चाटुकारिता में आजतक ने देश के सारे चैनलों को पीछे छोड़ा, शीर्ष स्थान पर अपनी सीट बरकरार रखी। जी हां, ये सत्य हैं। अभी पूरे देश के सारे राष्ट्रीय चैनलों में एक-दो को छोड़कर, होड़ लगी हैं कि अरविंद केजरीवाल की चाटुकारिता में कौन किसको पीछे छोड़ता हैं। इसमें आज तक ने अपनी सीट पहले की तरह बरकरार रखी है। कल इस चैनल ने अरविंद की तुलना महात्मा गांधी से कर दी। इस चैनल ने इसके लिए रिचर्ड एटनबरो की गांधी फिल्म का सहारा लिया और व्ही. शांताराम की सुप्रसिद्ध फिल्म दो आंखे बारह हाथ का गाना - हम भलाई करे, वो बुराई करे, कभी बदले की न हो कामना गाने को अरविंद केजरीवाल के चरणों में समर्पित कर, स्वयं को धन्य - धन्य और भारतीय जनमानस के सामने ये भाव प्रस्तुत किया कि हे देशवासियों तुम्हारा तारणहार आ गया हैं।
याद करिए दूरदर्शन का जमाना, जब आज तक जैसे चैनल नहीं थे। इंदिरा जी का देहावसान हो चुका था। राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने थे। दूरदर्शन राजीव गांधी को मि. क्लीन के रुप में इस प्रकार प्रस्तुत करता था जैसे लगता था कि राजीव गांधी नहीं तो कोई नहीं और इसे लेकर सारा विपक्ष दूरदर्शन की आलोचना करने से नहीं चूकता। किसी ने तो इसी पर दूरदर्शन का नाम बदलकर राजीव दर्शन कर दिया था। ठीक उसी प्रकार आज तक चैनल का नाम केजरीवाल तक कर दिया जाय तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस चैनल ने हद कर दी हैं। चाटुकारिता व ठकुरसोहाती के ऐसे - ऐसे बोल, ये बंदा बोल रहा हैं, जैसे लगता हैं कि इसने आम आदमी पार्टी से करार कर लिया हो, कि वो उनकी पार्टी को आगामी लोकसभा में सदन में बहुमत दिलाकर रहेगा। जबकि सच्चाई ये हैं कि इस पार्टी ने अब तक कोई ऐसा कार्य नहीं किया जो अनुकरणीय हो। इस अरविंद केजरीवाल से भी बेहतर और ईमानदार, सादगी में जीनेवाले मुख्यमंत्री हैं पर ये उन्हें स्थान नहीं देता। सिर्फ हरे राम हरे राम वाली महामंत्र की जगह हरे अरविंद हरे अरविंद जपता रहता हैं और पूरे देश से जपवाने की काम करता हैं। जिससे देश की पत्रकारिता को लोग संदेह की नजरों से देख रहे हैं।
हम आपको बता दें कि जिस प्रकार से इस चैनल ने अरविंद की तुलना गांधी से कर दी, ऐसी तुलना तो लाल बहादुर शास्त्री जैसे ईमानदार व सादगी के महान पुरोधा की भी नहीं की गयी थी। गांधी की तुलना, अरविंद से करना, गांधी का भी अपमान है। गांधी एकता के सूत्रधार थे, ये अलग बात थी कि गांधी के रहते, भारत तीन टुकड़ों में बंट गया। दो देश बने - भारत और पाकिस्तान। पर अरविंद केजरीवाल की पार्टी में ऐसे - ऐसे घटिया स्तर के लोग हैं जो इस खंडित देश को और भी खंड-खंड करने में लगे हैं। मानवाधिकार की आड़ में कश्मीर को भारत से अलग करने की बात कहते है। विपरीत परिस्थितियों में देश की आन-बान और शान के लिए लड़ रहे हमारे सैनिकों के कार्यों की नुक्ताचीनी करते हैं। फिर भी देश भक्त कहलाते हैं। आश्चर्य हैं कि वातानुकूलित कमरों में बैठनेवाले आम आदमी पार्टी के घटियास्तर के नेता व आजतक के पत्रकारों को लज्जा नहीं आती। बड़ी ही बेशर्मी से आम आदमी पार्टी की जय जयकार में लगे हैं। भाई, भारत ऐसा देश ही हैं जहां पृथ्वी राज चौहान के समय जयचंद भी था, अकबर के शासनकाल में जब महाराणा प्रताप अकबर से लोहा ले रहे थे तो उसी वक्त मान सिंह भी मौजूद था। तो ऐसे समय में वर्तमान स्थिति में ऐसे लोग भी दिखाई पड़ रहे हैं तो क्या गलत हैं। फिर भी जो महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान को माननेवाले लोग हैं, उन्हें ध्यान रखना होगा कि इस बार जयचंदों की फौज जीत न सकें।
याद करिए दूरदर्शन का जमाना, जब आज तक जैसे चैनल नहीं थे। इंदिरा जी का देहावसान हो चुका था। राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने थे। दूरदर्शन राजीव गांधी को मि. क्लीन के रुप में इस प्रकार प्रस्तुत करता था जैसे लगता था कि राजीव गांधी नहीं तो कोई नहीं और इसे लेकर सारा विपक्ष दूरदर्शन की आलोचना करने से नहीं चूकता। किसी ने तो इसी पर दूरदर्शन का नाम बदलकर राजीव दर्शन कर दिया था। ठीक उसी प्रकार आज तक चैनल का नाम केजरीवाल तक कर दिया जाय तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस चैनल ने हद कर दी हैं। चाटुकारिता व ठकुरसोहाती के ऐसे - ऐसे बोल, ये बंदा बोल रहा हैं, जैसे लगता हैं कि इसने आम आदमी पार्टी से करार कर लिया हो, कि वो उनकी पार्टी को आगामी लोकसभा में सदन में बहुमत दिलाकर रहेगा। जबकि सच्चाई ये हैं कि इस पार्टी ने अब तक कोई ऐसा कार्य नहीं किया जो अनुकरणीय हो। इस अरविंद केजरीवाल से भी बेहतर और ईमानदार, सादगी में जीनेवाले मुख्यमंत्री हैं पर ये उन्हें स्थान नहीं देता। सिर्फ हरे राम हरे राम वाली महामंत्र की जगह हरे अरविंद हरे अरविंद जपता रहता हैं और पूरे देश से जपवाने की काम करता हैं। जिससे देश की पत्रकारिता को लोग संदेह की नजरों से देख रहे हैं।
हम आपको बता दें कि जिस प्रकार से इस चैनल ने अरविंद की तुलना गांधी से कर दी, ऐसी तुलना तो लाल बहादुर शास्त्री जैसे ईमानदार व सादगी के महान पुरोधा की भी नहीं की गयी थी। गांधी की तुलना, अरविंद से करना, गांधी का भी अपमान है। गांधी एकता के सूत्रधार थे, ये अलग बात थी कि गांधी के रहते, भारत तीन टुकड़ों में बंट गया। दो देश बने - भारत और पाकिस्तान। पर अरविंद केजरीवाल की पार्टी में ऐसे - ऐसे घटिया स्तर के लोग हैं जो इस खंडित देश को और भी खंड-खंड करने में लगे हैं। मानवाधिकार की आड़ में कश्मीर को भारत से अलग करने की बात कहते है। विपरीत परिस्थितियों में देश की आन-बान और शान के लिए लड़ रहे हमारे सैनिकों के कार्यों की नुक्ताचीनी करते हैं। फिर भी देश भक्त कहलाते हैं। आश्चर्य हैं कि वातानुकूलित कमरों में बैठनेवाले आम आदमी पार्टी के घटियास्तर के नेता व आजतक के पत्रकारों को लज्जा नहीं आती। बड़ी ही बेशर्मी से आम आदमी पार्टी की जय जयकार में लगे हैं। भाई, भारत ऐसा देश ही हैं जहां पृथ्वी राज चौहान के समय जयचंद भी था, अकबर के शासनकाल में जब महाराणा प्रताप अकबर से लोहा ले रहे थे तो उसी वक्त मान सिंह भी मौजूद था। तो ऐसे समय में वर्तमान स्थिति में ऐसे लोग भी दिखाई पड़ रहे हैं तो क्या गलत हैं। फिर भी जो महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान को माननेवाले लोग हैं, उन्हें ध्यान रखना होगा कि इस बार जयचंदों की फौज जीत न सकें।
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