवाल का बड़बोलापन देखिये, अपने प्रधानमंत्री का किस प्रकार मजाक उड़ाते है...विधानसभा में अपने मंत्रियों और विधायकों की सैलरी में 400 फीसदी का इजाफा करनेवाले अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर उनकी सैलरी को लेकर उनका मजाक उड़ाया था। कहा था कि ओबामा यदि मोदी से उनकी सैलरी पूछेंगे, तो क्या बतायेंगे कि उन्हें 1.60 लाख रुपये मिलते है। मोदी जी को अपनी सैलरी बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक कर लेनी चाहिए...पर शायद अरविंद केजरीवाल और उनके पिछलग्गूओं को पता नहीं कि...
देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा व्यक्तित्व कहीं नहीं...
अरविंद जान लो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में और उनके वेतन के बारे में...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ज्यादातर सैलरी दान कर देते है।
गुजरात के सीएम थे, तब भी ऐसा ही करते थे।
गुजरात से दिल्ली चले, तो 21 लाख रुपये गुजरात की बेटियों के नाम कर दिया, ताकि वह पढ़े और आगे बढ़े।
इस महीने की तनख्वाह चेन्नई में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए देंगे।
मई में अपने हिस्से की सैलरी नेपाल पीड़ितों के नाम की थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टेक होम सैलरी भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी कम है। मनमोहन सिंह की टेक होम सैलरी करीब 48,000 रुपये होती थी।
अब निर्णय जनता करें...
कि बेशर्म और बदतमीज कौन है?
अरविंद केजरीवाल या नरेन्द्र मोदी?

Friday, December 4, 2015

परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना ने प्रभात खबर को धूल चटाया...............

परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना ने प्रभात खबर को धूल चटाया...
इसे कहते है, नहले पे दहला...
प्रभात खबर अखबार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी इतनी भद्द पीटेगी, पर ये तो सत्य है, उसकी भद्द पिटी है, और वह भी अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का के द्वारा, जब बलमदीना एक्का ने प्रभात खबर के इस नौटंकी पर ही यह कहकर विराम लगा दिया कि ये मिट्टी मेरे शहीद पति की ही है यह मैं कैसे मान लूं। मैं इसे छुऊंगी भी नहीं...
अलबर्ट एक्का के बेटे विनसेंट एक्का का कहना था कि बाबा की मिट्टी आ रही है हमन के जानकारी नखे...
क्या बात है?
हर जगह राजनीतिबाजी...
और इस बार राजनीतिबाजी कर दी, रांची से प्रकाशित प्रभात खबर ने, वह भी परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर...
फिलहाल हम आपको बता दें कि सच्चाई यहीं हैं कि बलमदीना एक्का ने प्रभात खबर द्वारा आयोजित और राज्य सरकार द्वारा प्रभात खबर को अप्रत्यक्ष रुप से समर्थित इस कार्यक्रम में लाए गये माटी को अस्वीकार कर दिया और फिलहाल ये माटी गुमला के उपायुक्त के पास रख दी गयी है...
इतना होने के बावजूद भी प्रभात खबर का घमंड टूटा नहीं है...उसने आज भी अपने किये पर पर्दा डालने की झूठी कोशिश की है, जबकि सभी अखबारों ने उसके झूठ की पोल खोलकर रख दी है...
जरा गौर करिये...
रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान ने हेडिंग दी – “कलश लेने से किया इनकार”
दैनिक जागरण ने हेडिंग दी – “समाधि की मिट्टी लेने से परिजनों का इनकार”
दैनिक भास्कर ने लिखा – “ये मिट्टी मेरे शहीद पति की ही है यह मैं कैसे मान लूं। मैं इसे छुऊंगी भी नहीं”
और प्रभात खबर ने लिखा – मुख्यमंत्री ने शहीद अलबर्ट एक्का की पवित्र मिट्टी सौंपी – अरे यार किसको सौपी ये तो बताओ, यानी झूठ पर झूठ...
एक बार फिर प्रभात खबर ने दूसरा झूठ छापा, आज का प्रथम पृष्ठ देखिये –जिसमें लिखा है – अलबर्ट एक्का चौक से सुबह सात बजे उपायुक्त और एसएसपी ने किया सजे रथ को रवाना और इसी का संवाददाता पृष्ठ 11 पर लिखा है कि डीसी और एसएसपी ने सुबह 8 बजे रथ को रवाना किया, वह भी उस हालात में, जबकि प्रभात खबर निवेदक बना हुआ था...ये सारा कार्य उसी के द्वारा चलाया जा रहा था...तब ये हालात है इस अखबार के, खुद को लिखता है, अखबार नहीं आंदोलन...ये कैसा आंदोलन चला रहा है भाई...भगवान ही मालिक है इस अखबार का...खुद निवेदक होता है और जहां से रथ रवाना होता है, जहां रथ की सबसे पहले स्वागत होनी चाहिए, पुष्पवृष्टि करनी चाहिए, वहां से इसकी पूरी टीम ही गायब रहती है...
हे ईश्वर, इस अखबार के प्रधान संपादक, कारपोरेट एडीटर, कार्यकारी संपादक और संपादक को सद्बुद्धि दें, पर उसे सद्बुद्धि मिलेगी कैसे? उसका तो प्रधान संपादक महागठबंधन के नेताओं का पूजा-अर्चना करने में लगा है...

Thursday, December 3, 2015

प्रभात खबर के इस आचरण को देख अलबर्ट एक्का भी शरमा गये होंगे....

आज सुबह आंख खुलते ही, प्रभात खबर अखबार पर नजर पड़ी...
प्रभात खबर ने निवेदन किया था...
“फूल बरसाइए
शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि की पवित्र मिट्टी तीन दिसम्बर को रांची से जब जारी गांव (गुमला) की ओर बढ़ेगी, जगह-जगह पर आप कलश पर फूल बरसा कर अपने नायक का सम्मान करें.
निवेदक
प्रभात खबर”
यात्रा का समय भी दिया गया था...
सुबह 7 बजे
अलबर्ट एक्का चौक से प्रस्थान...
पर क्या आप जानते है?
कि जिस प्रभात खबर अखबार ने निवेदन किया था, उसका एक भी आदमी रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर मौजूद नहीं था, वह भी तब, जब रांची के अलबर्ट एक्का चौक से रथ प्रस्थान करनेवाला था, यहीं नहीं रथ की अगुवानी करने की दिलचस्पी भी इन प्रभात खबर वालों ने नहीं दिखाई यानी
फूल बरसाने का निवेदन करनेवाला, खुद ही फूल बरसाने से अपने आप को अलग कर लिया था...शायद उसे सुबह में ठंड लगने का खतरा था या देर से उठने की आदत, मुझे समझ नहीं आया...
मैं पूछता हूं, प्रभात खबर के प्रधान संपादक से, कि जहां कारपोरेट एडीटर, कार्यकारी संपादक और संपादक यानी संपादकों की ही लंबी फौज रखने की परंपरा है वहां इनमें से किसी एक संपादक या आपके यहां कार्यरत अन्य लोगों में से किसी एक व्यक्ति को छुट्टी नहीं थी कि वो रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर शहीद अलबर्ट एक्का की माटी का सम्मान करें...अरे आप निवेदनकर्ता थे, निवेदक थे, कम से कम इसका तो ख्याल रखना चाहिए था आपको...
आज ही देखिये आपके कार्यकारी संपादक अनुज कुमार सिन्हा ने क्या लिखा है – “छोटी और ओछी राजनीति, आलोचना, नकारात्मकता से समाज का भला नहीं होता. यह शहीद की समाधि की माटी है. इसकी पवित्रता को समझें और नमन करें. कर्म और दायित्व को प्रमुखता दें”
अनुज जी, झारखंड की जनता कर्म और दायित्व को प्रमुखता देने के अपने संकल्प को हृदय से लगाकर रखती है, उसे आपके ज्ञान की जरुरत नहीं...
जरुरत तो आप जैसे प्रभात खबर में कार्य कर रहे उच्च स्थानों पर बैठे लोगों को है, जो शहीद अलबर्ट एक्का चौक की आड़ में प्रभात खबर को चमकाने में लगे है... जो शर्मनाक है...
खुशी इस बात की है कि यहां की जनता जाग चुकी है...शायद यहीं कारण है कि आपके इस निवेदन की कम से कम रांची की जनता ने अनसुनी कर दी...शायद उसे पता था कि जो निवेदन किया है, वो खुद ही नहीं होगा...तो ऐसे जगह जाने से क्या मतलब...अलबर्ट एक्का तो हृदय में रहते है...उन्हें हमेशा नमन है...दुनिया को दिखाने की क्या जरुरत...
शायद यहीं कारण भी रहा कि अलबर्ट एक्का चौक पर जब रथ आया तो उस पर पुष्पांजलि देने के लिए तीन ही हाथ बढ़े, दो आदिवासी महिलाओं के और एक भाजपा नेता प्रेम मित्तल के...चौथा मैं ढूंढता रहा कोई नहीं मिला और खोजा प्रभात खबर के उन कर्णधारों को भी, जो पिछले कुछ दिनों से अलबर्ट एक्का के नाम पर प्रभात खबर – प्रभात खबर का ढिंढोरा पीट रहे थे... पर वे रांची से गायब थे, मैंने पूछा आखिर क्यों...तो एक पत्रकार ने मजाक में कहा कि बड़ा ठंडा है न और अखबार में रात में बहुत काम रहता है...इसलिए रांची में ये महापुरुष नहीं दिखेंगे, ये सभी महापुरुष है, इसलिए जारी गांव में मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ दीखेंगे...क्योंकि कल ही तो मुख्यमंत्री ने कहा था कि पत्रकारिता प्रभात खबर जैसी करनी चाहिए...और फिर वह ठठा कर हंसने लगा...
सचमुच अलबर्ट एक्का के नाम पर जिस प्रकार लोगों का भावनात्मक शोषण प्रभात खबर ने किया है...हमें लगता है कि इसे देख स्वर्ग में बैठे अलबर्ट एक्का भी शरमा गये होंगे...

Wednesday, December 2, 2015

अरे वाह नीतीश भाई......

अरे वाह नीतीश भाई...
बहुत बढ़िया सरकार चला रहे है...
इसी तरह आप सरकार चलाते रहे, तो बिहार सचमुच बहुत आगे निकल जायेगा...
कल पता चला कि आपको सहयोग दे रहा, आपका बड़ा भाई लालू प्रसाद अपनी पत्नी रावड़ी देवी को विधानमंडल दल का नेता बना दिया है और अपने दोनों बेटों को तो पहले ही मंत्रियों की श्रेणी में लाकर खड़ा दिया, जिसकी अवहेलना करने की आप में ताकत ही नहीं थी...
आज पता चला कि अभी तो आपकी सरकार बने दो हफ्ते भी नहीं हुए और अपराधियों ने अब तक पूरे बिहार में आधे दर्जन बैंक लूट लिए...
कल कटिहार में बंगाल से आये एक मक्का व्यापारी को लूट लिया...
शायद ये लूट का क्रम तब तक चलता रहेगा, जब तक आपके जीते हुए विधायक और मंत्रियों का समूह सामाजिक न्याय नहीं ला देता और इसके तहत अपनी गरीबी नहीं समाप्त कर लेता...
यहीं नहीं अपराधियों ने तो जमुई से भगवान महावीर की अतिप्राचीन और बेशकीमती मूर्ति भी लूट ली...
और
बधाई इसके लिए भी आपके एक विधायक के समर्थकों ने तो भागलपुर के जिला मुख्यालय में तैनात डीएसपी को ही गंगा में फेंक देने की कोशिश की
और राजद के एक विधायक ने तो एक पुलिसकर्मी को ही ठिकाने लगाने की बात कर दी...
बस अब क्या...
सामाजिक न्याय आ गया...
प्रभात खबर के प्रधान संपादक और जदयू के सांसद हरिवंश का सपना साकार हो गया...