पटना से प्रकाशित भटियारे अखबारों ने आज भी अपना भटियारापन जारी रखा...
जी हां, पटना से प्रकाशित कुछ भटियारे अखबारों ने आज भी अपना भटियारापन जारी रखा। भटियारेपन का खिताब जीत चुका पटना से प्रकाशित अखबार “हिन्दुस्तान” ने आज मुख पृष्ठ पर हेडिंग दिया...
“प्रशासन ने माना, शराब से ही हुई 17 लोगों की मौत” – यानी “हिन्दुस्तान” अखबार मानता है कि जिन लोगों की मौत हुई वह शराब से नहीं बल्कि उसके कल के कथनानुसार कै-दस्त से ही हुई।
नीतीश को समर्पित परमभक्त अखबार “प्रभात खबर” ने जो कल यह हेडिंग दिया था कि “गोपालगंज में मरनेवालों की संख्या 14 पहुंची, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं मिला अल्कोहल का अंश”। आज हेडिंग दिया है – “गोपालगंज नगर थाने की सभी 15 पुलिसकर्मी निलंबित” और लगे हाथों जमकर नीतीशायन गाया है।
कल तक जो “दैनिक जागरण” अपने हेडिंग के माध्यम से सही समाचार लिखने का प्रयास करते हुए अपनी गरिमा बचाने का प्रयास किया था, आज उसकी हेडिंग देखिये तो पता चलेगा कि उसने आज नीतीशायन की ओर कदम बढ़ाया है।
दैनिक जागरण का आज का हेडिंग है...
“बख्शे नहीं जायेंगे शराब के धंधेबाज
इस्पेक्टर सहित 25 पुलिसकर्मी निलंबित”
दूसरी ओर “दैनिक भास्कर” ने आज एक बार फिर नीतीश की बैंड बजा दी है। हेडिंग दिया है – “तीन और की मौत, इसंपेक्टर समेत 25 पुलिसकर्मी सस्पेंड”
अब अपनी बात...
क्या पत्रकारिता सत्ता में बैठे मठाधीशों की सुरक्षा और उनकी आरती गाने के लिए होती है या जनता की आवाज बनने के लिए?
जनता इन अखबारों के संपादकों-मालिकों से पूछे कि वे अखबार खोलकर सत्ता में बैठे लोगों के तलवे क्यूं चाटते है?, इससे अच्छा है कि वे कोठा खोल लें...
फिलहाल गोपालगंज शराबकांड में जिस प्रकार से पटना से प्रकाशित अखबारों ने पत्रकारिता धर्म का पालन न कर, सत्ता में बैठे लोगों का महिमामंडन करने का कार्य किया है, हम ऐसी पत्रकारिता पर थूकते हैं...
जी हां, पटना से प्रकाशित कुछ भटियारे अखबारों ने आज भी अपना भटियारापन जारी रखा। भटियारेपन का खिताब जीत चुका पटना से प्रकाशित अखबार “हिन्दुस्तान” ने आज मुख पृष्ठ पर हेडिंग दिया...
“प्रशासन ने माना, शराब से ही हुई 17 लोगों की मौत” – यानी “हिन्दुस्तान” अखबार मानता है कि जिन लोगों की मौत हुई वह शराब से नहीं बल्कि उसके कल के कथनानुसार कै-दस्त से ही हुई।
नीतीश को समर्पित परमभक्त अखबार “प्रभात खबर” ने जो कल यह हेडिंग दिया था कि “गोपालगंज में मरनेवालों की संख्या 14 पहुंची, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं मिला अल्कोहल का अंश”। आज हेडिंग दिया है – “गोपालगंज नगर थाने की सभी 15 पुलिसकर्मी निलंबित” और लगे हाथों जमकर नीतीशायन गाया है।
कल तक जो “दैनिक जागरण” अपने हेडिंग के माध्यम से सही समाचार लिखने का प्रयास करते हुए अपनी गरिमा बचाने का प्रयास किया था, आज उसकी हेडिंग देखिये तो पता चलेगा कि उसने आज नीतीशायन की ओर कदम बढ़ाया है।
दैनिक जागरण का आज का हेडिंग है...
“बख्शे नहीं जायेंगे शराब के धंधेबाज
इस्पेक्टर सहित 25 पुलिसकर्मी निलंबित”
दूसरी ओर “दैनिक भास्कर” ने आज एक बार फिर नीतीश की बैंड बजा दी है। हेडिंग दिया है – “तीन और की मौत, इसंपेक्टर समेत 25 पुलिसकर्मी सस्पेंड”
अब अपनी बात...
क्या पत्रकारिता सत्ता में बैठे मठाधीशों की सुरक्षा और उनकी आरती गाने के लिए होती है या जनता की आवाज बनने के लिए?
जनता इन अखबारों के संपादकों-मालिकों से पूछे कि वे अखबार खोलकर सत्ता में बैठे लोगों के तलवे क्यूं चाटते है?, इससे अच्छा है कि वे कोठा खोल लें...
फिलहाल गोपालगंज शराबकांड में जिस प्रकार से पटना से प्रकाशित अखबारों ने पत्रकारिता धर्म का पालन न कर, सत्ता में बैठे लोगों का महिमामंडन करने का कार्य किया है, हम ऐसी पत्रकारिता पर थूकते हैं...