Friday, February 26, 2016

क्या आप जानते हैं..............

क्या आप जानते है, कि भारत में कौन सा अखबार या चैनल किस पार्टी या दल का आरती उतारता है/या भोपू है...गर नहीं जानते तो आज ही जानिये...ये देश के लिए और आपके लिए अत्यंत आवश्यक है....
जानिये अपने अखबारों और चैनलों को, वे कितने गिरे हुए हैं और किस पार्टी/दल की भक्ति में लग कर, भारत की एकता व अखंडता को चोट पहुंचा रहे हैं, अपने बच्चों को भी बताइये...क्योंकि ये बच्चे बहुत ही कोमल है, जो आज सीखेंगे, वहीं युवा होकर देश को देंगे...बच्चों पर किसी भी दल के विचार को मत थोपिये, उन्हें जो अच्छा लगे, करने दें, बस उनका मार्गदर्शन करते रहे...उन्हें वामपंथी बनना है, या दक्षिणपंथी बनना है, या विशुद्ध रुप से मानवीय मूल्यों को आत्मसात करना है...उन्हें इसकी खुली छूट दीजिये...हालांकि वामपंथी गुंडों का एक दल नहीं चाहता कि देश में समरसता रहे, इसके लिए हर प्रकार के छल -प्रपंच का वो शुरुआत कर चुका है...उसके बाद भी अब देखिये....
1. हिन्दुस्तान - ये अखबार अपने स्थापना काल से कांग्रेस प्रेम के लिए प्रसिद्ध है, ये आज भी कांग्रेस का गुण गाता है...उदाहरण 25 फरवरी का अखबार देख लीजिये... ज्यादातर अखबार स्मृति ईरानी के धुंआधार भाषण से पटा है, पर ये ज्योतिर्दित्य सिंधिया में देश ढूंढ रहा है...इसके मालिक कई बार कांग्रेस से उपकृत होकर राज्यसभा सदस्य भी बन चुके है...इसलिए कांग्रेस इसकी पहली पसंद और दूसरे में नीतीश और लालू को ये अपना सब कुछ समझता है...
2. प्रभात खबर - ये अखबार जदयू का खास अखबार है... इसे नीतीश कुमार में भगवान नजर आता है...इसका प्रधान संपादक हाल ही में जदयू का सांसद बना है...इसके अखबारों में जदयू के नेताओं व सांसदों के वैचारिक आलेख खुब छपते है, फिलहाल लालू व राहुल भक्ति में आकंठ डूबा है, भाजपा से इसकी नहीं पटती...
3. दैनिक जागरण - विशुद्ध रुप से भाजपाई अखबार है, इसके मालिक भाजपा से उपकृत होकर कभी सांसद भी बन चुके है...ये भाजपा के खिलाफ सुनने को तैयार नहीं, पूर्णतः पत्रकारिता को व्यवसाय मानकर ये चलता है...मिशन इसके लिए कुछ भी नहीं....
4. दैनिक भास्कर - ये अखबार पूर्णतः कांग्रेस और भाजपा का सम्मिश्रण है...समयानुसार कभी मिशन तो कभी व्यवसायिक दृष्टिकोण अपनाता है...इसके लिए अखबार ही सब कुछ है...जनता का मिजाज भांपता है, वहीं दृष्टिकोण अपनाता है...यानी जस जैसा, तस तैसा...हर जगह इसकी पकड़ है, हर वर्ग के नेताओं की यह जय जय करता है, ताकि जब कभी किसी की सत्ता आये तो उसका व्यवसायिक लाभ ये उठा सकें...

5. बीबीसी - इसका सारा समाचार भारत विरोध से शुरु होता है और भारत विरोध पर ही खत्म हो जाता है....
6. द टेलीग्राफ - कट्टर वामपंथ समर्थक...
7. द टाइम्स आफ इंडिया - कांग्रेस और वामपंथ समर्थक....
8. हिन्दुस्तान टाइम्स - कट्टर कांग्रेस समर्थक...
9. हिन्दु - कट्टर भाजपा आलोचक/वामपंथ समर्थक...
7. आनन्द बाजार पत्रिका - कट्टर वामपंथ समर्थक....
8. एनडीटीवी - कट्टर भाजपा आलोचक, इसका वश चले तो भाजपाइयों को देखते ही गोली मार दें...कट्टर वामपंथी....उसका उदाहरण देख लीजिये...24 फरवरी को स्मृति ईरानी संसद में विपक्षी दलों का जवाब दे रही थी...भाजपा के कट्टर विरोधी होने के कारण ये स्मृति ईरानी का लाइभ की जगह इंटरनेशनल एजेंडा दिखा रहा था, जबकि सारे चैनल अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर स्मृति ईरानी का लाइभ दिखा रहे थे...देश में किसानों ने आत्महत्या की...देश में भ्रष्टाचार का कई मुद्दा छाया रहा, जिससे देश के सम्मान में बट्टा लगा...इसे शर्म नहीं आयी...पर जैसे ही एक कन्हैया की गिरफ्तारी हुई...इसने भाजपा विरोध के नाम पर, वामपंथियो के समर्थन के नाम पर अपना मुंह काला करते हुए अपना प्रसारण कुछ समय के लिए ब्लैक कर दिया...इसका एकमात्र सिद्धांत वामपंथ को भारत में स्थापित करना और दिल्ली के लाल किले पर लाल झंडा लहराता हुआ देखना है....
9. आजतक - कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समर्थक....
10. एबीपी - कट्टर कांग्रेसी और वामपंथी समर्थक...
11. आईबीएऩ 7 - भाजपा समर्थक...
12. टाइम्स नाउ - न्यूट्रल....
13. जीटीवी - विशुद्ध भाजपाई....
14. ईटीवी - इन दिनों भाजपा के समर्थन में....
15. इंडिया टीवी - भाजपा समर्थक...
जो देश में रहकर, देश के लिए पत्रकारिता नहीं करता हो...वो ज्यादा देशद्रोही है...जो एक दल के प्रति समर्पित रहता है...वो ज्यादा देशद्रोही है...पत्रकार किसी दल का नहीं होता...अखबार/चैनल किसी दल का नहीं होता...उसे तो पूर्णतः निरपेक्ष होते हुए, सत्य का आश्रय लेना चाहिए...पर यहां तो कोई भाजपाई तो कोई कांग्रेसी तो कोई वामपंथी पायजामा पहन कर दिये जा रहा है....ऐसे लोगों की हम कड़ी भर्त्सना करते हैं.....

Sunday, February 21, 2016

एनडीटीवी ने अपना नकाब उतारा.........

भारतीय संस्कृति में एक वाक्य बार-बार सुनने को मिलता है...
जो होता है, अच्छे के लिए होता है...
जेएनयू की घटना ने भी बहुत सारे लोगों के चेहरे पर से नकाब उठा दिया है...
नकाब उठने के बाद, क्या होता है...आप सभी जानते है , फिर सामने वाले से शर्म और हया सब खत्म...
एनडीटीवी ने स्पष्ट कर दिया कि वह विशुद्ध रुप से वामपंथी है...न तो उसे कांग्रेस से मतलब है और न ही भाजपा या उसके अन्य आनुषांगिक संगठन से...
उसने यह भी दावा ठोक दिया कि जो वामपंथ से टकरायेगा तो फिर एनडीटीवी भी उसे नहीं छोड़ पायेगा...
ऐसे तो सारा बुद्धिजीवी वर्ग जानता था कि ये चैनल वामपंथी चैनल है, पर सामान्य जनता नहीं जानती थी, आज सामान्य जनता जान गयी है...
वो अगर सारे चैनलों की सूची बनायी है कि कौन चैनल किस पार्टी का भोंपू है,तो एनडीटीवी के लिए भी उसने सूची दर्ज कर ली कि ये विशुद्ध वामपंथी चैनल है...
इसका भी मकसद कश्मीर को पाकिस्तान के हाथों सौंप देना, अमरीका को साम्राज्यवादी बताना और चीन को अपना दोस्त बताना, हिन्दूओं को गाली देने का तो उसकी पुरानी आदत है, जरा देखिये एनडीटीवी के संपादक ने क्या शिगुफा छोड़ा है, जिस शिगुफे को आजकल वामपंथी नेता छाती से लगाकर फेसबुक पर शेयर किये जा रहे है...वो है...
एनडीटीवी इंडिया के संपादक ऑनिंद्यो चक्रवर्ती के मुताबिक यह जेएनयू बनाम जनेऊ की लड़ाई है...ये महापंडित ऑनिंद्यो चक्रवर्ती, तोगड़िया टाइप भाषण तो लिख दिया पर उसे पता हैं कि गांव में रहनेवाले उन लाखों गरीबों पर क्या गुजरेगी...जब उसके इस भाषण टाइप का इस्तेमाल करना वामपंथी गुंडे शुरु कर देंगे...
जैसा कि केरल के कन्नूर जिले में हुआ वामपंथी गुंडों ने सुजीत की हत्या उसके माता-पिता के सामने ही निर्ममता से कर दी...
ऐसे हम आपको बता दें कि एनडीटीवी के भी कई संवाददाता और कैमरामैन कोई दुध के धुले नहीं, बल्कि ये भी एक नंबर के बदमाश है...और इसकी जानकारी प्राप्त करनी हो तो हमसे संपर्क करें...हम आपको प्रमाण के साथ बतायेंगे...

Tuesday, February 16, 2016

बाकी सब गधे हैं...........

दुनिया में एक नई जाति व एक नये संप्रदाय का जन्म हुआ है जो खुद को सर्वाधिक एकमात्र बुद्धिमान जाति व संप्रदाय समझता है, जिसे वामपंथी कहते है...इन वामपंथियों के अनुसार दुनिया की सारी बुद्धि उनके गुलाम है...ये कुछ भी कहे,करे...जायज है...इनका विरोध या इनके खिलाफ कुछ भी कहने का किसी को अधिकार नहीं...इनके अनुसार वामपंथी सर्व गुण संपन्न...बाकी सब गधे है...इन्हें हर प्रकार की छूट मिल जानी चाहिए...देश के खिलाफ बोलने की...देश की बखिया उधेड़ देने की...हराम की कमाई और हराम की पढ़ाई करने के छूट की...ताकि ये सब को जी भरकर गरिया सकें...इन वामपंथियों के भजन कीर्तन मंडली में कांग्रेस का पप्पू राहुल, बिहार में गुंडागर्दी-बेहयाई को पुनर्स्थापित करनेवाले नीतीश, देश में एकमात्र ईमानदारी के भूत को अपने शरीर में डालनेवाले केजरीवाल शामिल हैं...अभी - अभी पता चला कि कोई प्रशांत भूषण, देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे कन्हैंया का केस लड़ेगा...ये वहीं प्रशांत भूषण है, जो कई बार कश्मीर पर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहा है, जो कहता है कि कश्मीर भारत का अंग नहीं हैं, जिसे लेकर उसकी कई बार पिटाई भी हो चुकी है...यानी देश के खिलाफ सारे के सारे घटियास्तर के लोग एक हो गये है...इन्होंने संकल्प कर रखा है कि इसी बहाने हम कश्मीर पाकिस्तान को सौंपेंगे, कश्मीरी अलगाववादी ताकतों और आतंकियों को हर संभव मदद करेंगे और भारतीय सेना का मनोबल तोड़ेंगे, साथ ही आतंकियों का सामना कर रहे कश्मीरी हिन्दूओं को एक - एक कर कश्मीर से निकाल कर रहेंगे...ये हैं हमारा देश...ये हैं हमारे देश के घटियास्तर के नेता...भारत का तो इतिहास ही रहा है कि यहां देश भक्त कम और गद्दारों-देशद्रोहियों की संख्या अत्यधिक रही हैं...तभी तो ये देश हजारों वर्षों तक गुलाम रहा...
जरा झलक देखिये...
1. पृथ्वी राज चौहान जब मुहम्मद गोरी का मुकाबला कर रहा था तो जयचंद, मुहम्मद गोरी का समर्थन कर रहा था...
2. बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए राणा सांगा ने पत्र लिखा था।
3. जब अकबर के खिलाफ महाराणा युद्ध लड़ रहे थे तो मान सिंह अकबर के साथ रिश्तेदारी में जुटा था।
4. जब रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों को धूल चटा रही थी, तब सिंधिया परिवार अंग्रेजों के साथ मित्रता निभा रहा था...तभी तो सुप्रसिद्ध कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा - अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी, खुब लड़ी मर्दानी वो तो........
5.जब भगत सिंह देश में क्रांति का बीज बो रहे थे, तो उनके खिलाफ अदालत में गवाही देनेवाला शोभा सिंह आ खड़ा हुआ था...
6. जब महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया, तो वामपंथियों ने महात्मा गांधी का साथ नहीं दिया...
7. इंदिरा गांधी ने जब 1975 में आपातकाल की घोषणा की तब उसके खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश ने आंदोलन चलाया,सारी जनता लोकनायक के साथ थी, पर वामपंथी इंदिरा के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे...
एेसे कई उदाहरण मेरे पास है...जिससे पता चलता है कि हमारे देश में शुरु से ही गद्दारों की फौज चलती रही है...जो देश के लिए मरनेवालों के खिलाफ आंदोलनरत रहती हैं, ज्यादातर मामलों में ये गद्दार कामयाब हो जाते है...जैसा कि उपर के झलकियों से पता लग जाता है...और एक बार जेएनयू के मामले में भी ऐसा ही दीख रहा हैं, अब देखना ये है कि इस बार देशभक्त जीतते हैं या देश के गद्दार...

Thursday, February 11, 2016

पैसे से कलम सधे,पैसा बावन बीर...........

हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा......
संपूर्ण समाज और व्यवस्था को चौपट करके रख देनेवाला और प्रतिदिन अपने कारगुजारियों से सामाजिक व्यवस्था को चोट पहुंचानेवाला रांची के एक अखबार का संपादक आज विनय महतो प्रकरण पर त्वरित टिप्पणी के नाम पर प्रवचन लिख रहा है...
हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा......
रांची पुलिस लगता है कि मुंबईया फिल्म ज्यादा देखती है, जरा ध्यान दीजिये फिल्म - हेट स्टोरी 3 और फिल्म - दृश्यम्, इन दोनों की कहानियां के कुछ प्रमुख अंश, आपको विनय महतो प्रकरण में भी मिल जायेंगे...
हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा......
विनय महतो प्रकरण में छह दिनों तक अखबारबाजी और चैनलबाजी होती रही, पर इतने महत्वपूर्ण विषय पर न तो भाजपा, न ही कांग्रेस, न ही झामुमो, न ही आजसू, न ही राजद, न ही झाविमो, न ही भाकपा, न ही माकपा, न ही भाकपा माले के किसी बड़े नेता के बयान आये, सभी ने होठ सील रखे थे, हमें लगता है कि इस पर ज्यादा कुछ लिखने की जरुरत नहीं, आप सभी बुद्धिमान है, समझ लीजिये...
हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा......
ध्यान दीजिये, विनय महतो दुनिया से चला गया, पर रांची पुलिस ने ऐसा तरीका निकाला कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे। यानी सफायर इंटरनेशनल स्कूल में लग रहे दाग को भी रांची पुलिस ने बचा लिया, जो उसकी प्राथमिकता में थी, जो विनय महतो हत्याकांड प्रकरण में पकड़े गये, जिन पर आरोप है, वे भी जल्दी ही कानूनी पचड़ें से मुक्त हो जायेंगे, क्योंकि हत्याकांड में दो आरोपी नाबालिग है, ऐसे में इन पर जुवेनाइल के तहत मामला चलेगा, जिसमें ज्यादा दिन और कड़ी सजा मिलनी मुश्किल है। शिक्षिका के पति आरिफ पर सबूत मिटाने का आरोप है, जो घटनास्थल पर था ही नहीं, इसी प्रकार का आरोप शिक्षिका नाजिया पर है, यानी हत्या का सीधा मामला नहीं और पूरा परिवार कुछ ही सालों बाद आरोप से मुक्त और लीजिये सारा मामला टायं-टायं फिस्स। सचमुच पैसे में बहुत ताकत होती है...
हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा......
पैसे होने पर नेताओं की बोली बंद हो जाती है, पैसे होने पर पुलिस भी आपके समक्ष रामायण गाती है, पैसे होने पर पत्रकारों की टीम भी विज्ञापन धर्म निभाते हुए, आपकी आरती गाती है...
इसलिए, मैं कहता हूं -
पैसा में गुण बहुत है, सदा कमाओ वीर।
क्योंकि पैसा है तो सब है, खाएं मक्खन वीर।।
पैसा से नेता सधे, पैसे से वर्दी चीर।
पैसे से कलम सधे,पैसा बावन बीर।।