Friday, December 21, 2012

बिहार के मुख्यमंत्री अहंकारी नीतीश क्या जाने, किसी का सम्मान कैसे किया जाता हैं...........................

गुजरात में नरेन्द्र मोदी ने शानदार तरीके से एक बार फिर सत्ता हासिल की हैं। गुजरात की छः करोड़ जनता ने एक बार फिर उन पर विश्वास किया और विपक्षियों के लाखों - करोड़ों आरोपों को दरकिनार करते हुए, नरेन्द्र मोदी को अपना हीरो चुना। इसमें कोई दो मत नहीं कि वे आनेवाले समय में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार है और यहीं प्रबल दावेदारी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आंखों की नींद गायब कर दी हैं। वे इतने सदमे में हैं कि वे मर्यादा तक भूल गये हैं। बिहार में एक कहावत हैं - हम अपने दुश्मनों को भी उंचा पीढ़ा देते हैं, पर इसे देखिये। सामान्य तौर पर, लोग जो शिष्टाचार निभाते हैं। ऐसे अवसरों पर बधाई देते हैं। इसने नरेन्द्र मोदी को बधाई देना भी उचित नहीं समझा। अरे आप नरेन्द्र मोदी को बधाई दो या मत दो। उसे क्या फर्क पड़ता हैं। ऐसे थोड़े ही ना हैं कि वो आपकी बधाई की लालसा पाले हुए हैं। वो तो अच्छी तरह जानता हैं कि आप क्या हो। कल तक गाली देने में आगे थे, तो आज भी गाली ही दो। तुम्हारे मुंह से यहीं अच्छा लगता हैं। जो नीतीश को जानते हैं, वे उनके कैरेक्टर को भी जानते हैं। नीतीश भारतीय राजनीति में अहंकारी पुरुष थे, और रहेंगे। समय आने पर लालू की तरह इनका भी अहंकार मिट्टी में मिल जायेगा और जो सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते हैं, कुशासन बाबू कहाने में भी देर नहीं लगेगा।
बिहार - एक अनोखा प्रदेश। यहां एक से एक शूरवीरों ने जन्म लिया। जिनकी यशोगाथा आज भी पूरे विश्व में देखी और सुनी जाती हैं, पर पिछले बीस पच्चीस वर्षों से इस बिहार में एक से एक मसखरे और अहंकारी दिखाई पड़ रहे हैं, जिनके कुकृत्यों से बिहार पर अंगूलियां उठायी जा रही हैं। ऐसे भी बिहार और बिहारी क्या हैं। इसके बारे में गर जानना हैं तो बिहार से अलग, आप किसी भी प्रदेश में जाकर बिहारियों के बारे में पूछे, तो पता चल जायेगा। एक नारा, बिहारियों के लिए, जो हर जगह सुनायी देती हैं वो हैं -- एक बिहारी, सौ बिमारी। 
क्या सचमुच एक बिहारी, सौ बिमारी के बराबर हैं, या लोग ऐसे ही कह देते हैं।
सबसे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित बिहार के लोग के बारे में क्या कहती हैं, वो सुनिये --  बिहार और यूपी से आये लोगों ने दिल्ली को गंदा करके रख दिया हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिव सेना के लोग तो बिहारियों को देखना ही पसंद नहीं करते और इसका मौन समर्थन करते हैं, महाराष्ट्र के कांग्रेसी नेता व वहां के मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चौहान। देश के पूर्वी भाग असम और दक्षिण के चेन्नई और बंगलौर में तो ये बिहारी कई बार मार खाकर लौट आते हैं। क्यों मार खाते हैं। ये बताने की जरुरत नहीं। इधर बिहार में लालू और अब नीतीश के शासन को झेल रहे बिहारी समझते हैं कि नीतीश के आने के बाद, बिहार का सम्मान बढ़ा हैं, बिहार तेजी से विकास कर रहा हैं। तो इन मूर्खों को कौन समझाये कि जो नयीं लेटेस्ट रिपोर्ट आयी हैं विकास की। उसमें एक नंबर पर छोटा सा प्रदेश - सिक्किम हैं। जो आज तक अपने लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग तक नहीं की हैं। जबकि बिहार का मुख्यमंत्री नीतीश हमेशा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की भीख मांगा करता हैं, जबकि यहीं शख्स जब केन्द्र में सरकार में शामिल था, तो तत्कालीन बिहार की मुख्यमंत्री रावड़ी देवी के इस मांग पर ही अंगूली उठा दी थी। हाल ही में जब महाराष्ट्र में एक बिहारी युवक की निर्मम हत्या कर दी गयी थी। नीतीश ने इस पर अपना बयान जारी किया था कि एक छोटी सी मुर्गी पर तोप छोड़ दिया गया, पर इसी नीतीश ने जब महाराष्ट्र का दौरा किया तो वह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेताओं व कार्यकर्ताओं से डरते हुए अपने भाषण की शुरुआत ही, जय महाराष्ट्र से की।
आज भी नीतीश बिहार में उद्योग लगाने के लिए, देश के उद्योगपतियो से चिरौरी करते हैं, पर कोई भी उद्योगपति बिहार में उद्योग लगाना पसंद नहीं करता। पर गुजरात को देखिये। वहां के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्या किया। बंगाल में नैनो पर ग्रहण लगा और उसने गुजरात में नैनो का प्रोडक्शन करा, दिखा दिया कि थॉट क्या हैं। गुजरात के सैकड़ों कपड़ा मिलों और अन्य संस्थानों में आज भी बिहारी मजदूर शान से काम करते हैं। इन बिहारी मजदूरों को गुजरात और गुजरातियों से कोई शिकायत तक नहीं। ये चुनावों में भी भाग लेते हैं और नरेन्द्र मोदी को अपना हीरो मानते हैं, पर नीतीश को देखिये।
नीतीश धर्मनिरपेक्षता का सर्टिफिकेट बांटते हैं। ये धर्मनिरपेक्षता के सर्टिफिकेट का दुकान पटना और दिल्ली के जदयू कार्यालय में खोले हुए हैं। बिहार में भाजपा के वैशाखी पर शासन कर रहे हैं और भाजपा को ही समय - समय पर गीदड़भभकी और बंदरघुड़की दिखाते रहते हैं। बिहार के अल्पसंख्यकों को ये दिखाऩे के लिए की, वे लालू से ज्यादा सेक्यूलर हैं, अल्पसंख्यक उनकी पार्टी को भूले नहीं, इसलिए समय - समय पर नरेन्द्र मोदी को नीचा दिखाने का कोई कसर नहीं छोड़ते। इस बार तो उन्होंने मर्यादा को ही ताक पर रख दिया। सामान्य तौर पर देखा जाता हैं कि कोई भी व्यक्ति गर शीर्ष पर पहुंचता हैं या कोई विजयी होता हैं तो उसका घुरविरोधी भी उसको बधाई देने के लिए पहुंच जाता हैं। पर ये संस्कारवान अथवा चरित्रवान व्यक्ति ही कर सकता हैं। सामान्य नहीं। 
कल गुजरात में चुनाव परिणाम निकले। गुजरात परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष जो पूर्व में भाजपा में रहकर, गुजरात का बागडोर संभाल चुके हैं। भाजपा को चुनौती दी, बुरी तरह हार गये। पर नरेन्द्र मोदी को देखिये, चुनाव जीतने के बाद, वे उनके घर जाते हैं, उनका पांव छूते हैं। पर नीतीश को देखिए, अहंकार में चूर हैं। नरेन्द्र मोदी को बधाई तक नहीं दिये हैं। उनके पिछलग्गू नेता इस पर बयान देते हैं कि नीतीश जी बहुत व्यस्त हैं, इसलिए वे बधाई नहीं दे पाये। जैसे लगता हैं कि नीतीश जी के पास दो सेंकेंड का भी समय नहीं हैं। जैसे लगता हैं कि नीतीश को शौचालय जाने तक का समय नहीं हैं, या दिनचर्या के दौरान नीतीश जी मुंह भी नहीं धो पा रहे हैं और न ही नहा रहे होंगे। अरे पिछलग्गूओं साफ कहो कि नीतीश को नरेन्द्र मोदी की जीत रास नहीं आ रही हैं। उसे लग रहा हैं कि विकास को लेकर और आनेवाले समय में प्रधानमंत्री पद को लेकर, उसका कोई घुरविरोधी सामने हैं तो वो नरेन्द्र मोदी हैं, जिसके कारण वो इतना जल भून गया हैं कि उसे मर्यादा तक याद नहीं रही। ऐसे नीतीश ही बिहार की कब्र खोदेंगे। क्योंकि जिसके पास मर्यादा, चरित्र व संस्कार नहीं, वो बिहार को क्या सम्मान दिलायेगा। ये तो बेशर्मी की हद हैं। इसने तो बिहार के दस करोड़ जनता का अपमान कर दिया हैं। बिहार की तो परंपरा रही हैं कि अपने दुश्मनों को भी आगे बढ़कर स्वागत करने का, पर इस नीतीश ने तो सारी मर्यादाएं लांघ कर बता दिया कि वो सिर्फ और सिर्फ बिहार के सम्मान पर दाग लगाने के लिए सत्ता हासिल की हैं। भाजपा को चाहिए कि अपने पीठ पर जो नीतीश को उसने सवार कर रखा हैं, उसे उतार कर फेंके नहीं तो ये खुद तो जायेगा ही, भाजपा की भी कब्र खोद देगा।

1 comment:

  1. Aap ne bilkul sahi farmaya hai, Vinash kale viprit buddhih!
    Nitish ko bahut ghamand ho gaya hai. uska phal unko jald hi milega...
    Aap ne sach kaha hai ki nitish ne Bihari hi nahi samast Bharat ko loktantrik parmparaon ko upman kiya hai.

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