प्रधानमंत्री, कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री और
गृह मंत्री जवाब दें................
आखिर SSC इलाहाबाद में धांधली कब तक चलती रहेंगी............
आखिर बिहार के हिमांशु जैसे अभ्यर्थियों का शिकार
कर्मचारी चयन आयोग इलाहाबाद कब तक करता रहेगा..........................
आखिर हिमांशु जैसे अभ्यर्थियों को न्याय कब
मिलेगा......................
केन्द्र में सरकार बदल गयी पर हिमांशु जैसे
अभ्यर्थियों को उसका ऐहसास कब होगा....................
अच्छे दिन आनेवाले हैं – के नारे का ढिंढोरा
पिटनेवाले लोग बताये कि प्रधानमंत्री कार्यालय में जो सूचना के अधिकार से संबंधित
सूचना देने के लिए कार्यालय खोले गये हैं, वो कार्यालय सहीं मायने में काम करना कब
शुरु करेगा, कब सूचनाएं देना शुरु करेगा, क्योंकि मैं महसूस कर रहा हूं कि ये
कार्यालय बहुत ही आसानी से सूचना के अधिकार अधिनियम 6(3) का सहारा लेकर संबंधित
विभाग को अंतरित कर देता हैं, फिर वो विभाग तब तक निष्क्रिय रहता हैं, जब तक उसे
प्रथम अपीलीय पत्र का मजमून न मिल जाये, फिर वो आनन फानन में वो दूसरे विभाग को
पत्र अंतरित करता हैं और इसी प्रकार महीनों बीत जाते हैं, प्रक्रिया अनवरत चलती
रहती हैं, और सूचनाएं नहीं मिलती हैं, गर ज्यादा जानकारी लेनी हो तो हिमांशु
द्वारा मांगे गये सूचना के अधिकार के तहत
सूचनाओं की स्थिति देख लीजिये, जो प्रधानमंत्री कार्यालय में 1 नवम्बर 2014 को
हिमांशु ने भेजा और प्रधानमंत्री कार्यालय ने पत्रांक संख्या आरटीआई /7906/2014 पीएमआर के तहत सचिव भारत सरकार कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग
को अंतरित कर दी, फिर दो महीने रखकर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कर्मचारी चयन
आयोग नई दिल्ली अपीलीय प्राधिकारी आरटीआई सेल को भेज दी, तीन महीने बीतने को आये,
पर सूचनाएं जिसे मिलनी चाहिए, सूचना नहीं मिली, तो मिल क्या रहा हैं, विभागों का
पता, कब तक मिलेगा, विभागों का पता, पता नहीं.....
सच्चाई ये है कि जहां से सूचनाएं विधिवत् मिलनी
हैं, उससे तीन साल पहले हिमांशु ने 2011 में सूचनाएं मांगी, प्रथम अपील भी किया,
पर सूचना नहीं मिली, तभी तो हारकर हिमांशु ने प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा
खटखटाया और वहां से भी जब सूचनाएं नहीं मिले और न्याय न मिले तो क्या कहा जाये,
हिमांशु अब किसके पास जाये, ये यक्ष प्रश्न हिमांशु को साल रहा हैं......यानी
सरकार किसी की भी आये या जाये, कोई फर्क नहीं पड़ता, तंत्र अपने ढंग से काम कर रहा
हैं.........वाह री केन्द्र सरकार, वाह रे अच्छे दिन लानेवाले........मान गये नरेन्द्र
मोदी जी आपको......
हिमांशु जैसे बिहार के कई अभ्यर्थी हैं, जो न्याय
की गुहार लगा रहे हैं, पर उसकी कोई सुध नहीं ले रहा। पिछले तीन सालों से हिमांशु
कर्मचारी चयन आयोग इलाहाबाद से पत्राचार कर रहा हैं, पर उसके प्रश्नों का उत्तर
कर्मचारी चयन आयोग इलाहाबाद नहीं दे रहा हैं। वह फोन भी करता हैं तो उसे जवाब नहीं
मिल रहा। हार-थक कर हिमांशु ने
प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाया, पर यहां भी उसे निराशा हाथ लग रही हैं,
तो फिर हिमांशु अब कहां जाय, किससे इंसाफ मांगे ताकि उसे न्याय मिल सके, सवाल ये
हैं....................
ये इसलिए लिखना पड़ रहा हैं, क्योंकि हार-थक कर
जब हिमांशु को किसी ने कहा कि उसे अपनी बात प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजनी चाहिए
तब उसने प्रधानमंत्री कार्यालय से सूचना के अधिकार 2005 के तहत वहीं सूचनाएं मांगी
जो कर्मचारी चयन आयोग इलाहाबाद से वह पूछता रहा हैं, पर उसे यहां भी निराशा हाथ
लगी। हां, एक प्रधानमंत्री कार्यालय से उसे पत्र आया, जिसका पत्रांक संख्या – आरटीआई /7906/2014 पीएमआर था। जिसमे लिखा था, कि हिमांशु के सूचना से संबंधित
प्रश्नों की जानकारी के लिए संबंधित विभाग – सचिव, भारत सरकार, कार्मिक एवं
प्रशिक्षण विभाग, नार्थ ब्लाक, नई दिल्ली को अंतरित की गयी हैं, और उसके बाद से आज
तीन महीने बीतने को आये, कोई सूचना नहीं मिली, हां एक पत्र कार्मिक एवं प्रशिक्षण
विभाग ने जरुर भेजा, वह भी 28 जनवरी 2015 को हिमांशु को मिला, जिसमें कहा गया हैं कि वो
अपने जवाब के लिए कर्मचारी चयन आयोग नई दिल्ली अपीलीय प्राधिकारी आरटीआई सेल से
संपर्क करें यानी अब सीधे केन्द्रीय सूचना आयोग से अपील करने के सिवा दूसरा कोई
रास्ता नहीं बचता, जरा सोचिये, गर यही हाल प्रधानमंत्री कार्यालय का है तो आम
कार्यालयों की क्या बात करें.......................
इसलिए हिमांशु अकेला युवा नहीं जो निराश हैं, ऐसे
कई युवा हैं, जो निराश हैं, और उन्हें आशा की किरण नहीं दीख
रही.......................
आखिर हिमांशु का मामला क्या हैं, ये आप जानेंगे,
तो आप के पांव तले जमीन खिसक जायेगी................
कर्मचारी चयन आयोग ने दिनांक 5 फरवरी 2011 को
रोजगार समाचार के अंग्रेजी संस्करण में सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय औद्योगिक
सुरक्षा बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल तथा सशस्त्र सीमा बल में सिपाही सामान्य
ड्यूटी भर्ती 2011 से संबधित विज्ञापन
प्रकाशित किया था। इस भर्ती प्रकिया में 10 वीं पास सभी उम्मीदवारों से आवेदन
आमंत्रित किए गए थे। आवेदन प्राप्ति की अंतिम तिथि 04 मार्च 2011 तथा लिखित
परीक्षा 5 जून 2011 को निर्धारित की गई थी। बिहार राज्य के अभ्यर्थियों को जो इस
नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेना चाहते थे, से आवेदन 04 मार्च 2011 तक क्षेत्रीय निदेशक, मध्य क्षेत्र, कर्मचारी चयन आयोग 8 ए बी बेलीरोड, इलाहाबाद
पिन- 211002 पते पर मांगा गया था। चूंकि हिमांशु बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्र
पटना से आता है, इस कारण उसने अपना आवेदन 6 फरवरी 2011 को ही भारतीय डाक द्वारा
उक्त पते पर प्रेषित कर दिया था। उसने आवेदन फॉर्म के क्रम संख्या 17 Preference of Post for CPOs में
1.
केन्द्रीय औद्योगिक
सुरक्षा बल
2.
सशस्त्र सीमा बल
3.
सीमा सुरक्षा बल
4.
केन्द्रीय रिजर्व
पुलिस बल
क्रमशः BDAC वरीयता को दर्शाया
था।
हिमांशु के आवेदन पत्र को कर्मचारी चयन आयोग,
इलाहाबाद द्वारा स्वीकृत कर लिया गया। परिणामस्वरुप उसे 22 मार्च 2011 को शारीरिक
परीक्षा (PST/PET ) के लिए केद्रींय रिजर्व पुलिस बल कैंप, गया, बिहार में बुलाया गया।
वहां पर वह सभी परीक्षणों में सफल रहा। जैसा कि लिखित परीक्षा 5 जून 2011 को पहले से ही निर्धारित था, इसी तय तिथि को वह
बलदेव इंटर स्कूल, दानापुर कैंट पटना बिहार
परीक्षा केन्द्र पर पहुंचकर लिखित परीक्षा में भाग लिया। लिखित परीक्षा में
उसे कुल 100 अंक में से 47 अंक प्राप्त हुए। तत्पश्चात वह 20 अगस्त 2011 को
चिकित्सीय जांच परीक्षा के लिए सीमा सुरक्षा बल, खागड़ा कैंप, किशनगंज, बिहार
पिन-855107 केन्द्र पर उपस्थित हुआ। यह जांच परीक्षा 20 अगस्त 2011 को सुबह 7 बजे
से 21 अगस्त 2011 के शाम 7 बजे तक चला। इस परीक्षा में भी वह चिकित्सीय जांच में फिट (MEDICAL FIT) घोषित हुआ।
इन सभी चरणों के परीक्षण में सफल होने के बावजूद उसे
मेधा सूची (MERIT LIST) में कर्मचारी चयन आयोग द्वारा स्थान नहीं दिया गया, जबकि उससे कम अँक
लानेवालों को मेधा सूची में डालकर नौकरी दे दी गयी। जबकि 26 नवम्बर 2011 को जारी
अधिसूचना तथा मेधा सूची SSC.NIC.IN वेबसाईट के
अनुसार----
1.
बिहार के नक्सल
प्रभावित क्षेत्र से चयनित अनारक्षित कोटि में अंतिम अभ्यर्थी का अंक सीमा
सुरक्षा बल में 45 है।
2.
बिहार के नक्सल
प्रभावित क्षेत्र से चयनित अनारक्षित कोटि
में अंतिम अभ्यर्थी का अंक केद्रींय रिजर्व पुलिस बल में 40
है।
3.
बिहार के नक्सल
प्रभावित क्षेत्र से चयनित अनारक्षित कोटि
में अंतिम अभ्यर्थी का अंक सशस्त्र सीमा बल में 47 है।
वहीं 2 दिसम्बर 2011 को SSC.NIC.IN वेबसाईट के अनुसार
दिए गए अंक तालिका में हिमांशु, जिसका क्रमांक – 3206002186 है, का प्राप्तांक 47
है। हिमांशु सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी होने के साथ साथ बिहार के नक्सल प्रभावित
क्षेत्र पटना से आता हैं। उसने
सीमा सुरक्षा बल, केद्रींय रिजर्व पुलिस बल और
सशस्त्र सीमा बल में चयनित सामान्य वर्गों के अंतिम अभ्यर्थियों से ज्यादा अंक
लाया है और प्रथम मेडिकल जांच में फिट भी है, इस कारण उसे प्राथमिकता के साथ मेधा
सूची में स्थान मिलना चाहिए था और अब तक उसे केन्द्रीय सेवा में रहना चाहिए था
परंतु उसके पत्राचार करने के बावजूद कर्मचारी चयन आयोग द्वारा उसे अनदेखा किया गया
है।
उसे मेरिट लिस्ट में स्थान क्यों नहीं दिया गया
यह जानने के लिए उसने और उसके पिताजी ने कर्मचारी चयन आयोग नई दिल्ली और क्षेत्रीय
कार्यालय इलाहाबाद को ई- मेल, फोन तथा भारतीय डाक के स्पीड पोस्ट सेवा तथा साधारण
डाक सेवा से उक्त दोनों कार्यालयों में कई बार संपर्क किया, परंतु एक भी पत्र का
जवाब कर्मचारी चयन आयोग नई दिल्ली और कर्मचारी चयन आयोग क्षेत्रीय कार्यालय
इलाहाबाद ने देना उचित नहीं समझा।
इन सभी घटनाओं से परेशान होकर हिमांशु ने 27 दिसम्बर
2011 को 10 रुपये का पोस्टल ऑडर के साथ सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का सहारा
लिया और इसके तहत कुल 6 प्रश्न पुछे थे। यह आवेदन CPIO कर्मचारी चयन आयोग, (म.क्षे) को भेजा
था। ये हिमांशु जैसे कई युवाओं के नियुक्ति से संबधित बुनियादी प्रश्न थे। अब 2015
हो गए परंतु आजतक उसे इसका भी कोई जवाब नहीं मिला।
दिनांक 1 नवम्बर 2014 को हिमांशु ने प्रधानमंत्री
कार्यालय से इसी सबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत फिर से सूचनायें
मांगी, यह पत्र उसने
श्री कृष्ण कुमार , निदेशक, प्रधानमंत्री
कार्यालय, साउथ ब्लाक, नई दिल्ली – 110011. को लिखा था। 15 कागजात संलग्न कर इसी में एक अलग से पत्र था जो
उसने प्रधानमंत्री जी को ही लिखा था, यह
पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय में 5 नवम्बर 2014 को भारतीय डाक के स्पीड
पोस्ट सेवा से पहुंच गया था। दिनांक 13 नवम्बर 2014 को भारतीय डाक के रजिस्टर्ड
डाक सेवा से ए डी के साथ उसे इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यलय से एक पत्र
प्राप्त हुआ।
पत्रांक संख्या आरटीआई /7906/2014 पीएमआर से उसे पता चला कि उसके आरटीआई आवेदन को सूचना का
अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (3) के तहत यथोचित कार्रवाई हेतु सचिव, भारत सरकार,
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, नार्थ ब्लॉक नई दिल्ली को अंतरित कर दी गई है। जबकि उसने
इसी संदर्भ में 13 दिसम्बर 2014 को एक स्मरण पत्र
श्री पी. के. शर्मा, अवर सचिव एवं केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी, प्रधानमंत्री
कार्यालय, साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली – 110011 को भेजा । उसने उक्त पते पर ही
प्रथम अपील दिनांक 18 दिसम्बर 2014 तथा सचिव,
भारत सरकार, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, नार्थ ब्लॉक नई दिल्ली को प्रेषित
किया। ये सारे पत्र उसके द्वारा ईमेल से भी भेजे गये है। पर अब तक सूचनायें नहीं
मिली। अब वह किस पर भरोसा करे, क्यों करे, कैसे करे................ ? उसे न्याय कैसे
मिले? उसका अनुरोध है कि अब उससे उसकी धैर्य की परीक्षा न ली जाए और उसे
जल्द से जल्द यथोचित सूचनाएँ उपलब्ध कराने के साथ साथ न्याय दिलाने का भी कष्ट किया
जाय
और अंत में, उसके प्रश्न आज भी सामयिक और ज्वलंत
हैं कि........
1.
उसे इस नियुक्ति के
संबध में सिर्फ यही कहना है कि कर्मचारी चयन आयोग आखिर अपनी गलती कब स्वीकार करेगा
और हिमांशु को मेरिट लिस्ट में स्थान देकर, उसे केन्द्रीय सेवा में जाने का मार्ग
प्रशस्त करेगा?
2.
उससे कम अंक वाले
तथा जो आवेदन फॉर्म में Preference of
Post for CAPFs में वरीयता भी नहीं दिए थे अथवा
सिर्फ एक वरीयता को दर्शायें थे को मेरिट लिस्ट और रिजर्व लिस्ट में स्थान दे दिया
गया और हिमांशु जिसने इन सभी से अधिक अंक लाये, फिर भी उसे अब तक सेवा में नहीं
लिया गया, आखिर क्यों?
3.
बिहार के नक्सल
प्रभावित क्षेत्र से चयनित अनारक्षित कोटि में कई ऐसे अभ्यर्थी हैं जो दूसरी बार
मेडिकल परीक्षा अर्थात शारीरिक जांच परीक्षा में फिट पाये गये है तथा हिमांशु,
क्रमांक - 3206002186 से भी कम अंक लायें हैं, को मेरिट लिस्ट में स्थान देकर उन
अभ्यर्थियो को नॉमिनेशन करा दी गई, क्यों?
4.
बिहार के नक्सल
प्रभावित क्षेत्र से चयनित अनारक्षित कोटि में एक ऐसा अभ्यर्थी भी है जो कट ऑफ अंक
से भी नीचे अंक लाया है और उसे भी नॉमिनेशन करा दिया गया, जबकि हिमांशु हर प्रकार
से योग्य हैं, फिर भी उसे अब तक मेरिट लिस्ट से बाहर रखा गया, और उसे केन्द्रीय
सेवा से वंचित रखा गया आखिर क्यूं?
क्या ये समझ लिया जाय कि इस देश में हिमांशु
जैसे युवाओं को अब न्याय नहीं मिलेगा, अब हिमांशु जैसे युवा, कर्मचारी चयन आयोग
में व्याप्त धांधली, पक्षपात और भ्रष्टाचार के शिकार होते रहेंगे और उनका भविष्य
इसी तरह चौपट होता रहेगा।
प्रधानमंत्री जी, जवाब चाहिए.........
कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जी, जवाब
चाहिए..............
गृह मंत्री जी, जवाब चाहिए.....................