Wednesday, March 7, 2012

गुंडों को क्या हैं, हाथी से उतरे, साईकिल पर चढ़ गये ---------------


देश की नजर, 6 मार्च को होनेवाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों पर थी, पर मेरी नजर ज्यादातर उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम पर थी, कि वहां की जनता क्या जनादेश देती हैं। जनता ने जनादेश दे दिया। पिछली बार मायावती की झोली भर दी थी, इस बार मुलायम की झोली भर दी। ऐसी झोली भर दी कि पांच सालों तक कोई किच किच न हो। कोई राजनीतिज्ञ उलाहना न दे कि जनता ने जनादेश तो दिया पर बहुमत नहीं। अब लो दे दिया, काम करो। इसके पहले बहुमत मायावती को दिया, पर मायावती को अपनी मूर्ति और हाथी को सजाने से, वक्त ही नहीं मिला कि वो उत्तर प्रदेश के बारे में सोचे। मायावती तो जानती हैं कि यूपी के दलित, हाथी को छोड़कर, दूसरे पर बटन दबा ही नहीं सकते और रही बात पंडितों और मुस्लिमों की, तो पंडितों को दक्षिणास्वरुप विधानसभा की टिकट और मुस्लिमों को भाजपा का भय दिखाकर, फिर से सत्ता हासिल कर लेंगे, पर ऐसा हो न सका। बसपा का नारा -- चढ़ गुंडे की छाती पर, बटन दबेंगी हाथी पर और ब्राह्मण शंख बजायेगा, हाथी दिल्ली जायेगा। काम नहीं आया और हाथी लखनउ तक, ही सिमट गया। इधर समाजवादी पार्टी की बल्ले बल्ले हैं, जनता ने पूर्ण बहुमत दे दिया। बांछे खिल गयी। बहुमत की बात तो समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने सपने में भी नहीं सोची होगी, पर आज बहुमत हैं। न कांग्रेस को मनाने का झंझट और न निर्दलीयों के आगे घूटने टेकने की जरुरत। बस सब बम - बम हैं। भाई यूपी की जनता ने एक बार भाजपा को भी पूर्ण बहुमत दे दिया था, पर राम मंदिर की आस्था और मंदिर निर्माण की दृढ़संकल्पिता, उसे कहीं की नहीं रखी और भाजपा आज तीसरे नंबर पर आकर अटक गयी। लगता हैं कि भाजपा फिर कभी सत्ता में नहीं आयेगी। लेकिन देश की राजनीति ऐसी हैं कि कब कौन उछलकर मुख्यमंत्री पद पर चला जायेगा या किस की फिर से बहुमत आ जायेगी, कहां नहीं जा सकता। एक समय था कि लोग जनसंघ( अब भाजपा ) और उसके नेताओं के बारे में बोलते थे कि ये पार्टी कभी सत्ता में नहीं आयेगी, पर ये पार्टी देश की बागडोर भी संभाली, कई प्रदेशों में इनकी सरकार हैं, इसलिए इस पर बोलना व लिखना बेकार हैं।
इधर जब जनादेश का परिणाम आ रहा था, तब देश के राष्ट्रीय समाचार पत्रों व राष्ट्रीय चैनलों में कार्यरत कांग्रेस भक्त पत्रकार, जो कल तक यूपी में कांग्रेस की शानदार सफलता का दंभ भरते आ रहे थे। अपना चेहरा छुपाते नजर आये। कुछ ऐसे बेशर्म कांग्रेस भक्त पत्रकार भी थे, जो बेशर्मी की सारी हदें पारकर, अपना चेहरा बार - बार चैनलों पर दिखा रहे थे। खैर कांग्रेस का जो होना था। हो गया। कांग्रेस पार्टी आज भी परिवारों की पार्टी हैं। हाई - फाई पार्टी हैं। जिसमें जनता की भागीदारी कम, नेताओं के खानदानों की भागीदारी ज्यादा होती हैं, और परिणाम सबके सामने हैं।
समाजवादी पार्टी -- नाम कितना सुंदर। समाज की बात करनेवाली यानी सामाजिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, देश व समाज को आगे ले जानेवाली पार्टी। पर क्या लगता हैं कि इस पार्टी से उत्तरप्रदेश का भला होगा। आज तो देश के सभी समाचार पत्रों में बड़े बड़े संपादक, और अन्य स्तंभकार, मुलायम पुत्र अखिलेश की जय जय कर रहे हैं। चाटुकारिता की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। मुलायम को सही युवराज बता रहे हैं। राहुल पर फब्तियां कस रहे हैं। ये लिखनेवाले और बोलनेवाले वो लोग हैं, जो लाखों नहीं, करोड़ों में खेलते हैं। जो यूपी की गांवों और गलियों का इतिहास भूगोल भी नहीं जानते, पर बता रहे हैं कि यूपी को अखिलेश यादव नया मार्ग दिखायेंगे, अब यूपी बहुत आगे निकल जायेगा। सपा दिल्ली में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। हां हां क्यों नहीं निभायेगी, जनता ने भूमिका निभाने के लिए ही तो जनादेश दिया हैं। पर आज अखिलेश के आगे नतमस्तक होकर, अखिलेश यादव की चरणवंदना करनेवाले ये सारे पत्रकार, जब कांग्रेस दूसरे या तीसरे नंबर पर अथवा अपनी सीटें पूर्व के विधानसभा चुनाव के मुकाबले दुगनी कर लेती तो फिर देखते क्या होता। ये सारे के सारे पत्रकार राहुल शरणं गच्छामि कहकर, राहुल गांधी की चरणवंदना में लगे रहते। हम आपको ये भी बता दें कि भारतीय राजनीति और यहां की जनता कैसे जनादेश देती हैं, वो सबको पता हैं.............कल विदेशियों के हाथ में गर ये सत्ता सौंप दें तो इस पर भी किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि यहां किसे अपने देश और समाज की बढ़ोतरी की चिंता हैं, सभी अपने आप में लगे हैं। समाजवादी पार्टी को ही ले लो। ये समाजवाद की बात करते हैं। इंदिरा गांधी के शासनकाल के समय परिवारवाद की आलोचना करनेवाले इन समाजवादियों से पूछों कि तुम आज क्या कर रहे हो। जरा देखो -- मुलायम सिंह यादव, सांसद हैं अब मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, बेटा अखिलेश यादव खुद सांसद हैं और मुलायम की बहु डिंपल ये भी सांसद बनने जा रही थी, पर जनता ने इन्हें जिताकर नहीं भेजा, गर भेज देती तो ये भी सांसद होती। जिस पार्टी की सोच, अपने परिवार पर आकर सिमट जाती हैं, वो समाजवादी कैसे हो सकता हैं। सवाल ये हैं।
सवाल ये भी हैं -- कि जिस पार्टी ने अभी सत्ता संभाला नहीं हैं। अभी तक अपना नेता चुना नहीं हैं। ये अलग बात हैं कि मुलायम ही मुख्यमंत्री होंगे और इनके बाद इनके बेटे, कांग्रेस की तरह अपनी पार्टी का झंडा ढोयेंगे, यूपी संभालेंगे। जब चुनाव परिणाम आते ही इनके गुड़ों ने अपनी औकात दिखानी शुरु कर दी तो आनेवाले समय में क्या होगा। क्या लोगों को मालूम नहीं कि गुंडों का क्या हैं, हाथी से उतरे और साईकिल पर चढ गये। समाजवादी पार्टी के लोगों ने क्या गुंडागर्दी दिखायी हैं जरा देखिये --- सपा के बहुमत की खबर आते ही यूपी के दस शहरों में सपा के गुंडों ने बवाल काटे। यूपी के संभल में सपा प्रत्याशी की जीत पर जीत में बौराएं गुंडों ने गोलियां चलायी, एक बच्चे की मौत हो गयी। झांसी में सपाईयों ने पत्रकारों को बाथरुम में बंद कर घंटों बंधक बनाये रखा। मेरठ, फैजाबाद, आगरा, संभल में स्थिति ऐसी हो गयी कि आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े। ये तो शुरुआत हैं, अभी पांच साल बाकी हैं। आप मानकर चलिये, कि सपा के राज में क्या होने जा रहा हैं............। पर इसके बावजूद हम चाहेंगे कि यूपी, अन्य विकसित हो रहे प्रदेशों की तरह विकसित हो, लेकिन ऐसा नयी सरकार कर पायेगी, क्योंकि गुंडे साइकिल पर बैठकर अभी से ही इतनी तेजी दिखा दी कि सारे सपने ही टूटते नजर आ रहे हैं। हां एक खुशखबरी हैं -- कांग्रेस व सपा भक्त पत्रकारों के लिए, कि वे मुलायम और अखिलेश का चरणवंदना कर अपनी किस्मत आजमायेंगे और अपने हिस्से का यूपी लूटकर, मुलायम और मुलायम के परिवार की तरह समाजवाद का असली चरित्र पत्रकारिता में दिखायेंगे।

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