Thursday, October 13, 2011

शर्म करो, टीम अन्ना के लोगों ----------


गर लोकतंत्र में हिंसा का स्थान नहीं तो लोकंतत्र में पागलपन का भी कोई स्थान नहीं। जो लोग पागलपन की हद तक जाकर ये बयान दे डालते हैं कि कश्मीरी अवाम को जबरन अपने साथ रखना देशहित में नहीं, कश्मीर से सेना हटा लेना चाहिए, वहां जनमत संग्रह कराकर, उनकी मंशा पर छोड़ देना चाहिए, कि वे भारत में रहना चाहते हैं अथवा भारत से अलग रहना चाहते हैं। ऐसे पागलों को भी सोच लेना चाहिए कि इस पागलपन से भरे बयान पर पूरे देश में कड़ी प्रतिक्रिया हो सकती हैं और ये प्रतिक्रिया उग्र रुप धारण भी कर सकती हैं, जब प्रतिक्रिया उग्र होगी तो उसका रुप क्या होगा, शायद उन्हें इसका अंदाजा नहीं। और जब अंदाजा होता हैं तो ये पागलपन से भरे बयान देनेवाले लोग हठधर्मिता भी नहीं छोड़ते, कह डालते हैं कि वे अपने बयान पर कायम हैं, उनके साथ बदसलुकी करनेवाले, ऐसे लोगों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जो हिंसा का सहारा लेते हैं, पर यहीं घटियास्तर के लोग जब नक्सलियों, उग्रवादियों, आतंकियों द्वारा हिंसा फैलायी जाती हैं, बड़े पैमाने पर इनके द्वारा बेकसूर मार डाल दिये जाते हैं, कश्मीरी पंडितों का समूह थोक भाव में अपने ही देश में बेगानों की तरह इधर से उधर भटकते हैं तब इनका हृदय नहीं पसीजता, लेकिन आंतकियों पर जब नकेल हमारी सेना, हमारे जवान डालते हैं तो इनका हृदय पिघलने लगता हैं और वे जेल में बंद अथवा जेल के बाहर आंतक फैलाने में मशगूल नरपिशाचों यानी आतंकियों के समर्थन में बयान देने से भी नहीं चूकते। ये वहीं लोग हैं जो टीम अन्ना में भी मौजूद हैं - प्रशांतभूषण जैसे लोग इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेश न जाने कितने ऐसे लोगों की जमात हैं जो मानवाधिकार संगठनों के नाम पर नक्सलियों और आतंकियों के लिए प्राण वायु का काम करते हैं। मैं पत्रकार हूं, हमने देखा हैं कि ये जब भी देश के किसी ऐसे क्षेत्रों का दौरा करते हैं और जब उन दौरों में स्थानीय पत्रकारों को रखने की बात होती हैं तो एक सिरे से इसे नकारते हैं और जब कभी ज्यादा दबाब पड़ा तो अपने समर्थकों में ही किसी को पत्रकार बनाकर प्रोजेक्ट करते हैं और देश के विरुद्ध आग उगलते हैं। इन्हीं के घटियास्तर के बयानों से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को भारत के विरोध में बोलने और संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत को नीचा दिखाने में बल मिलता हैं, पर भारत सरकार आज तक ऐसे लोगों पर नकेल नहीं कस सकी और न ही ऐसे लोगों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा ही कर सकी। ये अलग बात हैं कि भाजपा और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां हमेशा से कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा कहने में नहीं चूकती, पर इन घटियास्तर के व्यक्तियों, जिनकी देशसेवा में कभी रुचि नहीं रही, जिनका ज्यादातर समय देशतोड़क और देश की सीमाओं को छोटा करने में ज्यादा लगता हैं, इनके खिलाफ आज तक न तो बयान आया और न ही प्रतिक्रिया। ऐसे में देश के युवा चूड़ियां पहनकर तो बैंठेंगे नहीं, उनके दिमाग में जो आया कर दिया या करेंगे। जरुरत हैं कि जो लोग दिल्ली या महानगरों के आलीशान बंगलों में, एसी में बैठते या जीवनयापन करते हैं, जिन्होंने न तो खुद और न ही कभी उनके खानदान में किसी ने देश के लिए प्राण न्योछावर किया हैं, जिनके खानदान में आजतक किसी ने सेना में अपना योगदान नहीं दिया हैं और न आनेवाले दिनों में कोई इनके खानदान से ऐसा योगदान देगा, क्योंकि इन्होंने इतना पैसा कानून के पचड़ों से कमा लिया हैं कि ये कानूनी दांव पेच में ही अपने पूरे खानदान को लगाकर अपना और देश का सत्यानाश करेंगे, ऐसे पागलों से देश और भारतीय सेना के पक्ष में बयान सुनने को मिलेगा, ये मूर्खता के सिवा कुछ नहीं। इसलिए. हे टीम अन्ना के प्रशांत भूषण जैसे घटियास्तर के विचारकों, तुम इसी तरह देश को सीमा को छोटा करने का बयान देते रहो, पर समझ लो कि जिनके इशारे पर जो तुम बयान दे रहे हो, वहीं भारत के शत्रु तु्म्हारी इस हरकत के लिए ऐसा दंड देंगे कि तुम्हारा नाम विभीषण की श्रेणी में आ खड़ा होगा। क्योंकि विभीषण के भ और ष तुम्हारे नाम से भी जूड़े हैं। मैं तो भारत माता से यहीं प्रार्थना करुंगा कि तुम जैसे लोग अपने कोख से पैदा नहीं करें, न ही तो ये देश कभी खड़ा नहीं हो पायेगा। हमारी सेना - पाकिस्तान और चीन से क्या लड़ेंगी, जब तुम जैसे लोग भारत में ही रहकर पाकिस्तान और चीन की भाषा बोलते हैं। शर्म करो - टीम अन्ना के लोगों शर्म करों। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हो और खुद भ्रष्ट आचरण दिखाते हो, भारत की जमीं का अन्न खाते हो और भारत के खिलाफ ही आग उगलते हो।

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