शनिवार की सायं सात बजे....सीएम आवास पर नीतीश अपने मंत्रिमंडल और राज्य के वरीय अधिकारियों के साथ थाली पीट रहे थे...इस थाली पीटने की आवाज को, वो दिल्ली तक पहुंचाना चाहते थे पर शायद उन्हें मालूम नहीं कि उनकी थाली पीटने की आवाज पटना की गलियों तक भी नहीं पहुंच पायी........। ये बाते मैं इसलिए लिख रहा हूं कि इनके प्रदेश कार्यालय में जहां थाली पीटी जा रही थी...वहीं के कई जेडीयू कार्यकर्ताओं को पता नहीं था कि ये थाली पीटी क्यूं जा रहीं हैं। हांलांकि नीतीश ने पूरे बिहारवासियों से थाली पीटने की गुजारिश की थी...पर ये थाली पीटने का कार्यक्रम जेडीयू का कार्यक्रम बन कर रह गया....बिहार की जनता की भागीदारी न के बराबर रही.....। याद करिये वो जमाना....जब पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भारत की जनता से अपील की थी और उस अपील को भारतीय जनता ने स्वीकार किया और उसके अनुरुप कार्य भी किया.....। पर नीतीश की ये अपील को बिहार की जनता ने पूरी तरह नकार दिया......। आज नीतीश ने सत्याग्रह की घोषणा के साथ - साथ बिहार बंद का ऐलान किया था. अपने बयान में ये भी कहा था कि उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे पर जोर - जबर्दस्ती नहीं करेंगे.....पर उनके कार्यकर्ताओं ने किस प्रकार की गुंडागर्दी की..आगजनी की...किसी से छूपा नहीं हैं....। नीतीश के बंद को सफल बनाने के लिए तो पुलिसकर्मी भी आतुर दीखे....कई जगहों पर पुलिसकर्मियों ने खुद ही रस्सा बांध दिया...ताकि सड़कों पर आवागमन बाधित हो जाय। मैं नीतीश से अपील करुंगा...कि ऐसे पुलिसकर्मियों को वे महिमामंडित करें, पुलिस पदक दिलाये क्योंकि इन्होंने जेडीयू धर्म का पालन किया हैं......।
नीतीश का बिहार बंद हैं....पर आम जनता कहीं नहीं दिख रही.... इनके पैसों से कुकुरमुत्ते की तरह उगे कार्यकर्ता सड़कों पर कुछ जगह दीखे और टायर जलाया....नीतीश जिंदाबाद के नारे लगाये और गायब हो गये.......। आम जनता कहीं इनके बंद में शामिल नहीं दिखी....। कहने को तो नीतीश और नीतीश भक्त पत्रकार ये भी कहेंगे कि बिहार बंद सफल रहा.......क्योंकि आज स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय, केन्द्र सरकार के कार्यालय, राज्य सरकार के कार्यालय, व्यापारिक प्रतिष्ठान, बैंक आदि सभी बंद रहे पर ये नहीं कहेंगे कि आज रविवार भी हैं.....क्योंकि बेशर्मों को भी शर्म होती हैं क्या..............
कमाल है, जब बिहार का बंटवारा हुआ था तब राबड़ी ने भी बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग की थी...तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बिहार को विशेष दर्जा देने को तैयार भीॉ थे पर खुद नीतीश अड़ंगा डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी...ये बात सभी जानते हैं पर आज सीमांध्र और तेलंगाना दो राज्य अस्तित्व में आये हैं और केन्द्र ने सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया तो ये इस मुद्दे को बिहार के विशेष राज्य के मुद्दे से जोड़कर देखना और दिखाना चाह रहे हैं....यानी कड़वा - कड़वा थू - थू और मीठा - मीठा चप - चप। नीतीश को ये नहीं भूलना चाहिए कि त्रेतायुग में रावण था..जिसको बहुत घमंड था, क्योंकि उसे लगता था कि उसका साम्राज्य सुर और असुर लोकों मेंं हैं, कौन हैं जो उससे भयभीत नहीं हैं...पर उसका भी घमंड ज्यादा दिनों तक नहीं रहा.....। यहीं नहीं एक समय इसी बिहार में लालू यादव को भी घमंड हो गया था....आज लालू की क्या स्थिति हैं वो किसी से छुपा नहीं हैं....ऐसे भी जब सत्ता में कोई आता हैं तो उस पर सत्ता का नशा कुछ ज्यादा ही छा जाता हैं और इसी नशे में वो हर प्रकार की हरकतें करता हैं, जिसकी इजाजत धर्म नहीं देता...नीतीश अभी उसी सत्ता के नशे में चूर हैं....बस अब ज्यादा देर नहीं...उनका नशा जल्द ही उतरनेवाला हैं....क्योकि लोकसभा का चुनाव सर पर हैं और बिहार की जनता नीतीश को सबक सिखाने के लिए बस मौके का इंतजार कर रही हैं....फिर क्या...नीतीश का घमंड स्वाहा...उसका बड़बोलापन स्वाहा...........
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