Tuesday, December 29, 2015

हेमंत का दिव्यज्ञान........

झारखण्ड का सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य, यहां एक से बढ़कर एक नेता है...
जब ये सत्ता में रहते हैं तब इनका दिव्यज्ञान घास चरने चला जाता है और जब विपक्ष में होते है तब इनका दिव्यज्ञान पुनः इनके मनमस्तिष्क में दिव्यता के साथ आ धमकता है...फिर जब ये देना शुरु करते है तो जैसे लगता है कि दुनिया की सारी बुद्धि गर किसी के पास हैं तो इन्हीं के पास है...।
जरा देखिये आज के अखबारों को, हेमंत सोरेन जो शिबू सोरेन के बेटे है, वहीं शिबू सोरेन जिन्होंने घूस लेकर कांग्रेस के नरसिम्हा राव सरकार को जीवनदान दिया था, वहीं शिबू सोरेन जो झारखण्ड बनने के क्रम में पहला मुख्यमंत्री बनने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चरण स्पर्श किये और गणेश परिक्रमा की थी, वहीं शिबू सोरेन जो कभी भाजपा के वोट से राज्यसभा भी पहुंचे थे, वहीं शिबू सोरेन जो अपने परिवार के सभी सदस्यों को राजनीति के माध्यम से उनका जीवन सफल करने में लगे रहते है, जिनके परिवार के सदस्यों के पीछे सीबीआई हमेशा लगी रहती है, वहीं शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने बयान दिया है कि खतियान हो स्थानीयता का आधार। मैं पूछता हूं – भैया हेमंत, जो स्थानीयता पर आज बयान दिये जा रहे हो, इसी प्रकार का बयान तो कभी कांग्रेस की विधायक गीताश्री उरांव ने दिये थे, जब आप मुख्यमंत्री थे। उस वक्त आपने स्थानीयता का मुद्दा क्यों नहीं हल किया? उस वक्त तो सत्ता आपके हाथ में थी...अगर आपकी सरकार इस मुद्दे पर चल भी जाती, फिर भी आप पूर्ण बहुमत में आते...। इसके बावजूद इस स्थानीयता के आग से खेलने की रुचि क्यों नहीं दिखाई? उस वक्त आप के आज का दिव्यज्ञान कहां चला गया था?
हे खतियान भक्त नेता हेमंत जी, आज आप जो अपने प्रिय हिमांशु शेखर चौधरी को झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के सहयोग से सूचना आयुक्त बनाया, क्या आप बता सकते हो कि राज्य के कितने आदिवासी बच्चों का इसी प्रकार आपने कल्याण कराया?, वह भी तब जबकि आप राज्य के मुख्यमंत्री थे। आप बता सकते हैं कि झामुमो के दिग्गज नेता हेमलाल मुरमू और सायमन मरांडी जैसे नेताओं को भाजपा का दामन क्यों पकड़ना पड़ा? आपके पिता और आपकी पार्टी तो के डी सिंह जैसे लोगों को महान बनाती है और कैसे बनाती है?, वो राज्य की जनता से छूपी हैं क्या?
जरा आप अपने पिता शिबू सोरेन से ही पूछिये कि आखिर क्या वजह है कि रघुवर सरकार की वे प्रशंसा करते नहीं थक रहे, आज भी अखबारों में आया कि शिबू ने रघुवर सरकार की प्रशंसा की और आप रघुवर दास की सरकार के खिलाफ दिये जा रहे है...कहीं कोई डीलिंग वाली बात तो नहीं हैं न...गर कोई डीलिंग करनी हैं और डीलिंग की राजनीति कर रहे हैं तो फिर तो बात ही नहीं करनी...क्योंकि झारखंड की राजनीति तो डीलिंग ही प्रधान है...। मैंने तो कई नेताओं और विधायकों को देखा कि वे सदन में और सदन के बाहर बाबू लाल मरांडी की आलोचना करते थे, और जब बाबू लाल मरांडी के मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचते थे, तो डीलिंग करने लगते थे, जिस पर बाबू लाल मरांडी हंस भी दिया करते थे और कहते थे कि यार राजनीति करनी है या झारखंड का विकास करना है... अच्छी तरह पहले सोच लो, तो फिर बात करो...
तो लगे हाथों आप भी बता ही दीजिये... कि स्थानीयता के खतियान वाले बयान से रघुवर सरकार को आप ब्लेकमेल कर रहे है या सचमुच आपको झारखंड के विकास की चिंता है...
हालांकि मैं जानता हूं कि आप को झारखंड के विकास की कितनी चिंता है? असली बात तो यह हैं कि आपको जो चाहिए, वो मिल गया... कम से कम कहने में आता हैं न कि आप राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री है...आपको विकास से क्या मतलब? और रही बात रघुवर दास सरकार के काम-काज की...। तो कम से कम आपकी सरकार से तो यह बेहतर ही काम कर रही है और इसका सर्टिफिकेट आपके पिताश्री शिबू सोरेन एक नहीं, दो बार दे चुके हैं...

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