गुड़ खाये पर गुलगुल्ले से परहेज...
वे गुड़ खुब खाते हैं...
पर गुलगुल्ले से परहेज करते हैं...
खुद के अखबारों में अपना नाम नहीं छपवाते हैं...
नाम क्या पद भी नहीं दिलवाते हैं...
शायद खुद को इससे चरित्रवान शो करते हैं...
पर कभी – कभी...
खुद के ही अखबारों से निकलनेवाले किताबों में...
एडिटर इन चीफ बन धूम मचाते हैं...
टीवी में अपनी सुविधानुसार कभी नेता...
तो कभी पत्रकार बन जाते हैं...
राज्य सरकार की दूरभाष – निर्देशिका में...
अखबार के प्रधान के रुप में दीख जाते हैं...
खुद को जेपी व चंद्रशेखर के चेले के रुप में...
दिखलाने का खुब यत्न करते हैं...
अरे क्या कहूं...
आजकल जनाब...
गुड़ खुब खाते हैं...
पर गुलगुल्ले से परहेज करते हैं...
वे गुड़ खुब खाते हैं...
पर गुलगुल्ले से परहेज करते हैं...
खुद के अखबारों में अपना नाम नहीं छपवाते हैं...
नाम क्या पद भी नहीं दिलवाते हैं...
शायद खुद को इससे चरित्रवान शो करते हैं...
पर कभी – कभी...
खुद के ही अखबारों से निकलनेवाले किताबों में...
एडिटर इन चीफ बन धूम मचाते हैं...
टीवी में अपनी सुविधानुसार कभी नेता...
तो कभी पत्रकार बन जाते हैं...
राज्य सरकार की दूरभाष – निर्देशिका में...
अखबार के प्रधान के रुप में दीख जाते हैं...
खुद को जेपी व चंद्रशेखर के चेले के रुप में...
दिखलाने का खुब यत्न करते हैं...
अरे क्या कहूं...
आजकल जनाब...
गुड़ खुब खाते हैं...
पर गुलगुल्ले से परहेज करते हैं...
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