Sunday, February 13, 2011

मौसम झारखंड का...!

झारखंड यानी वनों से आच्छादित प्रदेश...

इन दिनों इस प्रदेश में गजब का दृश्य दिखाई दे रहा हैं, गर आप प्रकृतिप्रेमी हैं तो देर मत करिये और आज ही घने जंगलों की ओर प्रस्थान करें, क्योंकि फिर ये दृश्य आपको देखने के लिए, पूरे एक वर्ष इंतजार करने पड़ेंगे, जब से सभी ऋतुओं ने रितुराज वसंत का पिछले 08 फरवरी को शानदार स्वागत किया, तभी से चुपके से पतझड़ ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। जंगलों से आच्छादित इस प्रदेश में वनों के पुराने और सूखे पत्तों ने चुपके से, डालियों से अलग हो जाना उचित समझा और पेंड़ों से अलग होने लगे, ऐसे में कौन पेड़ पूरी तरह से पत्तियों से विहीन हो गये और किसमें नये नये पत्ते कब आकर लग गये, पता ही नहीं चला, हालांकि किसी किसी वृक्षों में पुराने और सूखे पत्तों का गिरना अथवा अलग होना जारी है, साथ ही उसमें नये पत्तों का विकसित होने का क्रम जारी हैं, इसी क्रम ने पूरे झारखंड की आबोहवा और उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिये हैं, गर हमसे कोई पूछे कि रांची अथवा झारखंड घूमने का सबसे सुंदर, समय कौन सा है, तो लगता हैं कि प्रकृति भी ये कह देगी कि बस अभी और अभी, क्योंकि अब वक्त भी नहीं है। इन पत्ती विहीन वृक्षों और नये नये पत्तियों से युक्त हो रहे वृक्षों से सूर्य की किरणों की अठखेलियां करना देखते ही बन रहा हैं, यहीं नहीं इन डालियों से होकर चलनेवाली हवाएं भी बहुत कुछ कह दे रही हैं ----------------- कि क्या तुमने झारखंड में ही रहकर, इस अलौकिक दृश्य को देखा हैं अथवा इस समय को भी आम दिनों की तरह बीता देना है ------------------------------------------
कवियों की कल्पना भी, इस समय अपना मुंह खोल रही हैं, कुछ बोल रही हैं -----
आया मौसम पतझड़ का,
आओ मुझमे खो जाओ,
जीवन के सार तत्व को,
प्रकृति संग तुम पा जाओ,
आना जाना लगा रहता हैं,
ये सूखी पत्तियां कहती हैं,
नव पल्लव को शुभाशीष दें,
खुद आगे बढ़ जाती हैं,
तुम भी नये लोगों को,
ऐसे स्थान देते जाओ,
और, उन्हें आशीष दे,
खुद भी आगे बढ़ते जाओ।



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