झारखंड में चुनाव की घोषणा क्या हुई........आईपीएस अधिकारियों, पत्रकारों, बिस्तर की तरह दल बदलनेवाले नेताओँ, अधिकारियों की बन आई हैं। सभी की पहली पसंद भाजपा हो गयी हैं। शायद उन्हें मालूम हैं कि भाजपा में जाने का मतलब श्योर शॉट - विधायक बन जाना हैं। भाजपा वाले भी खुश हैं - उनके दल के प्रति लोगों की सोच बदल रही हैं, माहौल बन रहा हैं, तो क्या गलत हैं। भाजपा के अंदर जो नेता व कार्यकर्ता जो मुंह पिजाये थे कि इस बार मोदी लहर में, उनका विधायक बनना तय था, बेचारे मुंह लटका लिये हैं, क्योंकि बाहर के जो नेता हैं, पहले से अपनी सीट बुक करवा चुके हैं, चूंकि विधायक हैं, इसलिए टिकट की दावेदारी तो प्रथम उन्हीे का बनता हैं। कल तक जो मुक्त कंठ से भाजपा को गरियाते थे, वे आज भाजपा नेताओं के साथ गलबहियां डाले हुए हैं, इधर भाजपा कार्यकर्ताओं की बहुत बड़ी फौज खिसयाई हुई हैं, पर क्या करें, अनुशासन का डंडा, उनको गुस्साने भी नहीं दे रहा। बहुत सारे भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के बेटे और बेटियां, ये बोलने से नहीं चूंक रहे, अपने सगे संबंधियों को कि कल तक आप भाजपा का झंडा व डंडा ढोते थे, आपको क्या मिला। जब मेवा खाने का मौका आया, तो दूसरा दल से आया नेता और पुलिस अधिकारी विधायक बनने जा रहा हैं। आपको क्या मिला - बाबाजी का ठुल्लू। बेचारे भाजपा नेता व कार्यकर्ता क्या बताये कि उनका भी इस मु्द्दे पर जी कसमसा रहा हैं, पर क्या करें।
इधर मीडिया के बंधु भी सदाचार के किस्से सुनाने लगे हैं। बड़े बड़े अखबार और चैनल के मालिक और तथाकथित पत्रकार चरित्र की बात कह रहे हैं। झारखंड प्रेम और उसकी दिशा पर आलेख लिख और दिखा रहे हैं। ये वो लोग हैं, जो पत्रकारिता की आड़ में सूचना आयुक्त, राज्यसभा सांसद और पता नहीं क्या- क्या बन चुके हैं और बनने का सपना देखते हैं। ये वे लोग हैं, जो बिल्डरों के अवैध धंधों को सहारा देते हैं, और ये बिल्डर इन पत्रकारों और अखबारों की आड़ में आम जनता के सपनों को लूट रहे हैं। कमाल हैं, झारखंड की जनता को लूटने के लिए और झारखंड को बर्बाद करने के लिए एक बार फिर नेता, पत्रकार, पुलिस अधिकारी और प्रशानिक उच्चाधिकारी मिल बैठ गये हैं, सभी विधायक बनने और बनाने की तिकड़म में व्यस्त हैं। इनके तिकड़मों को जो जानते हैं, उन लोगों ने भी इनका जवाब देने का मन बनाया हैं, जो वोट बेचते हैं और वोट बिकवाने तथा खरीदने का कारोबार करते हैं। सभी ने अपना दुकान खोल दिया हैं। गली मोहल्लों में नुक्कड़ सभा करने, ओटा पर बैठकी लगाने, वोटरस्लिप बांटने, पार्टी का झंडा लगाने, प्रति व्यक्ति वोटर की कीमत भी लग चुकी हैं, बस लीजिये और दीजिये का काम बाकी हैं।
दूसरी ओर ऐसे लोग हैं, जो इस प्रकार की हरकतों को देख, किंकर्तव्यविमूढ़ हैं। फिर चुनाव आया हैं। कह तो सभी रहे हैं कि झारखंड बनाना हैं, पर क्या ऐसे में झारखंड बनेगा। जहां का मीडिया बिका हुआ हो, जहां के नेता दलबदलू हो, जहां के पुलिस पदाधिकारी जो आज विधायक बनने को आतुर हैं और जिनका सेवा के दौरान रिकार्ड खराब रहा हो, क्या ऐसे लोग झारखंड का निर्माण करेंगे। सवाल ये हैं....
इसलिए झारखंड की जनता से सादर अनुरोध......
कृपया आप किसी लहर में नहीं बहें.........
दल के साथ -साथ जिन्हें आप वोट देने जा रहे हैं, उनके बारे में पूरा रिपोर्ट कार्ड देखें.....
हो सकें तो जब तक आप मतदान नहीं कर लेते हैं, अखबार पढ़ना पूरी तरह बंद कर दें या चैनल देखना पूरी तरह बंद कर दें, क्योंकि ये आपके मन मस्तिष्क को प्रभावित करेंगे, क्योंकि ये विभिन्न दलों से पैसे लेकर वो सारे हथकंडे अपनाते हैं, जिससे वे खुद भी बच जाते हैं और कानून को धोखा देते हुए, आपको भी प्रभावित कर डालते हैं, गर ज्यादा जरुरी हो तो चैनल को सिर्फ नौटंकी के रुप में देखे, जिसका मतलब सिर्फ मनोरंजन होता हैं, ज्ञान बांटना नहीं..........
ये मौका बार बार नहीं मिलेगा....पांच साल के बाद मिलता हैं, झारखंड बनाने का जिम्मा केवल नेताओं का नहीं, आपका भी हैं, जरा सोचिये आप अपनी आनेवाली पीढ़ी को क्या देंगे, किसके हाथों में झारखंड सौपेंगे...बेईमानों के हाथों में या ईमानदारों के हाथों में....
मौका हैं, सही व्यक्ति को, देश हित में राज्य हित में, सदन में पहुंचाये...........
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