शनिवार को सुबह, मैं जैसे ही जगा। एक बुरी खबर, मेरे कानों को सुनाई दी। 16
दिसम्बर को सामूहिक दुष्कर्म की शिकार 23 वर्षीया लड़की अब दुनिया में
नहीं रही। सारा देश हतप्रभ था। देश की बहादुर बिटिया चल बसी। उसके साथ हुए
अमानुषिक कुकृत्य ने पूरे देश को अंदर से झकझोर दिया था। दिल्ली क्या, दूर
गांवों में भी इसकी गूंज सुनाई दी। सभी ने एक स्वर से मांग किया कि
दुष्कर्मियों को कठोर से कठोर सजा मिले। संसद में भी इसकी शोर सुनाई दी।
सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री जया भादुड़ी तो इस घटना से इतनी मर्माहत हुई कि
वो रो पड़ी, पर इसी संसद में कांग्रेस का एक ऐसा भी नेता था, जो संसदीय
कार्य मंत्री होते हुए भी इस घटना के समय़, संसद में चल रही बहस के दौरान
हंस रहा था। जिसका नाम था -- राजीव शुक्ला। वो स्वयं को पत्रकार भी समय -
समय पर कहा करता हैं। ऐसे तो नेता, नेता होता हैं। चाहे वो किसी भी पार्टी
का क्यों न हो। बेशर्मी में इसका रिकार्ड तोड़ना सामान्य व्यक्तियों के वश
की बात नहीं। हाल ही में कांग्रेस पार्टी का ही एक नेता संजय निरुपम, भाजपा
नेत्री स्मृति ईरानी को ठुमके लगानेवाली कह डाला था, वो भी टीवी बहस के
दौरान। इसी तरह राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने भी
नारियों के खिलाफ घटियास्तर की टिप्पणी कर डाली पर इससे भी आगे निकल गये
माकपा नेता अनीसुर्रहमान जिन्होंने प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को
लेकर ऐसी टिप्पणी कर डाली, जिसे सभ्य समाज कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
सवाल उठता हैं कि जब देश में सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ, स्वतः स्फूर्त आंदोलन प्रारंभ हो जाते हो। उसके बाद भी देश के नेताओं की मानसिकता में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता हो। नारियों के खिलाफ उनके बयान घटियास्तर के आते हो। साथ ही उक्त आंदोलन को दबाने के लिए नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जाते हो। ऐसे में हम इन नेताओं पर और उनकी पार्टियों से हम ये भरोसा क्यों रखे, कि ये सामूहिक दुष्कर्म की शिकार युवती को मरणोपरांत भी न्याय दिलायेंगे। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ये बयान कि, उनकी भी लड़किया हैं, और इस घटना से वे भी मर्माहत हैं, पर ये मर्माहत होने के बावजूद भी खुद बचने का प्रयास करते हो। उक्त लड़की को सिंगापुर इलाज के नाम पर, इसलिए ट्रांसफर करते हो, कि देश में ये मैसेज जाय कि सरकार, उसे बचाने के लिए हरसंभव प्रयास की हैं। ये जानते हुए भी कि उस लड़की की स्थिति यहां पर ही, इतनी बिगड़ गयी हैं कि उसे बचाया नहीं जा सकता, क्या दिखाता हैं।
जनता मांग कर रही हैं कि त्वरित न्याय के तहत इस दुष्कर्म कांड के आरोपियों को सजा दिलायी जाय, पर सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही। मैं तो कहता हूं कि जिन लोगों ने नारियों को सम्मान नहीं दिया हैं, जिनकी मानसिकता नारियों के प्रति कभी ठीक नहीं रहा, जिन्होंने हमेशा विवादास्पद बयान नारियों के खिलाफ दिया हो, क्या इन्हें ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। जिन नेताओं ने नारियों के खिलाफ घटियास्तर का बयान दिया हैं, क्या उन्हें इसलिए छोड़ देना चाहिए कि वे नेता हैं, या उन्हें भी दंडित करना चाहिए।
मेरा मानना हैं कि ये दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि हमारी नारियों के प्रति मानसिकता बदल गयी हैं। गलती खुद करें, और इसके लिए लड़कियों और नारियों के ड्रेस पर इल्जाम लगा दे। कमाल हैं, ऐसे कई कांग्रेसी-भाजपाई नेताओं के हास्यास्पद बयान, मीडिया में भरे पड़े हैं। जो इसके लिए लड़कियों के पोशाक को जिम्मेवार मानते हैं। मेरा मानना हैं कि जब इन नेताओं के मन में ही गंदगी भरी पड़ी हैं, जिसकी वे चर्चा नहीं करते, क्योंकि ये जानते हैं कि जैसे ही वे मन के अंदर, जागृत होनेवाली अपनी गंदी भावनाओं को देखेंगे, तो वे खुद शर्म से गड़ जायेंगे, पर हमें नहीं लगता कि इनकी जमीर इतनी मजबूत हैं कि वे शर्म से खुद मरेंगे, ये तो पैदा ही लिए हैं, हम सामान्य जन को जिंदा मार डालने के लिए। ये तब तक कुकर्म करेंगे, बयान देंगे, जब तक जिंदा रहेंगे, क्योंकि ये जानते हैं कि देश में जो भी हो रहा हैं, उससे वे परे हैं। इसकी आंच भी, उनके घरों तक नहीं पहुंचेगी। इसलिए आम जनता की इज्जत व आबरु जाये भाड़ में, हमें क्या पड़ी हैं। बस घटना घटेंगी। देखने जायेंगे। घड़ियाली आँसू बहायेंगे। अपने विवेकाधीन कोटे से कुछ रुपये दें देंगे और जनता तो मूर्ख हैं ही, ये छोटी - मोटी घटनाएं थोड़े ही याद रखेंगी, बस पांच साल के लिए फिर से चुनाव के बाद, अपनी सीटे आरक्षित करा लेंगे।
Krishna bhai yah kale Shaniwar ki baat bhar nahin hai. Yah vastav mein hamara mno-malinya hai jo upar ki baaton se nahin mitta hai..!
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