Thursday, January 8, 2015

पीके के नाम पर (भाग – 2).........................



पीके के नाम पर (भाग – 2).........................

जरा सोचिये, गर पीके फिल्म में...........
1.    हीरोईन हिन्दू (जिसने अपना नाम फिल्म में जग्गू रखा है) की जगह पर मुस्लिम होती और पाकिस्तान में रह रहा लड़का मुस्लिम की जगह हिन्दू होता तो क्या होता................
2.    हिन्दू देवी-देवताओं के लापता होने से संबंधित पंपलेट बांटनेवाला आमिर खान गर दूसरे धर्मावलंबियों के देवी-देवताओं या जिन्हें वे मानते हैं, जिसके लिए वे मर-मिटने को तैयार होते हैं, उसे लापता बताता तो क्या होता...............
3.    इन दिनों प्रधानमंत्री पद नहीं मिलने से अवसाद में जी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और विश्व का कुख्यात आतंकी का आरती उतारनेवाला पत्रकार वेद प्रताप वैदिक जिसको पीके फिल्म बनानेवालों में स्वामी दयानंद की छवि दिखाई दे रही हैं, ऐसे हालात में उक्त फिल्म की भी इसी प्रकार से गर आरती उतार रहे होते तो इन दोनों का क्या होता............
4.    हमें एक बात समझ में नहीं आ रही, जिस गोले का प्राणी आमिर खान को दिखाया गया हैं, उस गोले का लोग जब दूसरे गोले की खोज के लिए अंतरिक्षविमान भेज सकता हैं, वो एक कपड़े का आविष्कार नहीं कर सकता, या वहां का लोग इतना लोल (बेवकूफ) होता हैं, जिसको ह्यूमन सेंस तक नहीं, गर उक्त गोले के व्यक्ति को भी ह्यूमन सेंस होता तो क्या होता..............
5.    जब आमिर खान भगवान की खोज में मंदिर और चर्च में चला गया तो फिर उससे मस्जिद कैसे छूट गया, क्या पीके फिल्म बनानेवालों को इस बात की जानकारी थी कि ऐसा करने से आईएस वाले या भारत में ही रहनेवाले कई आतंकी संगठन उसे पाताल से ढूंढ निकालेंगे और उसे वो मजा चखायेंगे कि उनकी आनेवाली पीढ़ी दूबारा दुनियां में पैदा लेने से थर्रायेंगी, कल्पना कीजिये कि आमिर खान मस्जिद में चला गया दिखा दिया गया होता, तो क्या होता.........
6.    जिस प्रकार से बिहार और उत्तरप्रदेश की सरकार ने पीके फिल्म को करमुक्त कर दिया है, गर फिल्म में चर्च के बाद आमिर खान को मस्जिद में जाता हुआ, दिखा दिया गया होता और दोनों प्रदेश उक्त फिल्म को करमुक्त कर दिये होते तो कल्पना कीजिये क्या होता..............
7.    क्या ये मान लिया जाये कि भारत के लोग जाहिल हैं या बहुत ही विद्वान जो अपनी संस्कृति और धर्म का माखौल उडानेवालों का मनोबल बढ़ाते हैं और आडवाणी जैसे नेता व वैदिक जैसे पत्रकार समयानूकुल आचरण कर देश की महान संस्कृति को मिट्टी में मिलाने का कोई अवसर नहीं चूकते, वह भी तब जबकि उनके निजी अहंकार को चोट लगती हैं..................
                 मुझे न तो फिल्म बनानेवालों की आलोचना करने में आनन्द हैं और न ही प्रशंसा करने में, मेरा तो सवाल एक ही हैं कि अरे कबीर बननेवालों, अरे स्वामी दयानन्द का ढोंग करनेवालों और पीके फिल्म की प्रशंसा करनेवाले पत्रकारों और नेताओं, गर तुम्हें थोड़ी भी शर्म हैं तो डूब मरो............क्योंकि तुमने वो कुकृत्य किया हैं, जिसकी जितनी निंदा की जाय, कम हैं..........तुम ही बताओ आडवाणी कि तुम प्रत्येक भाषण में हिंदुस्तान की जगह हिंदुस्थान क्यों बोलते हो? तुम ही बताओ रामरथ यात्रा लेकर सोमनाथ से अयोध्या क्यूं निकले थे?.........क्या हर भाषण में हिंदुस्तान की जगह हिंदुस्थान बोलना, राम के नाम पर राजनीति करना ये पाखंड नहीं हैं, और इसमें तुम्हें पाखंड नहीं दिखता। अरे धर्म के नाम पर राजनीति करनेनवालों, धर्म के नाम पर कितने को मरवा देनेवालों आज तुम्हें पीके फिल्म में एक संदेश नजर आ रहा हैं........ हम तो पीके फिल्म बनानेवालों से कहेंगे कि आडवाणी और वैदिक को भी अपनी आनेवाली फिल्म में एक रोल दे देना, क्योंकि ये भी बहुत ही अच्छा अभिनय कर लेते हैं...............गिरगिट की तरह बहुत अच्छी तरह रंग बदल देते हैं, इसलिए वर्तमान में इन बहुरुपियों से बड़ा कोई रंगकर्मी फिलहाल नहीं दिखता............एक फिल्म आडवाणी और वैदिक को लेकर तो बनना ही चाहिए, क्योंकि जनता ये भी जानना चाहती हैं कि इन बहुरुपियों का असली चरित्र क्या हैं?
भारत में सनातन धर्म पर एक नहीं अनेक हमले हुए, सदियों से इस पर हमले होते आ रहे हैं, पर इसका बाल बांका नहीं हुआ, तो फिर ये पीके वालों की क्या औकात........हमें गर्व हैं कि हम उस संस्कृति में जन्मे हैं, जहां सहिष्णुता हैं, जहां लेशमात्र का अंहकार नहीं, जहां सांप को भी दुध पिलाया जाता हैं.........हम किसी पीके वालों का प्रतिकार करने के लिए सड़क पर भी नहीं उतरते, जनता निर्णय करें, गर जनता को फिल्म अच्छी लग रही हैं तो जनता देखेंगी, नहीं तो आप लाख सर फोड़ लें, क्या फर्क पड़ता हैं, पर कुछ सवाल हैं, जिसका उत्तर पीके वालों, आडवाणी और वैदिक को देना ही चाहिए, पर वे उत्तर क्या देंगे, पद और प्रतिष्ठा के लिए ये जीनेवाले जीव को धर्म और संस्कृति से क्या लेना देना................

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