1. आप आठ घंटे से अधिक पत्रकारिता को देना ही नहीं चाहते, और खुद को पत्रकार कहते हैं। सच्चाई ये हैं कि आप आठ घंटे भी पत्रकारिता को दे दें, तो आपके जीवन और समाज दोनों में क्रांति हो जाये।
2. जैसे ही आपका आठ घंटा पूरा होता हैं, आपकी बॉडी और आत्मा काम करना बंद कर देती हैं, थोड़ा सा ज्यादा समय काम क्या कर लिया, दूसरे दिन आप काम करने के लायक ही नहीं रहते, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
3. आप पत्रकारिता को ग्लैमर समझते हैं, और इसके सिवा कुछ भी नहीं, जब पत्रकारिता को ग्लैमर समझ लिया, उसी दिन आप पत्रकारिता के लिए मृतप्रायः हो गये, आपको समझ लेना चाहिए।
4. आपको अपने परिक्षेत्र की जानकारी ही नहीं रहती, कि आपके परिक्षेत्र में क्या घटनाएं घट रही हैं या घटी थी या घटेगी, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
5. आपको स्वयं पर इतना गुमान होता हैं कि जैसे दुनिया की सारी विद्या आपकी आत्मा और शरीर में समा चुकी हैं, और इसलिए आप अपने से वरीय महानुभावों की सुनते ही नहीं। जिसके कारण आप स्वयं शुन्य में विचरित करते रहते हैं, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
6. समाज के सबसे निम्नवर्ग पर आपकी दया ही नहीं रहती और समाज के उच्च वर्ग व हाई सोसाईटी की दया आप पर बनी रहे, साथ ही उनके द्वारा सदैव उपकृत रहने की इच्छा पालते हैं, इसके लिए आप अपनी पूरी जिंदगी गुजार देते हैं, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
7. अपनी जिंदगी में कोई ऐसी खबर नहीं की, जिसका प्रभाव समाज और देश पर पड़ा हो, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
8. जहां आप काम करते हैं, वहां आपको मेहनताना दिया जाता हैं, उसके बावजूद भी नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और पूंजीपतियों से धन लेकर, खुद को प्रतिष्ठित कराने का ढोंग रचते हैं और खुद को पत्रकार कहते हैं।
9. अपने चाहनेवालों और धन लेकर कोई भी काम कराने की इच्छा पालकर, गलत धंधों में लगे रहते हैं और खुद को पत्रकार कहते हैं।
10. जिन्होंने ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठता का पत्रकारिता में रिकार्ड बनाया और जिंदगी गुजार दी, उनका आप इज्जत नहीं करते और उन्हें भी अपने जैसा समझते हैं और खुद को पत्रकार कहते हैं।
2. जैसे ही आपका आठ घंटा पूरा होता हैं, आपकी बॉडी और आत्मा काम करना बंद कर देती हैं, थोड़ा सा ज्यादा समय काम क्या कर लिया, दूसरे दिन आप काम करने के लायक ही नहीं रहते, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
3. आप पत्रकारिता को ग्लैमर समझते हैं, और इसके सिवा कुछ भी नहीं, जब पत्रकारिता को ग्लैमर समझ लिया, उसी दिन आप पत्रकारिता के लिए मृतप्रायः हो गये, आपको समझ लेना चाहिए।
4. आपको अपने परिक्षेत्र की जानकारी ही नहीं रहती, कि आपके परिक्षेत्र में क्या घटनाएं घट रही हैं या घटी थी या घटेगी, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
5. आपको स्वयं पर इतना गुमान होता हैं कि जैसे दुनिया की सारी विद्या आपकी आत्मा और शरीर में समा चुकी हैं, और इसलिए आप अपने से वरीय महानुभावों की सुनते ही नहीं। जिसके कारण आप स्वयं शुन्य में विचरित करते रहते हैं, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
6. समाज के सबसे निम्नवर्ग पर आपकी दया ही नहीं रहती और समाज के उच्च वर्ग व हाई सोसाईटी की दया आप पर बनी रहे, साथ ही उनके द्वारा सदैव उपकृत रहने की इच्छा पालते हैं, इसके लिए आप अपनी पूरी जिंदगी गुजार देते हैं, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
7. अपनी जिंदगी में कोई ऐसी खबर नहीं की, जिसका प्रभाव समाज और देश पर पड़ा हो, और खुद को पत्रकार कहते हैं।
8. जहां आप काम करते हैं, वहां आपको मेहनताना दिया जाता हैं, उसके बावजूद भी नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और पूंजीपतियों से धन लेकर, खुद को प्रतिष्ठित कराने का ढोंग रचते हैं और खुद को पत्रकार कहते हैं।
9. अपने चाहनेवालों और धन लेकर कोई भी काम कराने की इच्छा पालकर, गलत धंधों में लगे रहते हैं और खुद को पत्रकार कहते हैं।
10. जिन्होंने ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठता का पत्रकारिता में रिकार्ड बनाया और जिंदगी गुजार दी, उनका आप इज्जत नहीं करते और उन्हें भी अपने जैसा समझते हैं और खुद को पत्रकार कहते हैं।
Wah Wah...Par Ye Baatain Keval TV Ke Patrakaron Par Lagoo Hoti Hain...Akhbaar Walon Ke Bare Main Aapke Kya Vichaar Hain?????
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Vicky...