चाहे सदन में चर्चा हो या न हो। गर हो भी तो भले ही उसका अर्थ न निकले। पर प्रधानमंत्री मनमोहन जी और यूपीए की नेता सोनिया गांधी को मालूम होना चाहिए कि भारत की जनता इतनी मूर्ख नही, जितना वो समझते हैं। भारत की सौ करोड की आबादी जानती हैं कि जो केन्द्र में सरकार चल रही हैं, वो भ्रष्टाचार को आत्मसात कर ही चल रही हैं, और इसी सरकार ने पिछली बार 14 वी लोकसभा में अपनी कुर्सी को बचाने के लिए, सांसदों को घूस दिये थे। ये अलग बात हैं कि जिनके पास सबूत थे, उन पत्रकारों और नेताओं ने इस सरकार के आगे अपनी जमीर बेच दी थी। प्रधानमंत्री जी का संसद में विकीलीक्स मामले पर विपक्षी नेताओं के प्रश्नों के जवाब के दौरान ये कहना कि इसका कोई सबूत नहीं कि उऩकी पार्टी अथवा सरकार ने घूस देकर, सरकार बचायी थी, इसलिए वे निर्दोष हैं अथवा उनकी पार्टी या सरकार दोषी नहीं हैं, बचकाना बयान हैं। ये तो वहीं बयान हैं जब कोई अपराधी, अपराध तो करता हैं, जिसका ताउम्र उसे एहसास होता भी रहता हैं, पर अपने अपराधिक सबूतों को बड़ी ही सफाई से इस प्रकार गायब कर देता हैं, जिसका पता दूसरों को नहीं लगता। पर इस बार विकीलीक्स द्वारा किया गया खुलासा कि कांग्रेस ने सांसदों को घूस देकर अपनी सरकार बचायी थी, सब कुछ क्लियर कर देता हैं कि इस देश में कैसे – कैसे राजनीतिज्ञ शासन कर रहे हैं और इसका साथ यहां के तथाकथित जमीर बेचने वाले पत्रकार कैसे दे रहे हैं । ऐसे तो सभी जानते हैं कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्याय हैं। चाहे विदेशों में धन रखने की बात हो या विभिन्न घोटालों को जन्म देना ये कांग्रेसियों का बायें हाथ का खेल हैं। ये अलग बात हैं कि भारत इनके द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार के बावजूद भी सरकता हुआ आगे बढ़ता जा रहा हैं, क्योंकि यहां की आज भी एक बहुत बड़ी आबादी देश को आगे बढ़ाने के लिए अपना खून पसीना बहाती जा रही हैं, ये कहकर कि-----
तेरा वैभव अमर रहे मां,
हम दिन चार रहे ना रहे
इस देश का दुर्भाग्य रहा हैं कि जब से ये देश स्वतंत्र हुआ तब से लेकर आज तक ज्यादातर समय तक कांग्रेसियों का शासन रहा हैं, जिन्होंने शायद संकल्प कर लिया हैं कि वे इस देश का बंटाधार करके रहेंगे। उनके इस संकल्प को पूरा करने में, वे पत्रकार भी शामिल हो गये हैं, जिनका मकसद, समाचारों के माध्यम से पत्रकारिता और देश सेवा न कर ब्लैकमेलिंग करना हैं, पर इन ब्लैकमेलर पत्रकारों को भी कैसे ठीक किया जाता हैं, शायद कांग्रेसियों को बहुत अच्छी तरह पता हैं। इसलिए जिन पत्रकारों अथवा चैनल के पास सासंदों को घूस देनेवाली खबर व उसके पूख्ता सबूत मौजूद थे, उस चैनल और उसके पत्रकारों ने बिना देर किये कांग्रेसियों के चरण पकड़ लिये ये कहकर कि आप हो तो हम हैं, इसलिए आप घबराये नहीं, हम कभी भी उस खबर को अपने चैनल पर नहीं दिखायेंगे, जिसकी वजह से सरकार पर आंच आती हो, आप जो कहेंगे, वहीं करेंगे। इसलिए, उस वक्त, उक्त चैनल ने वो समाचार नहीं दिखायी, जिसको देखने के लिए भारत की जनता बेकरार थी, जिसका कथन था, खबरें किसी भी कीमत पर वो पता नहीं कौन सी कीमत लेकर अपना जमीर बेच चुका था। पर जनता तो जनता हैं वो जान चुकी थी कि दाल में काला हैं, पत्रकारों ने जमीर बेचा हैं, सब जगह थू थू होने लगी, उक्त चैनल ने बहुत दिनों बाद, जब मामला ठंडा पड़ गया, समाचार दिखाई, वो भी जैसे तैसे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, कांग्रेसियों ने पूरे प्रकरण को गड्मगड कर दिया था, वे अपने मकसद में कामयाब हो गये थे, पर कहा जाता हैं न कि सच, सच होता हैं, विकीलीक्स ने रहस्योदघाटन करके बता दिया कि कांग्रेसियों ने घूस देकर, अपनी सरकार बचायी, और केन्द्र की सोनिया मनमोहन की सरकार तो नंगी हुई ही, वे पत्रकार भी नंगे हो गये जिनके पास सत्य था पर वे सत्य दिखाने का साहस नहीं दिखा सकें । जो पत्रकार कहते हैं कि वे खबरें किसी भी कीमत पर जाकर दिखा सकते हैं। वे भी कांग्रेसियों के चरणोदक पीने को बेताब हो जाते हैं, जब कांग्रेसियों की धमक, उन पत्रकारों के कानों तक पहुंच जाती हैं। लेकिन देश के अन्य इमानदार पत्रकारों द्वारा, उन जमीर बेचनेवाले पत्रकारों अथवा चैनलों पर थू थू की जाती है, तब भी ये बेशर्मी से अपने को पाक साफ बताने में लग रहते हैं। जब देश के संसदीय इतिहास में पहली बार, नोटों के बंडलों को भाजपाईयों द्वारा रखा जा रहा था और ये नेता ये कहकर चिल्ला रहे थे कि उन्हें कांग्रेसियों ने खरीदने की कोशिश की, जिसका सबूत देश के एक प्रमुख चैनल और पत्रकार के पास था, उसने किस कारण से अपनी जमीर बेच दी, वे तो वहीं बता सकते हैं, पर देश की जनता जान गयी थी कि यहां नेता व पत्रकार सभी मिले हैं, सभी तरमाल खा रहे हैं, सभी देश को बर्बाद करने में तूले हैं, चारो ओर घोर अंधियारा हैं, कहीं कोई किनारा नहीं हैं, इसलिए जनता सब कुछ जानते हुए भी, एक बार फिर अनिच्छा से विष पीया और कांग्रेस को सत्ता सौंप दी, और इस सता को पाने के बाद कांग्रेसियों ने तो समझ लिया कि भारत की जनता उनके साथ हैं, इसलिए भ्रष्टाचार का कीर्तिमान बनाओ, और देश के दिल्ली में बैठे पत्रकारों को साम दाम दंड भेद के तहत अपने पास मिलाये रखों और देश पर शासन करने का मजा लेते रहो। शर्म हमें आती हैं कि हम उस कालखंड में रह रहे हैं, जहां जमीर बेचनेवाले नेता व पत्रकार देश के शीर्ष स्थानों पर बैठकर, भारत के विकास का बेशर्मी राग, देशवासियों को सुना रहे हैं, ये कितने बेशर्म हैं, इस बात का पता इसी से चल जाता हैं कि देश के संसद में भी बैठकर हसंते हुए, अपनी बेशर्मी का फागुनी राग सुना रहे होते हैं, और इनके फागुनी राग में पत्रकार भी ये कहकर बेशर्म बनते हैं, कि कांग्रेसी और मनमोहन तो आज तक कुछ गलत किया ही नहीं, ये तो विपक्षी दल के नेताओं की आदत हैं, सत्तापक्ष को कठघरे में खड़ा करने की, इसलिए गाहे बगाहे चिल्लाते रहते हैं। इसलिए इन्हें चिल्लाने दीजिये। हम अपना काम करते रहे। यानी की, हम हमेशा जीवित थोड़े ही रहेंगे, जब तक जीयेंगे ऐश करके जीये, देश भाड़ में जाये, जिनको देश के बारे में सोचना हैं, वो सोचे। अपना क्या हैं, खाओ, पीओ, ऐश करो। देश पर चीन हमले की योजना बनाये अथवा पाकिस्तान व बांगलादेश हमारी सरहदों को छोटा करने की कोशिश करें तो उससे हमें क्या। हमने ही ठेका ले रखा हैं, भारत का क्या।
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