उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बहुमत है। ये वहीं पार्टी हैं जिसके स्वयंभू अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं। जिनका समाजवाद अपने परिवार से शुरु होता हैं और अपने परिवार पर ही खत्म होता हैं। जिन्होंने अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाया, खुद लोकसभा में सांसद हैं, अपने बहू को भी सांसद बनवा दिया हैं साथ ही अपने रिश्तेदारों को भी उपकृत किया हैं। फिलहाल इन्होंने और इनके बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूरे प्रदेश में ऐलान किया हैं कि उनकी पार्टी के विधायक ब्राह्मणों की कोई मदद नहीं करें, क्योंकि ब्राह्मणों ने पिछली बार बहुजन समाज पार्टी को वोट दिया था और ऐसे भी ये वर्ग मुलायम सिंह यादव यानी उनके परिवार की पार्टी के पक्ष में मतदान नहीं करता। इसका खुलासा इन्हीं के पार्टी के एक विधायक जो सुलतानपुर जिले के इसौली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीते हैं। जिनका नाम अबरार अहमद हैं, ने की हैं। ये खुलासा अबरार अहमद ने उस वक्त की, जब ब्राह्मणों का एक प्रतिनिधिमंडल अबरार अहमद से मिला। जिसने ताल ठोक कर कहा कि वो मुसलमान हैं और मुसलमानों के वोट से जीतकर आया हैं, कुछ हिंदु जाति के बैकवर्ड लोगों ने वोट दिया इस आधार पर वो चुनाव जीता, इसलिए वो ब्राह्मणों की कोई मदद नहीं करेगा। जब भी मदद करेगा तो वह मुसलमानों की मदद करेगा, क्योंकि वो मुसलमानों की वोट से जीतकर आया हैं, ऐसे भी उसके प्रदेश के नेता, पार्टी के नेता ब्राह्मणों की कोई मदद नहीं करे, इसकी घोषणा कर दी हैं, इसलिए अब तो ब्राह्मण भूल जाये कि यूपी में उनका कोई तारणहार भी हैं।
संविधान कहता हैं या जब कोई जनप्रतिनिधि विधायक बनता हैं तो वह शपथ लेता हैं कि वो बिना किसी भेदभाव के सारे लोगों की समस्याओं को सुनेगा और अपनी सेवा देगा, पर जब एक विधायक अपनी ही पार्टी के मुखिय़ा के इशारों पर काम करते हुए एक वर्ग के खिलाफ विषवमन करता हो तो इसे आप क्या कहेंगे। ऐसे भी उत्तर प्रदेश में गुंडागर्दी, व्यभिचार और अपराध सामान्य सी बात हैं और इन सारे घटनाओं को कौन अंजाम देता हैं, ये भी बात किसी से छुपी नहीं हैं। अखिलेश के कुर्सी पर पहुचते ही ये सारे लोग प्रसन्न हैं, क्यूं प्रसन्न हैं, कारण स्पष्ट हैं, अपनी सरकार हैं, अपने लोग हैं, खुलकर गुंडागर्दी करो, विषवमन करो, राज्य में सरकार अपनी, केन्द्र में भी ढुलमुल सरकार, जिसे समय समय पर समाजवादी पार्टी की जरुरत पड़ती हैं तो भला, उन्हें कौन रोकेगा, सच्चाई यहीं भी हैं।
इन समाजवादियों को भाजपा में सांप्रदायिकता दिखाई पड़ती हैं, पर इनके द्वारा फैलायी जा रही जातियता व साँप्रदायिकता कितनी खतरनाक हैं, वो किसी को दिखाई नहीं देता। पत्रकारों में भी बहुत सारे ऐसे वर्ग हैं जो कांग्रेस भक्त होने के साथ साथ मुलायम भक्त भी हैं, जिन्हें ये सब दिखाई नहीं देता। इन्हें तो सारी अच्छाईयां मुलायम और अखिलेश में ही दिखाई देते हैं, कारण कि इन पत्रकारों को उनके हक का हिस्सा आराम से पहुंचा दिया जाता हैं। इसलिए ये फिलहाल अपने हृदय में ऊं मुलायमाय नमः अथवा ऊं अखिलेशाय नमः का अक्षरशः जाप कर रहे हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में माई (मुस्लिम - यादव गठजोड़ ) समीकरण इस प्रकार आगे आया हैं कि इस आंधी से इस पार्टी ने पूरे प्रदेश के भाईचारे व एकता को प्रभावित कर दिया हैं। कम से कम हाल ही में सत्ता से बेदखल बसपा के शासनकाल में ऐसी स्थिति नहीं थी। आश्चर्य इस बात की हैं सत्ता के मद में ये दोनों समुदाय के लोग इस प्रकार से अऩ्य लोगों के जीवन को रौंद रहे हैं, जिससे लगता हैं कि यहां जीना दूभर हो गया हैं और एक बार फिर उत्तर प्रदेश जंगल राज की ओर बढ़ गया। साथ ही ये जंगल राज तब तक चलेगा, जब तक पांच साल के लिेए इन्हें मिला निबंधन पत्र की अवधि समाप्त नहीं हो जाती।
जो लोग लालू के शासन को बिहार में देखे हैं, साथ ही लालू का वो शासन का रसास्वादन करना चाहते हैं तो फिर उन्हें यूपी का रुख कर लेना चाहिए। सब कुछ वैसा ही हैं। नया कुछ भी नहीं हैं। और ये मानकर चलिए कि इन पांच सालों में वो सब कुछ होगा, जिसे एक सभ्य समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता। ऐसे भी इधर ब्राह्मणों को गालियां देना इस देश में फैशन हो गया हैं। हिंदू समाज तो गालियां देता ही हैं अब मुस्लिमों की भी बन पड़ी हैं, वे भी मुलायम और अखिलेश जैसे नेताओं के इशारे पर गालियां देते हैं। कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को मार मार कर वहां का मुस्लिम समुदाय भगा दिया, पर मुलायम और अखिलेश को उनका दर्द सुनायी नहीं पड़ता, क्योंकि इन्हें तो ब्राह्मण वोट नहीं देता, भला ये ब्राह्मणों की क्यों सोचे। ये दलितों की भी क्यों सोचे, क्योंकि ये दलित तो बसपा को वोट देते हैं। ये तो सिर्फ यादवों और मुस्लिमों की वोट से जीतकर आये हैं, इसलिए पांच साल तक यादवों और मुस्लिमों की बल्ले बल्ले........। जहां के नेताओं की इस प्रकार की घटिया सोच होती हैं उस देश का किसी भी काल में भला नहीं हो सकता वो हमेशा ही गुलाम था, गुलाम हैं और गुलाम ही रहेगा, क्योंकि गुलामी तो मानसिकता में होती हैं और वो गुलामी मानसिकता तो आज भी बाप -बेटे और उनके चाचा आजम खान में दिखाई पड़ ही जाती हैं। इसलिए हे अखिलेश, हे मुलायम, हे आजम। जमकर यूपी का बंटाधार करो, तुम्हारे लोगों ने पांच साल की रजिस्ट्री तुम्हारे नाम से कर दिया हैं और हां याद रहे बिहार और गुजरात की तरह, यूपी को विकास के पथ पर मत लाना, क्योंकि गर तुमने ऐसा किया तो तुम्हारी नाक कट जायेगी।
Great thought. Wakai Mulayam aur Akhilesh ka bahut jald hi bhala ho jayega..
ReplyDelete