Tuesday, February 16, 2016

बाकी सब गधे हैं...........

दुनिया में एक नई जाति व एक नये संप्रदाय का जन्म हुआ है जो खुद को सर्वाधिक एकमात्र बुद्धिमान जाति व संप्रदाय समझता है, जिसे वामपंथी कहते है...इन वामपंथियों के अनुसार दुनिया की सारी बुद्धि उनके गुलाम है...ये कुछ भी कहे,करे...जायज है...इनका विरोध या इनके खिलाफ कुछ भी कहने का किसी को अधिकार नहीं...इनके अनुसार वामपंथी सर्व गुण संपन्न...बाकी सब गधे है...इन्हें हर प्रकार की छूट मिल जानी चाहिए...देश के खिलाफ बोलने की...देश की बखिया उधेड़ देने की...हराम की कमाई और हराम की पढ़ाई करने के छूट की...ताकि ये सब को जी भरकर गरिया सकें...इन वामपंथियों के भजन कीर्तन मंडली में कांग्रेस का पप्पू राहुल, बिहार में गुंडागर्दी-बेहयाई को पुनर्स्थापित करनेवाले नीतीश, देश में एकमात्र ईमानदारी के भूत को अपने शरीर में डालनेवाले केजरीवाल शामिल हैं...अभी - अभी पता चला कि कोई प्रशांत भूषण, देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे कन्हैंया का केस लड़ेगा...ये वहीं प्रशांत भूषण है, जो कई बार कश्मीर पर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहा है, जो कहता है कि कश्मीर भारत का अंग नहीं हैं, जिसे लेकर उसकी कई बार पिटाई भी हो चुकी है...यानी देश के खिलाफ सारे के सारे घटियास्तर के लोग एक हो गये है...इन्होंने संकल्प कर रखा है कि इसी बहाने हम कश्मीर पाकिस्तान को सौंपेंगे, कश्मीरी अलगाववादी ताकतों और आतंकियों को हर संभव मदद करेंगे और भारतीय सेना का मनोबल तोड़ेंगे, साथ ही आतंकियों का सामना कर रहे कश्मीरी हिन्दूओं को एक - एक कर कश्मीर से निकाल कर रहेंगे...ये हैं हमारा देश...ये हैं हमारे देश के घटियास्तर के नेता...भारत का तो इतिहास ही रहा है कि यहां देश भक्त कम और गद्दारों-देशद्रोहियों की संख्या अत्यधिक रही हैं...तभी तो ये देश हजारों वर्षों तक गुलाम रहा...
जरा झलक देखिये...
1. पृथ्वी राज चौहान जब मुहम्मद गोरी का मुकाबला कर रहा था तो जयचंद, मुहम्मद गोरी का समर्थन कर रहा था...
2. बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए राणा सांगा ने पत्र लिखा था।
3. जब अकबर के खिलाफ महाराणा युद्ध लड़ रहे थे तो मान सिंह अकबर के साथ रिश्तेदारी में जुटा था।
4. जब रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों को धूल चटा रही थी, तब सिंधिया परिवार अंग्रेजों के साथ मित्रता निभा रहा था...तभी तो सुप्रसिद्ध कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा - अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी, खुब लड़ी मर्दानी वो तो........
5.जब भगत सिंह देश में क्रांति का बीज बो रहे थे, तो उनके खिलाफ अदालत में गवाही देनेवाला शोभा सिंह आ खड़ा हुआ था...
6. जब महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया, तो वामपंथियों ने महात्मा गांधी का साथ नहीं दिया...
7. इंदिरा गांधी ने जब 1975 में आपातकाल की घोषणा की तब उसके खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश ने आंदोलन चलाया,सारी जनता लोकनायक के साथ थी, पर वामपंथी इंदिरा के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे...
एेसे कई उदाहरण मेरे पास है...जिससे पता चलता है कि हमारे देश में शुरु से ही गद्दारों की फौज चलती रही है...जो देश के लिए मरनेवालों के खिलाफ आंदोलनरत रहती हैं, ज्यादातर मामलों में ये गद्दार कामयाब हो जाते है...जैसा कि उपर के झलकियों से पता लग जाता है...और एक बार जेएनयू के मामले में भी ऐसा ही दीख रहा हैं, अब देखना ये है कि इस बार देशभक्त जीतते हैं या देश के गद्दार...

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