संघ का एक गीत है --------------
"देश के लिये जीये,
समाज के लिये जीये,
ये धड़कनें, ये श्वास हो,
पुण्यभूमि के लिए, जन्मभूमि के लिए..............."
पर ये गीत, संघ और संघ का एक राजनीतिक संगठन भाजपा से जूड़ें कुछ धनाढ्य लोगों, अंधकूप में रहनेवालों, केवल खुद के लिए जीनेवालों पर लागू नहीं होता, ये लागू होता हैं, उन अंसख्य स्वयंसेवकों पर जो लाठी और गणवेश में खुद को, इस गीत पर झूमा रहे होते हैं और भ्रम में जीने को विवश होते हैं। ये कैसे होता हैं। उसका बानगी देखने को मिला -- झारखंड की राजधानी रांची से प्रकाशित एक समाचार पत्र प्रभात खबर में। इस अखबार ने 03 दिसम्बर को बड़ी ही संजीदगी से प्रथम पृष्ठ पर दो समाचारों को एक साथ स्थान दिया और जनता को सोचने और समझने पर विवश कर दिया कि जनता जाने कि जो भाजपा और संघ उसके समक्ष दिखाई पड़ रहा हैं, सचमुच उसका चरित्र हैं या उसने अपना चरित्र खो दिया हैं। सचमुच प्रभात खबर को, हृदय से बधाई, ऐसे समाचार प्रकाशित करने के लिए। ऐसे भी, इस प्रकार की खबरें, प्रभात खबर में ही दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि बाकी अखबारों में तो इस प्रकार की खबरों को स्थान मिलना, असंभव सा दिखता हैं।
आखिर इस अखबार ने क्या छाप दिया.......................
इस अखबार ने छापा हैं कि झारखंड के शहर सिमडेगा के पिथरा पंचायत के भाजपा अध्यक्ष मदन साहू ने गरीबी से तंग आकर गुरुवार यानी 2 दिसम्बर को आत्महत्या कर ली, जबकि दूसरी ओर इसी तारीख को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नागपुर में अपने बेटे निखिल की शादी में 60 करोड़ खर्च कर दिये।
अखबार ने आगे लिखा हैं कि केवल एक करोड़ तो नितिन ने निमंत्रण पत्र पर खर्च कर डालें, बेटे निखिल को नौ करोड़ का बंगला और बीएमडब्लयू भी दिया। दो दिनों तक तीन लाख लोगों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की व्यवस्था, 300 तरह के व्यंजन, रिसेप्शन में चार्टड प्लेन से मेहमानों की आने की व्यवस्था, मेहमानों के लिए 22 विशेष उड़ानों की व्यवस्था आदि कर डाली। और इधर गरीबी का शिकार पिथरा पंचायत के भाजपा अध्यक्ष मदन साहू की हालत देखिये टमाटर की खेती में उसे नुकसान उठाना पड़ा, मदन साहू अपने बच्चों और पत्नी का बोझ उठाने में असमर्थ, एक डिसिमल जमीन तक नहीं, बटाई पर खेती करके, अपने परिवार का भरण पोषण करता था, टमाटर की दर घटने से हुए भारी घाटे ने उसका जीवन बर्बाद कर दिया था, बेटी के इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, लाल कार्ड से उसका नाम तक काट दिया गया था, बेचारा इस हालात से तंग आकर अपनी जिंदगी ही समाप्त कर डाली।
कमाल देखिये, ये अखबार आज प्रमुखता से इस समाचार को प्रकाशित किया हैं, पर भाजपा के बड़े नेता, खासकर झारखंड की राजनीति करनेवाले संघ और उसके लोग, तथा भाजपाई, उस दिवंगत मदन साहू के घर तक जाने की हिमाकत नहीं की, और चल पड़े नितिन गडकरी के नागपुर स्थित आवास, जहां दो दिनों तक चलेगी, नितिन के बेटे निखिल की रिसेप्सन पार्टी। हम आपको बता दें कि जिस नितिन के घर ये झारखंडी नेता व मंत्री सलाम बजाने गये हैं, वो नितिन इन नेताओं को शायद ही भाव देगा। फिर भी, सभी ने नागपुर का दौरा करना, ज्यादा उचित समझा।
यानी इधर गयी जान और उधर शादी आलीशान और वो भी उस पार्टी में, जो कहती हैं कि भाजपा के साथ चले, रामराज्य की ओर चले। उस पार्टी में जहां राम, सुराज, सुशासन की बात कुछ ज्यादा ही कहीं जाती है, अरे जो पार्टी अपने पंचायत अध्यक्ष की मौत की जिम्मेवारी न लें, जो पार्टी अपने पंचायत अध्यक्ष की मौत का समाचार सुनने के बाद उसके परिवार तक का सुध न लें, वो पार्टी आम जनता के सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा क्या करेगी।
इधर हमने देखा हैं कि कुछ राजनीतिज्ञों के द्वारा अपने बेटे बेटियों की शादी के अवसर पर फिजूलखर्ची करना, दिखावे करने का फैशन जगा हैं, खासकर उस देश में जहां गरीबी से तंग आकर, किसानों और सामान्य लोगों का समूह हमेशा आत्महत्या कर रहा होता हैं। इसमें लालू प्रसाद, झारखंड के ही एक पूर्व मंत्री कमलेश सिंह का नाम हमारे बिहार झारखंड में ज्यादा चला हैं, पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने सबको पीछे छोड़ दिया, शायद लालू को चुनौती भी दे दी हो, कि लालू जी आप क्या खर्च करोगे, जो हमने कर दिया। सचमुच नितिन गडकरी जी, आप महान हैं, आप ऐसा ही कर सकते हैं, आप से इससे ज्यादा कुछ आशा भी नहीं की जा सकती, पर ये भी जान लीजिए, कि आप ही की पार्टी की तरह एक राष्ट्रीय पार्टी हैं, जिसका नाम हैं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस। जिसकी अध्यक्ष हैं सोनिया गांधी। जिन्होंने अपनी बेटी प्रियंका की बिल्कुल सामान्य ढंग से सादगी के साथ शादी संपन्न करायी। ये पूरा देश जानता हैं। ऐसे भी भारत का एक संदेश है --------- सादा जीवन, उच्च विचार। पर आप जैसे लोगों को इस भारतीय संस्कृति का यह सुंदर संदेश दिमाग में नहीं घूसेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक राजनीतिक संगठन भाजपा कहती हैं कि उसकी पार्टी पंडित दीन दयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के कथन पर चलनेवाली पार्टी हैं, पर भाजपा के बड़े नेता बताये कि जो चरित्र इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिखायी हैं, क्या वो चरित्र दीन दयाल उपाध्याय के कथन से मेल खाता है। गर मेल नहीं खाता, तो आनेवाले चुनावों में यहां की जनता भाजपा को क्यों वोट दें। संघ को राष्ट्रवादी संगठन क्यों माने।
संघ ये बतायें और भाजपा भी, कि जिस देश में करोड़ों लोग भूख और गरीबी से तंग आकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते हो, ठीक उसी तरह जैसे भाजपा के पंचायत अध्यक्ष ने आत्महत्या कर जीवन लीला समाप्त कर ली। यहीं नहीं जिस प्रांत से नितिन गडकरी आते हैं, उसी प्रांत में कई किसानों ने आत्महत्या की हैं। उसी देश में एक सार्वजनिक जीवन जीनेवाला व्यक्ति को इस प्रकार के समारोह आयोजित करना शोभा देता हैं। भ्रष्टाचार और चरित्र को लेकर हाय तौबा मचानेवाली, भाजपा खासकर 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में संसद को जो चलने नहीं दे रही हैं, वो खुद बतायें कि कर्नाटक और झारखंड में उसके लोग क्या कर रहे हैं। अरे भाजपाईयों शर्म करना सीखों, पर तुम्हें शर्म आयेगी। इस पर हमें संदेह हैं, क्योंकि शर्म तो उन्हें आती हैं, जिनका चरित्र होता हैं। पर भाजपाईयों और संघ के लोगों ने तो अब चरित्र, तेल लेने भेज दिये हैं।
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