Sunday, March 25, 2012

मीडिया से देश को खतरा -------------------------


ये बात जो लोग मीडिया में हैं। उन्हें अटपटा सा लगे, या वो मानने को तैयार न हो, पर सच्चाई यहीं हैं कि आज मीडिया से देश को खतरा उत्पन्न हो गया हैं, ऐसे में जरुरी हैं कि सरकार मीडिया पर लगाम लगाये, उन्हें नियंत्रित करें अथवा कुछ ऐसे उपाय ढूढें ताकि देश व समाज को मीडिया की खतरों से बचाया जाये। मीडिया से देश व समाज को कैसे खतरा उत्पन्न हो गया हैं। उसका एक नहीं अनेक उदाहरण हैं। जिस पर मीडिया के लोगों को ही खुद आत्ममंथन करने की जरुरत हैं।ज्वलंत उदाहरण -- आज ज्यादातर राष्ट्रीय चैनल, अपनी महत्वाकांक्षा को पाने के लिए, एकमात्र लक्ष्य रुपये कमाने के लिए आधे घंटे का या रुपये पर जितना मन चाहे, उतने घंटे का स्लॉट बेच दे रहे हैं और इन स्लॉटों में क्या होता हैं। आप खुद देखिये। एक ठग आता हैं। अपने को बाबा कहता हैं। और ठग विद्या द्वारा पूरे देश में अपना जादू चलाकर, खुद को प्रतिष्ठित कर लेता हैं। यानी कल तक जिस व्यक्ति को कोई नहीं जानता हैं,वो व्यक्ति पल भर में ही, पूरे देश में इस प्रकार अपनी धर्मसत्ता स्थापित कर लेता हैं कि, इन राष्ट्रीय चैनलों को मुंहमांगी रकम देकर, वो बाबा अपनी जयजयकार करवाता हैं। फिलहाल देश में दो बाबाओं ने ऐसी कमाल दिखायी हैं कि एक बाबा तो बनिये की दुकान से लेकर, चैनल और दवाओं की दुकान तक खोल दी हैं, जबकि दुसरा बाबा अपना थर्ड आई खोलकर, पल भर में अनारक्षित रेलवे टिकट को कन्फर्म तक करा देता हैं, यहीं नहीं खानेवाले बिस्कुट का कारोबार करने वाले व्यक्ति को वो सोने का बिस्कुट का कारोबार तक करनेवाला बनाने का दावा कर देता हैं, यहीं नहीं इस बाबा ने तो हद कर दी हैं.........हर प्रश्न का उटपुटांग जवाब देकर, स्वयं को प्रतिष्ठित कर देता हैं। ऐसे में इन बाबाओं को देख, गोस्वामी तुलसीदास की वो पंक्ति याद आ जाती हैं, वो पंक्ति जो श्रीरामचरितमानस में लिखा हैं -- पंडित वो हि सो गाल बजावा। यानी कलयुग में जो जितना गाल बजायेगा, वो उतना बड़ा ज्ञानी कहलायेगा। एक नहीं कई चैनल हैं -- जो इस प्रकार के गोरखधंधे में शामिल हैं, पर सरकार इन पर कार्रवाई नहीं करती। कमाल हैं इन बाबाओं ने इन चैनलों की टीआरपी भी बढ़ा दी हैं, यानी एक पंथ दो काज। पहला की बाबा से रुपये भी मिल गये और टीआरपी भी मिल गयी। जबकि ये चैनल, रजिस्ट्रेशन कराने के समय़ सिर्फ न्यूज चलाने की बात करते हैं, पर न्यूज के नाम पर ये क्या कर रहे हैं, सभी को पता हैं। आज देश के विभिन्न गांवों और शहरों में देश के महान संत -- कबीर, नानक, रविदास, नामदेव, तुकाराम, तुलसीदास, मीराबाई, नरसीमेहता, सुरदास, रसखान आदि के चित्र नहीं बिकते या इन्हें जाननेवाले लोगों की संख्या नगण्य हैं, पर टीवी वाले ठग बाबा के फोटो खूलेआम बिक रहे हैं, उन्हें लोग जानते हैं। हमारे देश में जितने भी संत हुए, उन्होंने देश को सिर्फ दिया, क्योंकि संत केवल देता हैं, वो देश से लेता नहीं। ठीक उसी प्रकार जैसे गंगा बहती रहती हैं, वो हमेशा उपकार करती हैं, चाहे लोग उसमें मैला बहाये अथवा उससे खुद को तृप्त करने का कार्य करें। ऐसे होते हैं संत। पर आज के संत को देखिये, बाबाओं को देखिये। ये बाबा टेंट - मार्चेंट के कारोबारियों से शादी में लगनेवाले एक कुर्सी पर बैठता हैं, तीन तसिया का जो खेल होता हैं, ठीक उसी प्रकार दस - बीस लोगों को जूगार करता हैं। जो बाबा के ट्रिक के अनुसार सवाल करता हैं और बाबा भी उसी प्रकार ट्रिक के अनुसार जवाब देता हैं, और इसी ट्रिक के जाल में, टीवी देख रहा, आम आदमी फंस जाता हैं, और अपनी जिंदगी के, मेहनत के सारे पैसे, इन ठगों पर लूटा देता हैं, वह भी जयजयकार कर। मैं जहां रहता हूं, वहां एक महिला रहती हैं, वो अपने माता - पिता को कभी सम्मान नहीं देती और न ही पति को सम्मान करती हैं, पर जरा देखिये इन्हें, जैसे ही सुबह होता हैं, ये टीवी खोलकर, उक्त ठग को देखने के लिए, सुनने के लिए दोनों हाथ जोड़कर बैठ जाती हैं। ये तो आजकल टीवी वाले इस ठग की प्रचार प्रसार भी कर रही हैं। एक दिन मेरी पत्नी ने कहा कि टीवी वाले थर्डआई वाले बाबा ने कहा है कि घर में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए, जिसे सुनकर सभी टीवी देखनेवाले लोगों ने अपने घर के शिवलिंग मंदिर में रख दिये। मैंने अपनी पत्नी से पूछा - तुम्हारा क्या विचार हैं। उनका कहना था कि जब एकलव्य, द्रोणाचार्य की प्रतिमा बनाकर, स्वंय को प्रतिष्ठित करा लेता हैं, तो भला मैं, इस एकलव्य की गुणग्राही बातों को त्याग, एक ठग की बात पर क्यूं जाउं। मेरा हृदय प्रसन्न हो गया। चलों कोई तो हैं, जो इन ठगों से खुद को अलग कर रहा हैं, पर ऐसे लोगों की संख्या कितनी हैं। सवाल तो ये हैं......................।यहीं नहीं एक दक्षिण के चैनल से बाबा आते हैं, शनि के नाम पर खूब डराते हैं। पहले वे दिल्ली के राष्ट्रीय चैनलों पर आकर आम जनता को खूब डरा चुके हैं, पर हमारे घर के बच्चे, इनसे नहीं डरते। जैसे ही चैनल पर आते हैं। हमारे बच्चे, हमें बुलायेंगे, बाबा आ गये, देखिये- सुनिये और हंसते हंसते लोट पोट हो जाईये। सचमुच में, ये बाबा के हाव - भाव, फिल्मों में काम करनेवाले हास्य कलाकार, जगदीप, असरानी, धूमल व राजेन्द्रनाथ जैसे लगते हैं, और बात भी वहीं। यानी पूरे देश में आजकल टीवी चैनलों का एक ही कार्यक्रम बन गया हैं। देश व समाज भाड़ में जाये, पैसे कैसे कमाये जाये। ये ध्यान में रखकर स्लॉट बेचो, और अपने देश में धर्म कुछ ज्यादा ही बिकता हैं, और गर हिंन्दु हैं तो कहना ही नहीं, क्योंकि अन्य धर्मों में बाबाओं की उतनी पूछ नहीं, पर हिन्दुओं में बाबाओं की फौज हैं, किसी को पकड़ लो, पैसे ले लो, पूरे देश में बिकवाने का जिम्मा ले लो और शुरु हो जाओ। अभी तो थर्ड आई वाले बाबा खूब दिखाई पड़ रहे हैं, कल फोर्थ आई और फाइव तथा सिक्स आई वाले बाबा भी दिखाई पड़ जाये। तो इसे अतिश्योक्ति न समझेंगे। यहीं नहीं, आजतक हमें ये समझ में नहीं आया कि ये बाबाओं की फौज, शादी करा देती हैं, रेलवे टिकट कन्फर्म करा देती हैं, रोजगार दिला देती हैं, पर एक साधारण आदमी को प्रधानमंत्री क्यों नही बना देती। पूरे देश में जो गरीबी हैं, उसे फूंकमार कर दूर क्यों नहीं कर देती, देश में अशिक्षा जो फैली हैं, उसे फूंकमारकर दूर क्यों नहीं कर देती, या देश में जो भ्रष्टाचार पनपा हैं, उसे दूर क्यों नहीं करती और जब सारे समस्याओं का हल इन बाबाओं के पास हैं और टीवी वाले जो दिखाते हैं, वे टीवी वाले और बाबा इस समस्यारुपी शब्द को ही फूंकमार सदा क लिए क्यों नहीं मिटा देती। और जब ये ऐसा नहीं कर सकते तो समझ लीजिये कि पूरी दाल काली हैं। इसका मतलब हैं कि मीडिया, देश के लिए खतरा बन चुकी हैं और इन खतरों से देश की युवाओं को, दो दो हाथ करने के लिए तैयार रहनी चाहिए।आज से कोई बीस साल पहले, कोई जर्नलिज्म की डिग्री लेने के लिए हाय तौबा नहीं मचती थी, पर आज देश के युवा मीडिया में जाने को कुछ ज्यादा ही आतुर हैं। टीवी के ग्लैमर ने इन्हें मीडिया की ओर ज्यादा झूकाया हैं और जहां ग्लैमर होता हैं, वहां गंदगी होती ही हैं, क्योंकि ये देश व समाज की रक्षा के लिए आये ही नहीं, ये तो आये हैं - ग्लैमर के लिए। तो ग्लैमर आयेगा कहां से। पैसों से। और पैसे आयेंगे कहां से। इन्हीं ठगों से, जिन्हें हम आजकल टीवी वाले बाबा के नाम से जानते हैं। अब तो हम ईश्वर से यहीं प्रार्थना करेंगे, कि हे ईश्वर, अपने देश व समाज को, आसन्न मीडिया के खतरों से बचाओं, नहीं तो देश बनने से रहा। चीन और पाकिस्तान को क्या जरुरत हैं - भारत पर हमले की। भारत को खोखला करने के लिए यहां की मीडिया और ठग बाबाओं की गाढ़ी दोस्ती काफी हैं, इस देश को धूल में मिलाने के लिए, देश के मानमर्दन के लिए।

Tuesday, March 13, 2012

बिना नंबर की गाड़ी पर सवारी करते हैं -- झारखंड के नेता - मंत्री -2

ये तस्वीर हैं – झारखंड विधानसभा की जहां एक विधायक ने बिना नंबर की गाड़ी पर चढ़कर, सदन पहुंचने में अपनी शान समझी। झारखंड विधानसभा में ये आम बात हैं। यहां के नेता, विधायक व मंत्री बड़ी शान से बिना नंबर की गाड़ी की सवारी करते हैं। ये न्यूज हमनें सबसे पहले कशिश चैनल पर 6 मार्च को प्रसारित की थी, जब 5 मार्च को राज्य के उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो बिना नंबर की गाड़ी से विधानसभा पहुंचे थे। हद तो तब हो गयी, जब 12 मार्च को उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई मंत्री और विधायक भी बिना नंबर की गाड़ी पर आ गये। ये चित्र उसी परिदृश्य को बयां करती हैं, हालांकि 13 मार्च को इस पर विधानसभा में काफी बावेला मचा। आशा की जाती हैं कि अब माननीय कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे..........................................। फिर भी एक सवाल परिवहन विभाग के अधिकारियों और यातायात पुलिस से, जब सामान्य जनता कानून का उल्लंघन करती हैं तो उससे जुर्माना वसूला जाता हैं, इन माननीयों से परिवहन विभाग के अधिकारी और यातायात पुलिस कब जुर्माना वसूलेगी। जनता जानना चाहती हैं, पर इसका जवाब किसी के पास नहीं हैं...........................................


दिनांक - 13 मार्च 2012

Monday, March 12, 2012

बिना नंबर की गाड़ी पर सवारी करते हैं -- झारखंड के नेता - मंत्री


एक गाना हैं -- मैं चाहे ये करु, मैं चाहे वो करु, मेरी मर्जी.....। शायद इस गाने का असर झारखंड के नेताओं और मंत्रियों पर कुछ ज्यादा ही सर चढ़ कर बोल रहा हैं। ये बातें, मैं इसलिए लिख रहा हूं कि आजकल इन नेताओं ने बिना नंबर की गाड़ी पर चढ़ने की ठान ली हैं, और ऐसा ये करते भी हैं। बिना नंबर की गाड़ी पर ये बड़ी शान से सवारी करते हैं और इसी क्रम में बिना नंबर की गाड़ी पर ये विधानसभा तक चले आते हैं। इन्हें ये भी नहीं महसूस होता कि जहां कानून बनता हैं, कम से कम वहां तो कानून का सम्मान करें। यहीं नहीं बिना नंबर की सवारी करनेवाले इन नेताओं को पुलिस सजा भी नहीं देती, बल्कि उनका सम्मान करते हुए, उनकी बिना नंबर की गाड़ी को प्रोटेक्शन देने से भी नहीं चुकती। वो पुलिस जो सामान्य जनता को बेइज्जत करने में फक्र महसूस करती है। आपको याद होगा कि बिना हेलमेट की सवारी करनेवाले युवाओं को रांची पुलिस ने माला पहनाने का काम शुरु किया था, यहीं नहीं एक वरीय पुलिस अधिकारी ने तो अपने पाकेट से एक सौ रुपये निकालकर पर्ची भी कटवाने की दरियादिली दिखाई थी, पर ये दरियादिली कानून तोड़नेवाले नेताओं, मंत्रियों व विधायकों पर क्यों नहीं दीखता। क्या कानून सिर्फ सामान्य जनता को पालन करने के लिए बना हैं। क्या इन नेताओं की बिना नंबर की गाड़ी कानून तोड़कर, झारखंड की शान बढ़ा रही हैं। क्या इन नेताओं की बिना नंबर की गाड़ी से गैरकानूनी कार्य होने का खतरा नहीं हैं। गर हैं तो उन्हें सजा कौन देगा। जब हमने इसी मुद्दे को विधानसभाध्यक्ष के समक्ष उठाया था। तब उन्होंने कहा था कि कानून का पालन सबको करना चाहिए। वे चाहेंगे कि कानून का पालन सभी माननीय विधायक और मंत्री करें और इस मुद्दे को वे विधानसभा में खुद उठायेंगे, पर किसी कारणवश उन्होंने भी नहीं उठाया, पर आशा करेंगे कि वे इस मु्द्दे को विधानसभा में उठायेंगे।
पांच मार्च को जब विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ हुआ तो मैंने देखा कि राज्य के उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो बिना नंबर की गाड़ी पर सदन पहुंचे, पर आज यानी 12 मार्च की जो स्थिति थी, वो और विकट थी। विना नंबर की गाड़ी से विधानसभा पहुंचनेवालों में उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ही नहीं, बल्कि उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, संसदीय कार्य मंत्री हेमलाल मुर्मु, कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल, परिवहन मंत्री चंपई सोरेन, सत्तापक्ष के झामुमो विधायक विष्णु भैया, विधायक बंधु तिर्की, झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव भी शामिल थे। यानी समझा जा सकता हैं कि कानून तोड़ने में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने तेजी दिखाई हैं। आम तौर पर बिना रजिस्ट्रेशन के गाडी़ चलाने पर एमभी एक्ट 192 के तहत कम से कम 2000 रुपये और अधिकतम 5000 रुपये जुर्माना हैं। पर आज तक इन नेताओं व मंत्रियों से किसी ने भी जुर्माने नहीं वसूले। भला मंत्री जी हैं, नेताजी हैं, विधायक जी हैं, इनसे जुर्माना कौन वसूले। झारखंड में मनचाही जगह रहनी हैं तो इनकी आरती उतारनी ही होगी, इनके आगे ता ता थैया करना ही होगा। इसलिए सभी कानून को ठेंगा दिखाकर, अपने ढंग से काम कर रहे हैं, और रही बात जनता की, तो जनता होती ही हैं, कटने के लिए और नेता आनन्द की पराकाष्ठा का परमसुख भोगने के लिए।

Thursday, March 8, 2012

राशिफल -- होलियाना


होली की ढेसारी शुभकानाएँ -----------------

1.मेष -- मेषवालों के लिए खुशखबरी हैं, उनके लिए होली का ये सप्ताह खुशियों से भरा होगा। दही की पोटलियां उनके माथे पर पच पच करने के लिए मचल रही है, यहीं नहीं दोनों हाथों में सालियों द्वारा मिले रसगुल्ले कमाल दिखायेंगे, ये रसगुल्ले स्वतः विस्फोट कर, आपको और आपकी शाली दोनों के गालों को लाल कर देंगे, ठीक उसी तरह जैसे यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार अखिलेश यादव के गाल लाल हैं।

2. वृष - शनि की साढ़ेसाती आपको चैन से इस बार रहने नहीं देगी। बेलनयोग कमाल दिखायेगा। आप अपनी पत्नी के बेलन से सावधान रहे, क्योकिं हो सकता हैं कि ये कभी बेलनपात कर, आपकी समस्याओं को और बढ़ा दे। कृपया होली खेलने के पहले आप अपने सर की सुरक्षा अवश्य कर लें। सलाह दी जाती हैं कि होली के दिन आप पत्नी की कोप से बचने के लिए, ओम् पं पत्नये नमः का आठ बार जप करें।

3. मिथुन - आप आज ही से पढ़ना छोड़ दे, क्योकि आप बिना पढ़े ही होली के प्रभाव से पास कर जायेंगे। सलाह -- मूरखों के संग रहकर आप अपना ज्ञान बढ़ाये और इस ज्ञान से अपना और अपने प्रदेश का मान बढ़ाये। होली के दिन करेले का रस व नीम का रस मिलाकर मालपुआ खाये और अपनी साली की तीन बार प्रदक्षिणा करें।

4. कर्क - कर्क वालों के राहु की वक्री गति बम बम करनेवाली हैं। घर में बिना हाथ चलाये मालपूओं की बरसात होनेवाली हैं। पर केतु की मार्गी गति परेशान करेगी, क्योंकि माल महराज की मिर्जा खेले होली वाली कहावत आपके यहां चरितार्थ होनेवाली हैं। आपकी पत्नी, दूसरों के साथ होली खेलने के लिए अभी से मचल रही हैं, उन पर ध्यान दें, नहीं तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं।

5. सिंह -- सिंह राशि वाले गजब ढायेंगे। यूपी के मुलायम सिंह की तरह बिना हाथ - पांव चलाये सीएम की कुर्सी तक पहुंच जायेंगे, पर याद रहे कि मायावती की राशि भी सिंह हैं। लेने के देने भी पड़ सकते हैं। इसलिए ज्यादा उंची ख्वाब देखने के पहले मायावती का आठ बार जरुर ध्यान करें। अच्छा रहेगा की हाथी पर बैठ कर होली खेलने के बजाय इस बार टूटी फूटी साईकिल से ही काम चलाये। सलाह -- जिनकी सालियां हैं वे अपनी सालियों को साइकिल पर बिठाकर, शहर की चार चक्कर लगाये, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।

6. कन्या - कन्या राशि वाले, इस बार कन्याओं पर विशेष ध्यान दें। हो सके तो कन्याओं पर अपना प्यार लुटाएं। गर कोई कन्या आपके पास आती हैं तो उसे अपने हृदय के सिंहासन पर बिठाकर, हाल चाल पूछे। कन्या के दिल में झांककर अपना पोजीशन सुनिश्चित करें। खुद मालपुआ खाएं, उन्हें खिलाएं। पर याद रखें -- कन्या का भोग लगाया मालपुआ गर खाया तो जीवन धन्य..........नहीं तो गये काम से.

7. तुला -- तुला राशि वाले गये काम से। ठीक वैसे, जैसे राहुल भैया को कोई पूछ नहीं रहा। वैसा हाल होने जा रहा। कोई लड़कियां रंग लगाने को नहीं आयेंगी, रंग के लिए तरस जायेंगे। सलाह -- खुद ही काला रंग ले और अपने मुंह में लगाकर, चार बार -- अमेठी का चक्कर लगाये। अगली इलेक्शन में मनोकामना जरुर पूरी होगी.. तब तक आप ओम् मुलायमाय नमः का जप करते रहे, ऐसे में शादी भी हो जायेगी और सब ठीक हो जायेगा।

8. वृश्चिक -- गर आप लड़की हैं तो सोचना नहीं हैं। लड़का हैं तो बड़ी गड़बड़ी हैं। लड़कियां बिच्छु बन कर लड़कों को डंक मारेगी। सारे अरमान लड़कों के धरे के धरे रह जायेंगे। लड़कियां मस्ती में रहकर फिल्मी गाने गायेंगी -- गाने के बोल होंगे -- लड़की चले जब सड़कों पे आये कयामत लड़कों पे। इसलिए लड़के को सलाह दी जाती हैं कि अपनी गर्लफ्रेंड के चक्कर से अभी दूर रहे। गर होली खेलने के लिए कोई गर्लफ्रेंड बुलाये तो अपना आगे - पीछे जरुर देख लें, क्योंकि जीत तो लड़कियों की ही होगी।

9. धनु -- धनु राशिवालों के लिए फिफ्टी फिफ्टी. पत्नी सर पर गोले दागेगी, बेलन की बरसात करेगी और साली हर प्रकार के सुख देने के लिए तैयार रहेगी। जिनकी साली नहीं हैं, उनके लिए बुरी खबर हो सकती हैं, क्योंकि साली वाले, उनके सामने ही बैठकर प्रेमालाप कर उन्हें जलाने की कोशिश करेंगे। जिनकी शादी नहीं हुई, वो घबराएं नहीं, आस पड़ोंस से आप काम चलाये........पर ध्यान रहे जिनके साथ इस बार आप काम चलायेंगे.. उसी से आप की आंखे भी चार हो जायेगी।

10. मकर -- मकर वाले ध्यान दें। होली की शुरुआत से लेकर बुढ़वा मंगल तक मगरमच्छ की तरह सोने की कोशिश करें। किसी नदी या समुद्र के पास जाकर मगरमच्छ का दर्शन करें और मगर पर बैठकर कम से कम एक किलोमीटर की यात्रा करे.......अगर मगरमच्छ नहीं मिले तो अपनी सास को ही मगरमच्छ समझकर चार बार प्रदक्षिणा करें क्योंकि समय बहुत खराब चल रहा हैं, ठी उसी तरह जैसे सोनिया गांधी का समय खराब चल रहा।

11. कुम्भ -- कुम्भ राशि वाले ध्यान दे। होली की सुबह तीन घड़ों में तीन प्रकार का रंग भरकर, अपनी साली को घटदान करें और फिर उसी घड़ें के रंग से अर्द्धरात्रि में साली और स्वयं होली खेले। हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होगी। पूरा साल बम बम रहेगा..............

12. मीन -- मीन राशि खूब खाये, खूब खिलाएं। भांग की मस्ती में डूबकर, चार हिन्दी फिल्मी नायिकाओं का, खासकर मल्लिका शेरावत और सेलिना जेटली को हृदय में धारण कर विधिवत पूजन करें..........पूजन के बाद.. पास पड़ोंस की भाभियों को जमकर गुलाल लगायें और मालपूएं खाएँ.... पर याद रहे भाभियों को मालपूएं खिलाते समय मालपूएं का रस....अन्यत्र न गिरे.................

Wednesday, March 7, 2012

गुंडों को क्या हैं, हाथी से उतरे, साईकिल पर चढ़ गये ---------------


देश की नजर, 6 मार्च को होनेवाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों पर थी, पर मेरी नजर ज्यादातर उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम पर थी, कि वहां की जनता क्या जनादेश देती हैं। जनता ने जनादेश दे दिया। पिछली बार मायावती की झोली भर दी थी, इस बार मुलायम की झोली भर दी। ऐसी झोली भर दी कि पांच सालों तक कोई किच किच न हो। कोई राजनीतिज्ञ उलाहना न दे कि जनता ने जनादेश तो दिया पर बहुमत नहीं। अब लो दे दिया, काम करो। इसके पहले बहुमत मायावती को दिया, पर मायावती को अपनी मूर्ति और हाथी को सजाने से, वक्त ही नहीं मिला कि वो उत्तर प्रदेश के बारे में सोचे। मायावती तो जानती हैं कि यूपी के दलित, हाथी को छोड़कर, दूसरे पर बटन दबा ही नहीं सकते और रही बात पंडितों और मुस्लिमों की, तो पंडितों को दक्षिणास्वरुप विधानसभा की टिकट और मुस्लिमों को भाजपा का भय दिखाकर, फिर से सत्ता हासिल कर लेंगे, पर ऐसा हो न सका। बसपा का नारा -- चढ़ गुंडे की छाती पर, बटन दबेंगी हाथी पर और ब्राह्मण शंख बजायेगा, हाथी दिल्ली जायेगा। काम नहीं आया और हाथी लखनउ तक, ही सिमट गया। इधर समाजवादी पार्टी की बल्ले बल्ले हैं, जनता ने पूर्ण बहुमत दे दिया। बांछे खिल गयी। बहुमत की बात तो समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने सपने में भी नहीं सोची होगी, पर आज बहुमत हैं। न कांग्रेस को मनाने का झंझट और न निर्दलीयों के आगे घूटने टेकने की जरुरत। बस सब बम - बम हैं। भाई यूपी की जनता ने एक बार भाजपा को भी पूर्ण बहुमत दे दिया था, पर राम मंदिर की आस्था और मंदिर निर्माण की दृढ़संकल्पिता, उसे कहीं की नहीं रखी और भाजपा आज तीसरे नंबर पर आकर अटक गयी। लगता हैं कि भाजपा फिर कभी सत्ता में नहीं आयेगी। लेकिन देश की राजनीति ऐसी हैं कि कब कौन उछलकर मुख्यमंत्री पद पर चला जायेगा या किस की फिर से बहुमत आ जायेगी, कहां नहीं जा सकता। एक समय था कि लोग जनसंघ( अब भाजपा ) और उसके नेताओं के बारे में बोलते थे कि ये पार्टी कभी सत्ता में नहीं आयेगी, पर ये पार्टी देश की बागडोर भी संभाली, कई प्रदेशों में इनकी सरकार हैं, इसलिए इस पर बोलना व लिखना बेकार हैं।
इधर जब जनादेश का परिणाम आ रहा था, तब देश के राष्ट्रीय समाचार पत्रों व राष्ट्रीय चैनलों में कार्यरत कांग्रेस भक्त पत्रकार, जो कल तक यूपी में कांग्रेस की शानदार सफलता का दंभ भरते आ रहे थे। अपना चेहरा छुपाते नजर आये। कुछ ऐसे बेशर्म कांग्रेस भक्त पत्रकार भी थे, जो बेशर्मी की सारी हदें पारकर, अपना चेहरा बार - बार चैनलों पर दिखा रहे थे। खैर कांग्रेस का जो होना था। हो गया। कांग्रेस पार्टी आज भी परिवारों की पार्टी हैं। हाई - फाई पार्टी हैं। जिसमें जनता की भागीदारी कम, नेताओं के खानदानों की भागीदारी ज्यादा होती हैं, और परिणाम सबके सामने हैं।
समाजवादी पार्टी -- नाम कितना सुंदर। समाज की बात करनेवाली यानी सामाजिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, देश व समाज को आगे ले जानेवाली पार्टी। पर क्या लगता हैं कि इस पार्टी से उत्तरप्रदेश का भला होगा। आज तो देश के सभी समाचार पत्रों में बड़े बड़े संपादक, और अन्य स्तंभकार, मुलायम पुत्र अखिलेश की जय जय कर रहे हैं। चाटुकारिता की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। मुलायम को सही युवराज बता रहे हैं। राहुल पर फब्तियां कस रहे हैं। ये लिखनेवाले और बोलनेवाले वो लोग हैं, जो लाखों नहीं, करोड़ों में खेलते हैं। जो यूपी की गांवों और गलियों का इतिहास भूगोल भी नहीं जानते, पर बता रहे हैं कि यूपी को अखिलेश यादव नया मार्ग दिखायेंगे, अब यूपी बहुत आगे निकल जायेगा। सपा दिल्ली में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। हां हां क्यों नहीं निभायेगी, जनता ने भूमिका निभाने के लिए ही तो जनादेश दिया हैं। पर आज अखिलेश के आगे नतमस्तक होकर, अखिलेश यादव की चरणवंदना करनेवाले ये सारे पत्रकार, जब कांग्रेस दूसरे या तीसरे नंबर पर अथवा अपनी सीटें पूर्व के विधानसभा चुनाव के मुकाबले दुगनी कर लेती तो फिर देखते क्या होता। ये सारे के सारे पत्रकार राहुल शरणं गच्छामि कहकर, राहुल गांधी की चरणवंदना में लगे रहते। हम आपको ये भी बता दें कि भारतीय राजनीति और यहां की जनता कैसे जनादेश देती हैं, वो सबको पता हैं.............कल विदेशियों के हाथ में गर ये सत्ता सौंप दें तो इस पर भी किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि यहां किसे अपने देश और समाज की बढ़ोतरी की चिंता हैं, सभी अपने आप में लगे हैं। समाजवादी पार्टी को ही ले लो। ये समाजवाद की बात करते हैं। इंदिरा गांधी के शासनकाल के समय परिवारवाद की आलोचना करनेवाले इन समाजवादियों से पूछों कि तुम आज क्या कर रहे हो। जरा देखो -- मुलायम सिंह यादव, सांसद हैं अब मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, बेटा अखिलेश यादव खुद सांसद हैं और मुलायम की बहु डिंपल ये भी सांसद बनने जा रही थी, पर जनता ने इन्हें जिताकर नहीं भेजा, गर भेज देती तो ये भी सांसद होती। जिस पार्टी की सोच, अपने परिवार पर आकर सिमट जाती हैं, वो समाजवादी कैसे हो सकता हैं। सवाल ये हैं।
सवाल ये भी हैं -- कि जिस पार्टी ने अभी सत्ता संभाला नहीं हैं। अभी तक अपना नेता चुना नहीं हैं। ये अलग बात हैं कि मुलायम ही मुख्यमंत्री होंगे और इनके बाद इनके बेटे, कांग्रेस की तरह अपनी पार्टी का झंडा ढोयेंगे, यूपी संभालेंगे। जब चुनाव परिणाम आते ही इनके गुड़ों ने अपनी औकात दिखानी शुरु कर दी तो आनेवाले समय में क्या होगा। क्या लोगों को मालूम नहीं कि गुंडों का क्या हैं, हाथी से उतरे और साईकिल पर चढ गये। समाजवादी पार्टी के लोगों ने क्या गुंडागर्दी दिखायी हैं जरा देखिये --- सपा के बहुमत की खबर आते ही यूपी के दस शहरों में सपा के गुंडों ने बवाल काटे। यूपी के संभल में सपा प्रत्याशी की जीत पर जीत में बौराएं गुंडों ने गोलियां चलायी, एक बच्चे की मौत हो गयी। झांसी में सपाईयों ने पत्रकारों को बाथरुम में बंद कर घंटों बंधक बनाये रखा। मेरठ, फैजाबाद, आगरा, संभल में स्थिति ऐसी हो गयी कि आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े। ये तो शुरुआत हैं, अभी पांच साल बाकी हैं। आप मानकर चलिये, कि सपा के राज में क्या होने जा रहा हैं............। पर इसके बावजूद हम चाहेंगे कि यूपी, अन्य विकसित हो रहे प्रदेशों की तरह विकसित हो, लेकिन ऐसा नयी सरकार कर पायेगी, क्योंकि गुंडे साइकिल पर बैठकर अभी से ही इतनी तेजी दिखा दी कि सारे सपने ही टूटते नजर आ रहे हैं। हां एक खुशखबरी हैं -- कांग्रेस व सपा भक्त पत्रकारों के लिए, कि वे मुलायम और अखिलेश का चरणवंदना कर अपनी किस्मत आजमायेंगे और अपने हिस्से का यूपी लूटकर, मुलायम और मुलायम के परिवार की तरह समाजवाद का असली चरित्र पत्रकारिता में दिखायेंगे।