
जरा सोनिया का बयान देखिये -- वो कहती हैं कि अन्ना पर व्यक्तिगत हमले नहीं होने चाहिए। सोनिया ये बतायें कि अऩ्ना पर व्यक्तिगत हमले कौन कर रहा हैं। अन्ना को भगोड़ा कौन कह रहा हैं, संघ का एजेंट कौन कह रहा हैं। गर नहीं उसे बूझा रहा तो ऐसी नेता को हम क्या कहें। जरा बेनी प्रसाद वर्मा का बयान देखिये -- ये कह रहे हैं कि अन्ना भाजपा के एजेंट हैं, और भारत पाक युद्ध के समय के भगोड़े भी हैं, तो बेनी जी, भारत सरकार और जिस सरकार में आप भी अपनी गाल लाल कर चुके हैं, बैठ कर क्या कर रहे थे, इसी दिन का इंतजार कर रहे थे क्या, कि कब सोनिया माता की जय बोलने का अवसर मिले, कब अपना सर राहुल के चरण कमलों पर रखने का मौका मिले। गर ऐसा हैं तो आपने सिद्ध कर दिया हैं - राहुल और सोनिया आप की हो गयी, क्योंकि आपने तो ऐसा बयान दे दिया कि आपने पागलपन में दिग्विजय और मणीष तिवारी को भी पीछे छोड़ दिया। इधर कांग्रेसियों को कहीं से पुराना चित्र मिल गया हैं, जिसमें नानाजी देशमुख के साथ अन्ना हजारे का फोटो हैं। इस पर वे बावेला मचाये हुए हैं और अपने कांग्रेस भक्त पत्रकारों को कह रहे हैं कि वे इस मु्ददे को उछालकर, अन्ना की हालत खराब कर दें, पर उन्हें पता नहीं कि जिसका जितना विरोध होता वो उतना ही शक्तिशाली बनकर उभरता हैं। मैं पूछता हूं कि --- नानाजी देशमुख की समाजसेवा व देशभक्ति पर कोई अंगूली उठा सकता हैं क्या। संघ क्या देशद्रोहियों की संस्था हैं क्या, गर संघ देशद्रोहियों की संस्था हैं, तो अटल बिहारी वाजपेयी तो संघ के प्रचारक भी थे, वो तो प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गये। आपके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, हाल ही में उनके जन्मदिन पर, उनके घर पर पहुंचकर शुभकामनाएँ भी दी, तो क्या देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी संघ के एजेंट हैं क्या। देश के पूर्व प्रधानमत्री लाल बहादुर शास्त्री से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी संघ पर कई सकारात्मक टिप्पणी की हैं तो वे सभी संघ और भाजपा के एजेंट थे क्या। पता नहीं आजकल के नेताओं को क्या हो गया हैं, कि सभी संघ - संघ चिल्ला रहे हैं, गर संघ से इतनी ही चिढ़ हैं तो तुम्हारे पास सत्ता हैं, कर क्या रहे हो, औरंगजेब और बाबर की तरह संघ के कार्यालय जहां जहां हैं - ढहवां दो, प्रतिबंध लगा दो, संघ के लोगों को रासुका के तहत जेल में डलवा दो, पर ये भी तुम नहीं कर सकते, क्योंकि आपकी औकात यहां की जनता जिसके पास शर्म और हया बची हैं, वो जानती हैं। आपके घटियास्तर के बयानों के आधार पर ही शायद आप जैसे नेताओँ को छुटभैया, रीढ़विहीन, दलाल, राजनीतिबाज, चिरकुट आदि नामों से विभूषित किया जाता हैं।
और अब मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी का बयान देखिये जो यहां की सभी अखबारों में छपा हैं, उनका बयान ही बताता हैं कि उन्हें भी अन्ना के आंदोलन से चिढ़ और कांग्रेस को पुनः सर्वत्र स्थापित करने में कितनी दिलचस्पी हैं। उनका बयान मैंने एक अखबार में पढ़ा -- पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ अभियान करने के टीम अन्ना के प्रस्ताव के औचित्य और नैतिकता पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने रविवार को चेतावनी दी कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के रास्ते में जो कुछ भी आयेगा, उसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। सवाल ये हैं कि टीम अन्ना के कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन चलाने पर चेतावनी देने वाले, कुरैशी कौन होते हैं। उनका काम हैं चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से कराना। पर उन्हें अन्ना या अन्ना की टीम ऐसा करने से रोक रही हैं क्या और गर कोई गलत करेगा, तो उसके खिलाफ कानून अपना काम करेगा। आप संवाददाताओं के माध्यम से टीम अन्ना को धमकाना चाहते हैं कि वे कांग्रेस के खिलाफ बोलने से बचे। आजतक किसी मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस प्रकार से किसी समाजसेवी के खिलाफ बयान नहीं दिया पर इन्होंने बयान देकर बता दिया कि आखिर इनके मन में क्या हैं। सवाल तो ये भी उठता हैं कि उधर कांग्रेस धर्म आधारित आरक्षण की घोषणा करती हैं, और ठीक तुरंत बाद ये पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा करते हैं, आखिर ये सब क्या हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। हमें तो लगता हैं कि देश में हर चीज का कांग्रेसीकरण हो गया हैं, जो देश के लिए खतरा हैं। लोकतंत्र के लिए खतरा हैं, जरुरत हैं एक और लोकनायक जयप्रकाश की, जो ऐसी कांग्रेसी सत्ता को धूल चटाने और चुनाव आयोग जैसी संस्था और देश में अन्य प्रशासनिक विभागों में फैलें कांग्रेसी भूतों से देश को मुक्त कराये। हमें लगता हैं कि अब देर नहीं, जल्दी ही वो दिन आयेगा, जब देश कांग्रेसियों के अत्याचार और शोषण से, विदेशी ताकतों के कुचक्रों से, मुक्त होगा, बस थोडी़ मेहनत और लगन से देश सेवा करने की हैं।