Thursday, August 18, 2016

अखबारों का भटियारापन...............

मौत गरीबों का और पटना से प्रकाशित एक-दो अखबारों को छोड़कर सभी अखबारों ने आज गरीबों के मौत का मजाक उड़ाया हैं और नीतीश भक्ति से स्वयं को अलंकृत कर लिया है। भटियारापन दिखाने में इस बार पटना से प्रकाशित हिन्दुस्तान अखबार ने बाजी मार ली है, इस बार हिन्दुस्तान प्रथम स्थान पर और प्रभात खबर दूसरे स्थान पर है, जबकि दैनिक जागरण ने अपनी गरिमा बचाने में कुछ हद तक सफलता पायी, वहीं दैनिक भास्कर ने सही खबरें प्रकाशित कर गरीबों के मौत पर मरहम और नीतीश को डायरेक्ट चुनौती दे दी है।
जरा खबर क्या है, उसे जानिये – खबर यह है कि जहरीली शराब पीने से गोपालगंज में 15 लोगों की मौत हो गयी, प्रशासन मानने को तैयार ही नहीं कि यह मौत जहरीली शराब पीने से हुई है, जबकि जिनके घर में ये घटना घटी, वे चीख-चीखकर कह रहे हैं कि यह मौत जहरीली शराब के कारण हुई, पर बेशर्म अखबारों को देखिये, क्या हेडिंग बनायी है...
सबसे पहले पटना से प्रकाशित हिन्दुस्तान को देखिये...
हेंडिग बनाई है...
“गोपालगंज में कै दस्त से 14 मरे”
प्रभात खबर को देखिये, ये हेंडिग बनाया है
“गोपालगंज में मरनेवालों की संख्या 14 तक पहुंची”
दैनिक जागरण ने हेडिंग दिया
“जहरीली शराब से 14 मरे”
दैनिक भास्कर ने हेडिंग दिया
“पहले आंखों की रोशनी गई, फिर जान, जहरीली शराब से 15 लोगों की मौत”
ये हैं कुछ अखबारों का दोगला चरित्र और नीतीशायण गाने की प्रतियोगिता...
और अब अपनी बात...
जो लोग हमारे फेसबुक से जुड़े है, और हमारा फेसबुक पढ़ते है। वे जानते होंगे कि मैंने 4 अगस्त 2016 को क्या लिखा था, पर जो नहीं पढ़े है, उनके लिए मैं पुनः उद्धृत कर रहा हूं, वो यह हैं...
“बिहार के बबुआ नीतीश को समर्पित...
ए भाई इ देश में दहेज के खिलाफ कानून बना है...भ्रष्टाचार रोकने के खिलाफ भी कानून बना है...कम उम्र में शादी रोकने का भी कानून बना है...चोरी, बलात्कार, गुंडागर्दी रोकने के लिए भी कानून बना है...लगे हाथों एक और भी कानून बन गया, क्या कहते है दारु पीने से रोकने का कानून...हम सभी का स्वागत करते है...जैसे पहले के कानून का किया...जैसे आज भी दहेज लेते है, भ्रष्टाचार का सारा रिकार्ड अपने नेता जी अपने पास रखते है, कम उम्र में शादी भी करते और करा देते है, चोरी, बलात्कार और गुंडागर्दी तो नेताओं के आभूषण ही है...इसलिए दारु के बारे में क्या कहना हैं, नई - नई दुल्हन बनी है, देखते है आगे कितने लोग इसका घूंघट उठाते है...”
ये लिखने का अभिप्राय यहीं था कि आप कुछ भी कर लो, जो गलत लोग है, जो चरित्रहीन लोग है, वे अपनी कलाबाजी दिखायेंगे ही, उन्होंने अपनी कलाबाजी आज दिखा दी...
पर इससे हुआ क्या?
मरा कौन गरीब, मरा कौन था गरीब और मरेगा कौन गरीब
और इस पर मजा लूटेगा कौन, वहीं हिन्दुस्तान, वहीं प्रभात खबर जो दांत निपोड़ कर फिलहाल नीतीशभक्ति में सर से पांव तक डूबा है...
बेशर्म है ये लोग, पत्रकारिता क्या करेंगे...
ये तो नीतीशायन गायेंगे और गरीबों के शव पर ठुमके लगायेंगे...
हम ऐसी पत्रकारिता पर थूकते हैं...

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