Thursday, April 2, 2015

लो कर लो बात अपना रघुवर हनुमान बनेगा......................

पिछले दिनों रामनवमी के दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का जमशेदपुर में दिया गया बयान पढ़ने को मिला....उन्होंने बयान दिया कि वे हनुमान की तरह झारखंड की सेवा करने की इच्छा रखते हैं....कमाल हैं मां बाप ने उनका नाम रखा रघुवर और बेटा हनुमान बनने की इच्छा पाल लिया.....राम की तरह सेवा करने में त्रुटियां हो सकती है क्या.... क्यों लगे हाथों हनुमान बनने की सपना देखने लगे.... कहीं इसलिए तो नहीं कि जैसे हनुमान ने लंका दहन किया...अशोकवाटिका उजाड़ दी.....पहाड़ उखाड़ लिये.....गदा से अपने विरोधियों अभिमानियों का सीना चूर कर दिया.....अहिरावण की भुजा उखाड़ दी थी... भाई हर आदमी स्वतंत्र हैं, कि उसे क्या बनना हैं....पर जिसके माता पिता ने नाम रघुवर रखा....उसे तो कम से कम अपने नाम का ख्याल जरुर रखना चाहिए....क्योंकि हर व्यक्ति शिखर पर जाना पसंद करता हैं, शिखर से नीचे उतरना कोई नहीं...राम प्रजापालक और हनुमान राम के सेवक....इस राज्य को सचमुच में हनुमान नहीं, बल्कि राम की आवश्यकता हैं....पर वर्तमान में झारखंड में केवल नाम का राम यानी रघुवर, सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर हैं...राम ने जो प्रजापालन में दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई, उसे ज्यादा पढ़ने और गुनने की जरुरत हैं....पर ज्यादातर लोगों को हनुमान की उछल कूद ज्यादा पसंद हैं.......... मैं देख भी रहा हूं कि वर्तमान में इस राज्य में काम काज कम और हनुमान कूद ज्यादा दिखाई पड़ रहा हैं.....हनुमान कूद इसलिए कह रहा हूं कि सीएम ने अपने बयानों से बयानवीर का खिताब तो जरुर हासिल कर लिया हैं.....चाहे सदन में दिया गया बयान हो....चाहे सदन के बाहर सभी नकारा साबित हो रहे हैं....क्योंकि खुद और उनके मंत्री व अधिकारियों का दल ईमान से राज्य की सेवा करने में नहीं लगा हैं...बल्कि अपने परिवारों और रिश्तेदारों की भक्ति में लगा हैं....यानी परिवारों और रिश्तेदारों से जब मुक्ति मिलेगी तब थोड़ा जनता को भी नून तेल चटा देंगे....जनता को इससे ज्यादा की जरुरत भी नहीं.....जनता को क्या हैं उसे मुफ्त में अनाज चाहिए, मुफ्त में धोती साड़ी चाहिए.....ऐसा तो जब चाहे, जब हो सकता हैं........ कुल मिलाकर देखे तो सस्ती लोकप्रियता छोड़, इस सरकार ने कुछ भी नहीं किया....रही बात स्थानीयता नीति की... तो मान लीजिये...जिस दिन रघुवर ने स्थानीयता नीति लागू की....उस दिन ये रघुवर, रघुवर न बनकर हनुमान की भूमिका में होगा और झारखंड के लोग रामायण का सुंदरकांड पढ़ रहे होंगे....यानी लंकादहन.....ऐसे भी रघुवर ने खुद ही कह दिया हैं कि उसे हनुमान बनने की इच्छा हैं......यानी जिस दिन लंकादहन की तर्ज पर झारखंडदहन होगा तो लंका तो लंकादहन के बाद भी बच गयी थी....झारखंड का क्या होगा?

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