Saturday, September 10, 2011

एक वर्ष अर्जुन मुंडा के शासन के ---------------------

गर एक पंक्ति में कहे तो झारखंड में झारखंड के दुर्भाग्य ने अभी तक पीछा नहीं छोडा़ हैं, सबसे पहले उपलब्धियों की बात करें, जिसको लेकर अर्जुन मुंडा ने अपनी पीठे थपथपायी हैं----

1. ये मैं नहीं, अर्जुन मुंडा का कहना हैं कि उन्होंने 32 वर्षों के बाद पंचायत चुनाव सफलता से करा दी, अब पूरे राज्य में पंचायती शासन व्यवस्था लागू हैं।
2. राष्ट्रीय खेल करा दिया, जो पिछले कई वर्षों से टलता जा रहा था।
3. राज्य में सेवा का अधिकार लागू कर दिया।
4. गठबंधन की सरकार, शानदार ढंग से चला रहे हैं, किसी को किसी से कोई दिक्कत नहीं, विपक्ष लगातार हमले कर रहा हैं,
पर उनकी सरकार निरंतर बिना किसी बाधा के चलती ही जा रही हैं।
जनाब, अर्जुन मुंडा जी,
इस देश में 28 प्रांत और 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं, सभी जगह सरकारें चल रही हैं, पर जिस तरह आप चला रहे हैं, वैसी ही चल रही हैं क्या। गर नहीं तो मेरे सवालों का जवाब दीजिये -------
सवाल नं. 1 - आपके नेता लालकृष्ण आडवाणी भ्रष्टाचार के खिलाफ रथयात्रा निकालने की बात कर रहे हैं, आप बतायेंगे कि आपके यहां भ्रष्टाचार समाप्त हो गयी हैं क्या, गर नहीं तो भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए आपके पास क्या योजनाएं हैं, उत्तर होगा -- कुछ नहीं। रही बात भ्रष्टाचार के आपके शासनकाल के रिकार्ड की तो एक नहीं कई बार कैग ने आपके शासनकाल के समय की खर्च के बारे में जो ब्यौरे दिये हैं, वो बताने के लिए काफी हैं कि आप के शासनकाल में भ्रष्टाचार के क्या रिकार्ड रहे हैं।
सवाल नं. 2 - आपने पंचायती शासन व्यवस्था तो लागू कर दी, पर सच्चाई ये हैं कि आज तक उन्हें अधिकार ही नहीं दिया गया और जब अधिकार ही नहीं दिये जायेंगे तो पंचायत चुनाव हो अथवा न हो, क्या फर्क पड़ता हैं।
सवाल नं. 3 - राष्ट्रीय खेल करा दिया, पर क्या आपने राष्ट्रीय खेल संपन्न कराने के बाद इस पर श्वेत पत्र जारी किया, गर आप श्वेत पत्र जारी करेंगे तो पता चलेगा कि इस राष्ट्रीय खेल को संपन्न कराने में भ्रष्टाचार ने कितने रिकार्ड तोड़ें हैं। राष्ट्रीय खेल समाप्ति के बाद तो महिला आयोग की सदस्य ने तो प्रेस कांफ्रेस कर साफ कर दिया कि राष्ट्रीय खेल के दौरान किस प्रकार सेक्स रैकेट चलानेवालों ने झारखंड की संस्कृति को तार-तार किया। और कैग की रिपोर्ट ने भी बता दिया कि यहां राष्ट्रीय खेल की तैयारी में कैसे कैसे गोरखधंधे हुए हैं।
सवाल नं. 4 - राज्य में सेवा का अधिकार लागू कर दिया, पर आपके पास न तो पर्याप्त संख्या में प्रशासनिक अधिकारी हैं और न कर्मचारी तो फिर आप सेवा का अधिकार लागू कैसे करेंगे, अरे आपके इस सेवा का अधिकार का हाल, ठीक सूचना के अधिकार कार्यालय जैसा होने जा रहा हैं।
सवाल नं. 5 - क्या ये सही नहीं हैं कि 11 सितम्बर को सत्ता संभालने के बाद, मंत्रिमंडल विस्तार में आपको पसीने छूट गये, करीब एक महीने के बाद आपके मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, उसमें भी कई मंत्री अपने विभागों को लेकर असंतुष्ट थे, जिसे मनाने में ही ज्यादा समय बीत गया।
सवाल नं. 6 - राज्य में भूख और गरीबी का आलम ये हैं कि अच्छी मानसून के बावजूद लोगों का पलायन जारी हैं, आदिवासी महिलाएं आज भी बड़े - बड़े महानगरो में शोषण की शिकार होती जा रही हैं, और इन भूख और गरीबी से त्राण दिलाऩे के लिए चलायी जा रही मनरेगा योजना आपके राज्य में पूरी तरह फेल हैं। स्थिति ये हैं कि 9 सितम्बर 2011 को मनरेगा पर आपके आवास के ठीक पंद्रह - बीस कदम की दूरी पर एटीआई में सोशल आडिट चल रहा था पर आपने उसमें भाग लेने की जहमत नहीं उठाई, नतीजा ये रहा कि विभागीय मंत्री समेत सभी वरीय अधिकारी इस महत्वपूर्ण बैठक से गायब रहे।

सवाल नं. 7 - अतिक्रमण की आग ने पूरे राज्य को उद्वेलित किया। अतिक्रमण की आग की आड़ में एक नगर ही आपने तबाह करा दी, उस नगर के लोग आज भी इधर से उधर भटक रहे हैं आपकी सरकार ने पुनर्वासित करने की बात भी कही थी, पर क्या आप बता सकते हैं कि वे कहां पुनर्वासित हैं, जहां जाकर मैं देख सकूं कि वे लोग आनन्दित हैं।
सवाल नं. 8 - आपने न्यायालय में शपथ पत्र दायर किया कि पूरे राज्य से अतिक्रमण हटा लिया गया हैं, पर सच्चाई क्या हैं, वो आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं, आज भी रांची का मेनरोड ये बताने के लिए काफी हैं कि अतिक्रमणकारियों ने किस प्रकार रांची की शक्ल बिगाड़ दी हैं, पर आपको तो गरीबों को उजाड़ने में कुछ ज्यादा ही आनन्द आता हैं।
सवाल नं. 9 - आपके सरकार के एक साल पूरे हो गये। इसी साल में आपने बजट सत्र के दौरान 15,300 करोड़ रुपये का बजट पारित कराया और छह महीने बीत गये, उस समय से लेकर, आज के समय तक आपने मात्र 1425.38 करोड़ रुपये खर्च किये, यानी मात्र साढ़े नौ प्रतिशत ही खर्च कर पाये, ऐसे में शेष बचे छह माह में क्या कर लेंगे।
सवाल नं. 10 - जब आपके पास बजट सत्र की राशि बची हुई हैं तो फिर प्रथम अऩुपूरक बजट की आवश्यकता क्यों पड़ गयी।
सवाल नं. 11 - आपके यहां 34 विभाग हैं, जिसकी कुल योजनाएं - 410 हैं, पर सच्चाई ये हैं कि इनमें से 328 योजनाओं में तो अभी तक काम ही नहीं शुरु हुआ, ऐसे में आप जव विकास की बात करते हैं तो सामान्य जनता को हंसी आती हैं, यानी 80 प्रतिशत योजनाओं में तो काम ही अब तक नहीं शुरु हुआ। कमाल हैं 34 विभागों में 18 विभाग तो ऐसे हैं जिसमें या तो सिर्फ एक योजना प्रारंभ हुई या एक भी नहीं।
सवाल नं. 12 - मुख्यमंत्री आदिवासी हैं, इनके गुरुजी आदिवासी हैं पर इन्ही के राज्य में आदिम जनजातियों के लिए दो वर्षों में एक भी आवास नहीं बन सका है। आखिर क्यों।
सवाल नं. 13 - भारत सरकार की शहरी आवास योजना के तहत आपको मिला पैसा, ऐसे ही धूल फांक रहा हैं, पर आपने इस ओर ध्यान हीं नहीं दिया, पता नहीं क्यों।
सवाल नं. 14 - आपकी सरकार ने जनता से वायदा किया कि तीन महीने के अंदर नया राशन कार्ड सबको मिल जायेगा, क्या हुआ सभी को राशन कार्ड मिल गया। आपने जो योजना चालू की थी, बीपीएल परिवारों को एक रुपये प्रतिकिलो अनाज देने की, क्या सबको मिल रहा हैं, गर नहीं तो फिर इस प्रकार की ढपोरशंखी योजना चलाने से मतलब।
सवाल नं. 15 - पहले खनिज नीति के अनुसार - 2006 के अनुसार - आयरन ओर बाहर नहीं जायेगा। पर आज उसकी क्या स्थिति हैं, अपने अंदर झांक कर देखे।
सवाल नं. 16 - आपही के मंत्री मथुऱा महतो, टाटा सबलीज पर कुछ कहते हैं और मुख्यमंत्री कुछ कहते हैं, टाटा सबलीज की फाईल 6 दिसम्बर 2010 से आखिर कहां गुम हो गयी।
सवाल नं. 17 - आपके शासनकाल में ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग इस प्रकार फला - फूला हैं कि पूछिये मत। कोई ऐसा विभाग नहीं, जहां ट्रांसफर - पोस्टिंग न हुआ हो, ऐसे भी आपकी जब भी सरकार बनी हैं, तो सबसे पहले आपका ध्यान इसी ओर जाता हैं।
सवाल नं. 18 - मुख्यमंत्री बनने के बाद दिल्ली और नागपुर की आपने खूब सैर की। न्यूयार्क - बर्लिन तक चले गये। जनता को इससे क्या मिला। आपने अपने बच्चे की बेहतर इलाज के लिए अमरीका तक की यात्रा की। यहां की गरीब जनता पूछती हैं कि उनके गरीब बेटे की इलाज की बेहतरी के लिए आपने राज्य में कौन ऐसी बेहतर सेवा शुरु करा दी। आप आज भी देखे यहां के लोग मामूली मलेरिया से दम तोड़ रहे हैं।
सवाल नं. 19 - विधि व्यवस्था का आलम ये हैं कि आपके शासनकाल में दो जेलब्रेक की घटना हो गयी - एक चाईबासा और दूसरा आपका ही विधानसभा क्षेत्र - सरायकेला - खरसावां। इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती हैं।
सवाल नं. 20 - आज भी आपके मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों की बात, राज्य के अधिकारी हवा मं उड़ा देते हैं, सुनते ही नहीं। ऐसे में आपके शासन का भगवान ही मालिक हैं। गर इसे आप शासन कहते हैं तो कह लीजिये पर आनेवाले समय में मुझे नहीं लगता कि जनता आपको माफ करेगी। जमशेदपुर चुनाव तो एक ट्रेलर था, पूरी फिल्म जब विधानसभा के चुनाव होंगे तो जनता दिखा देगी। तब तक के लिए आप शासन का सुख भोगिये।

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