Monday, March 12, 2012

बिना नंबर की गाड़ी पर सवारी करते हैं -- झारखंड के नेता - मंत्री


एक गाना हैं -- मैं चाहे ये करु, मैं चाहे वो करु, मेरी मर्जी.....। शायद इस गाने का असर झारखंड के नेताओं और मंत्रियों पर कुछ ज्यादा ही सर चढ़ कर बोल रहा हैं। ये बातें, मैं इसलिए लिख रहा हूं कि आजकल इन नेताओं ने बिना नंबर की गाड़ी पर चढ़ने की ठान ली हैं, और ऐसा ये करते भी हैं। बिना नंबर की गाड़ी पर ये बड़ी शान से सवारी करते हैं और इसी क्रम में बिना नंबर की गाड़ी पर ये विधानसभा तक चले आते हैं। इन्हें ये भी नहीं महसूस होता कि जहां कानून बनता हैं, कम से कम वहां तो कानून का सम्मान करें। यहीं नहीं बिना नंबर की सवारी करनेवाले इन नेताओं को पुलिस सजा भी नहीं देती, बल्कि उनका सम्मान करते हुए, उनकी बिना नंबर की गाड़ी को प्रोटेक्शन देने से भी नहीं चुकती। वो पुलिस जो सामान्य जनता को बेइज्जत करने में फक्र महसूस करती है। आपको याद होगा कि बिना हेलमेट की सवारी करनेवाले युवाओं को रांची पुलिस ने माला पहनाने का काम शुरु किया था, यहीं नहीं एक वरीय पुलिस अधिकारी ने तो अपने पाकेट से एक सौ रुपये निकालकर पर्ची भी कटवाने की दरियादिली दिखाई थी, पर ये दरियादिली कानून तोड़नेवाले नेताओं, मंत्रियों व विधायकों पर क्यों नहीं दीखता। क्या कानून सिर्फ सामान्य जनता को पालन करने के लिए बना हैं। क्या इन नेताओं की बिना नंबर की गाड़ी कानून तोड़कर, झारखंड की शान बढ़ा रही हैं। क्या इन नेताओं की बिना नंबर की गाड़ी से गैरकानूनी कार्य होने का खतरा नहीं हैं। गर हैं तो उन्हें सजा कौन देगा। जब हमने इसी मुद्दे को विधानसभाध्यक्ष के समक्ष उठाया था। तब उन्होंने कहा था कि कानून का पालन सबको करना चाहिए। वे चाहेंगे कि कानून का पालन सभी माननीय विधायक और मंत्री करें और इस मुद्दे को वे विधानसभा में खुद उठायेंगे, पर किसी कारणवश उन्होंने भी नहीं उठाया, पर आशा करेंगे कि वे इस मु्द्दे को विधानसभा में उठायेंगे।
पांच मार्च को जब विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ हुआ तो मैंने देखा कि राज्य के उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो बिना नंबर की गाड़ी पर सदन पहुंचे, पर आज यानी 12 मार्च की जो स्थिति थी, वो और विकट थी। विना नंबर की गाड़ी से विधानसभा पहुंचनेवालों में उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ही नहीं, बल्कि उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, संसदीय कार्य मंत्री हेमलाल मुर्मु, कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल, परिवहन मंत्री चंपई सोरेन, सत्तापक्ष के झामुमो विधायक विष्णु भैया, विधायक बंधु तिर्की, झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव भी शामिल थे। यानी समझा जा सकता हैं कि कानून तोड़ने में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने तेजी दिखाई हैं। आम तौर पर बिना रजिस्ट्रेशन के गाडी़ चलाने पर एमभी एक्ट 192 के तहत कम से कम 2000 रुपये और अधिकतम 5000 रुपये जुर्माना हैं। पर आज तक इन नेताओं व मंत्रियों से किसी ने भी जुर्माने नहीं वसूले। भला मंत्री जी हैं, नेताजी हैं, विधायक जी हैं, इनसे जुर्माना कौन वसूले। झारखंड में मनचाही जगह रहनी हैं तो इनकी आरती उतारनी ही होगी, इनके आगे ता ता थैया करना ही होगा। इसलिए सभी कानून को ठेंगा दिखाकर, अपने ढंग से काम कर रहे हैं, और रही बात जनता की, तो जनता होती ही हैं, कटने के लिए और नेता आनन्द की पराकाष्ठा का परमसुख भोगने के लिए।

1 comment:

  1. Netajee ke liye Kanoon koi mayne nahi rakhta, Aur kare v to Kyon Nahi, hamri kanoon byabstha me v itni himmat nahi hai ki wo netajee ke bina number wali gadi ko roke ke dikha de!

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