रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग का बवाल फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा। पत्रकारिता विभाग के पूर्व निदेशक सुशील अंकन को अभी भी लगता हैं कि तथाकथित छात्र संगठनों व विभिन्न समाचार पत्रों एवं चैनलों के मच्छड़ और चिरकुट नेताओं व पत्रकारों द्वारा पत्रकारिता विभाग में निरंतर बवाल कराते रहने से वे पुनः निदेशक पद पर स्थापित हो जायेंगे। आश्चर्य इस बात की भी हैं कि पूर्व में, जिस व्यक्ति को मैं इतना सम्मान देता था, जो सम्मान के लायक ही नहीं हैं, हमसे इतनी बड़ी भूल कैसे हो गयी। आम तौर पर देखा यहीं जाता हैं कि शैक्षिक संगठनों में जब किसी को पद से हटाया जाता हैं वो व्यक्ति वहां से बोरिया बिस्तर समेट कर अपने नये संस्थान में मनोयोग से कार्य करनें में जूट जाता हैं, पर यहां ऐसा देखने को नहीं मिल रहा। फिलहाल पूर्व निदेशक एड़ी चोटी एक किये हुए हैं, पत्रकारिता विभाग में निदेशक पद पर रहते हुए जिन छात्रों ने उनसे थोड़ी बहुत शिक्षा - दीक्षा ली, उससे वे गुरुदक्षिणा के रुप में निरंतर आंदोलन करने, विभाग में तालाबंदी कराने का संकल्प करा चुके हैं, इसलिए फिलहाल पत्रकारिता विभाग में तालाबंदी हैं, ये ताला कब टूटेगा, पढ़ाई कब जारी होगी, इसका सही उत्तर - पूर्व निदेशक सुशील अंकन ही बेहतर ढंग से दे सकते हैं।
बहुत सारे ऐसे सज्जन हैं - जो इन्हें बेहतर इंसान बताते हैं, मैं भी उन्हें बेहतर इँसान मानता हूं, पर कोई इंसान पद पाकर कैसे पागल हो जाता हैं, उसका सुंदर उदाहरण मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं। पहली बार, जब पत्रकारिता विभाग में, वीसी ने इनके खिलाफ कौसिंल की मीटिंग बुलवायी तो इन्होंने मीटिंग में शामिल होना उचित नहीं समझा, जब मैंने उनसे बातचीत करनी चाही तो कहा कि वे बात करने की स्थिति में नहीं हैं, जबकि वहां गुंडागर्दी कर रहे अवांछनीय तत्व, जो कौंसिल मीटिंग के दिन इनके दिशा निर्देश पर तालाबंदी कर रहे थे, उत्पात मचा रहे थे, उनसे बातचीत करने में, इन्हें कोई दिक्कत नहीं आ रही थी। हमारे पास विजुयल हैं, उस दिन की इनकी हरकतें कैमरे में मेरे पास कैद हैं।
अब जरा देखिये, इनकी सुंदर कृति, मैं इनकी सुंदर कृति पर प्रकाश डाल रहा हूं................
क. इन्हीं की देख रेख में एक शिक्षिका जो एक ही समय में झारखंड से अन्यत्र शिक्षा भी ग्रहण कर रही थी और यहां शिक्षिका के पद पर भी आरुढ़ थी, भला एक ही व्यक्ति एक ही समय में, दो जगहों पर कैसे मिल सकता हैं, पर ये कार्य कर, इन्होंने विश्व रिकार्ड तोड़ दिया, फिलहाल किसी ने आरटीआई के तहत सवाल किये, तो वो शिक्षिका, स्वयं को इस संस्थान से अलग कर ली।
ख. आज भी बहुत सारे ऐसे पत्रकार हैं, इस संस्थान में पढ़ाई कर रहे हैं, जो एक ही समय में दो - दो जगहों पर मिलते हैं, यानी यहां नियमित छात्र भी हैं और विभिन्न अखबारों में उसी समय आपको कार्य करते मिल जायेंगे। ऐसा कमाल, सिर्फ और सिर्फ यहीं कर सकते हैं, मैं इनकी इस चतुराई के लिए भी नमन करता हूं।
ग. एक और कमाल, एक अखबार का संपादक, जो यहां का छात्र हैं, वो ज्यादातर पढाई से गायब रहता हैं, वो रांची में रहता ही नहीं हैं। नियम हैं कि एटेंडेंस 75 प्रतिशत होना अनिवार्य हैं, पर वो आता ही नहीं, फिर भी बिना एटेंडेंस पूरा किये, उसे परीक्षा देने की अनुमति दे दी जाती हैं, वो पढाई भी जारी रखे हुए हैं। इस कार्य के लिए भी मैं, ऐसे निदेशक को नमन करता हूं।
घ. यहां बहुत सारे ऐसे चैनल व अखबारों के छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं, जो इनके निर्देश पर कभी छात्र तो कभी पत्रकार बनकर, इनकी दिशा-निर्देश पर आंदोलन भी करते हैँ और कैमरा चमकाते हैं, यानी एक ही समय में छात्र भी और पत्रकार भी, धन्य हैं, ऐसे निदेशक जो इस प्रकार का दुकान चलाते हैं, इस कार्य के लिए भी, मैं इन्हें नमन करता हूं।
ऐसे तो भ्रष्टाचार के कई किस्से हैं, इनके। पर छात्र संगठनों से जूड़े मच्छड़ व चिरकुट नेताओं व पत्रकारों को पूर्व निदेशक में केवल गुण ही गुण दिखाई पड़ते है, इसलिए आंदोलनरत हैं। खूलेआम धमकी देते हैं कि गर निदेशक के पद पर सुशील अंकन की पुनःवापसी नहीं हुई, तालाबंदी जारी रखेंगे, आंदोलन करेंगे............
कमाल हैं
क. देश के जम्मूकश्मीर प्रांत के लद्दाख में चीनी सैनिक दस किलोमीटर अंदर तक घूस आकर, हमारे पुरुषार्थ को ललकारा हैं, पर इन मच्छड़ व चिरकुट नेताओं व पत्रकारों का खुन नहीं खौलता, वे इस बात को लेकर आंदोलन नहीं करते..........................
ख. रांची में वहशियों और जानवरों ने हमारी गुड़ियां बिटियां को जीना दूभर कर दिया, दुष्कर्म के आधा दर्जन से भी ज्यादा समाचार एक दिन में प्रकाशित और प्रसारित हो रहे हैं, पर इन मच्छड़ व चिरकुट नेताओं व पत्रकारों का खुन नहीं खौलता, वे इस बात को लेकर आंदोलन नहीं करते..............
पर एक भ्रष्ट निदेशक को जिसे कौंसिल ने मीटिंग कर, आरोप सिद्ध करते हुए, उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने की मांग कर दी, तो ये आंदोलन पर उतारु हैं। धिक्कार हैं, ऐसे पत्रकारों व छात्र संगठनों से जूड़े मच्छड़ नेताओं को जिन्होंने पत्रकारिता को कर्मनाशा बना दिया....................
कमाल इस बात की भी हैं, सारे के सारे छात्र संगठन, इस पूरे प्रकरण पर दोहरे मापदंड अपना रहे हैं, क्या इससे पता नहीं चलता कि वर्तमान में, इस देश में ऐसे नक्कारा युवाओं की फौज आ गयी है, जिसे देश के सम्मान से ज्यादा, एक भ्रष्टाचारी को बचाने में ज्यादा आनन्द आता हैं, और जहां ऐसे लोग होंगे, उस देश व राज्य का भगवान ही मालिक हैं। ऐसे में चीन ने अभी तो दस किलोमीटर अंदर आकर अपनी चौकी बनायी हैं, घबराइये नहीं कल वो बिहार - झारखंड तक आ जायेगा, और आप पत्रकारिता विभाग में ताला लगाते रहियेगा। अरे शर्म करो, यार...................
बहुत सारे ऐसे सज्जन हैं - जो इन्हें बेहतर इंसान बताते हैं, मैं भी उन्हें बेहतर इँसान मानता हूं, पर कोई इंसान पद पाकर कैसे पागल हो जाता हैं, उसका सुंदर उदाहरण मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं। पहली बार, जब पत्रकारिता विभाग में, वीसी ने इनके खिलाफ कौसिंल की मीटिंग बुलवायी तो इन्होंने मीटिंग में शामिल होना उचित नहीं समझा, जब मैंने उनसे बातचीत करनी चाही तो कहा कि वे बात करने की स्थिति में नहीं हैं, जबकि वहां गुंडागर्दी कर रहे अवांछनीय तत्व, जो कौंसिल मीटिंग के दिन इनके दिशा निर्देश पर तालाबंदी कर रहे थे, उत्पात मचा रहे थे, उनसे बातचीत करने में, इन्हें कोई दिक्कत नहीं आ रही थी। हमारे पास विजुयल हैं, उस दिन की इनकी हरकतें कैमरे में मेरे पास कैद हैं।
अब जरा देखिये, इनकी सुंदर कृति, मैं इनकी सुंदर कृति पर प्रकाश डाल रहा हूं................
क. इन्हीं की देख रेख में एक शिक्षिका जो एक ही समय में झारखंड से अन्यत्र शिक्षा भी ग्रहण कर रही थी और यहां शिक्षिका के पद पर भी आरुढ़ थी, भला एक ही व्यक्ति एक ही समय में, दो जगहों पर कैसे मिल सकता हैं, पर ये कार्य कर, इन्होंने विश्व रिकार्ड तोड़ दिया, फिलहाल किसी ने आरटीआई के तहत सवाल किये, तो वो शिक्षिका, स्वयं को इस संस्थान से अलग कर ली।
ख. आज भी बहुत सारे ऐसे पत्रकार हैं, इस संस्थान में पढ़ाई कर रहे हैं, जो एक ही समय में दो - दो जगहों पर मिलते हैं, यानी यहां नियमित छात्र भी हैं और विभिन्न अखबारों में उसी समय आपको कार्य करते मिल जायेंगे। ऐसा कमाल, सिर्फ और सिर्फ यहीं कर सकते हैं, मैं इनकी इस चतुराई के लिए भी नमन करता हूं।
ग. एक और कमाल, एक अखबार का संपादक, जो यहां का छात्र हैं, वो ज्यादातर पढाई से गायब रहता हैं, वो रांची में रहता ही नहीं हैं। नियम हैं कि एटेंडेंस 75 प्रतिशत होना अनिवार्य हैं, पर वो आता ही नहीं, फिर भी बिना एटेंडेंस पूरा किये, उसे परीक्षा देने की अनुमति दे दी जाती हैं, वो पढाई भी जारी रखे हुए हैं। इस कार्य के लिए भी मैं, ऐसे निदेशक को नमन करता हूं।
घ. यहां बहुत सारे ऐसे चैनल व अखबारों के छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं, जो इनके निर्देश पर कभी छात्र तो कभी पत्रकार बनकर, इनकी दिशा-निर्देश पर आंदोलन भी करते हैँ और कैमरा चमकाते हैं, यानी एक ही समय में छात्र भी और पत्रकार भी, धन्य हैं, ऐसे निदेशक जो इस प्रकार का दुकान चलाते हैं, इस कार्य के लिए भी, मैं इन्हें नमन करता हूं।
ऐसे तो भ्रष्टाचार के कई किस्से हैं, इनके। पर छात्र संगठनों से जूड़े मच्छड़ व चिरकुट नेताओं व पत्रकारों को पूर्व निदेशक में केवल गुण ही गुण दिखाई पड़ते है, इसलिए आंदोलनरत हैं। खूलेआम धमकी देते हैं कि गर निदेशक के पद पर सुशील अंकन की पुनःवापसी नहीं हुई, तालाबंदी जारी रखेंगे, आंदोलन करेंगे............
कमाल हैं
क. देश के जम्मूकश्मीर प्रांत के लद्दाख में चीनी सैनिक दस किलोमीटर अंदर तक घूस आकर, हमारे पुरुषार्थ को ललकारा हैं, पर इन मच्छड़ व चिरकुट नेताओं व पत्रकारों का खुन नहीं खौलता, वे इस बात को लेकर आंदोलन नहीं करते..........................
ख. रांची में वहशियों और जानवरों ने हमारी गुड़ियां बिटियां को जीना दूभर कर दिया, दुष्कर्म के आधा दर्जन से भी ज्यादा समाचार एक दिन में प्रकाशित और प्रसारित हो रहे हैं, पर इन मच्छड़ व चिरकुट नेताओं व पत्रकारों का खुन नहीं खौलता, वे इस बात को लेकर आंदोलन नहीं करते..............
पर एक भ्रष्ट निदेशक को जिसे कौंसिल ने मीटिंग कर, आरोप सिद्ध करते हुए, उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने की मांग कर दी, तो ये आंदोलन पर उतारु हैं। धिक्कार हैं, ऐसे पत्रकारों व छात्र संगठनों से जूड़े मच्छड़ नेताओं को जिन्होंने पत्रकारिता को कर्मनाशा बना दिया....................
कमाल इस बात की भी हैं, सारे के सारे छात्र संगठन, इस पूरे प्रकरण पर दोहरे मापदंड अपना रहे हैं, क्या इससे पता नहीं चलता कि वर्तमान में, इस देश में ऐसे नक्कारा युवाओं की फौज आ गयी है, जिसे देश के सम्मान से ज्यादा, एक भ्रष्टाचारी को बचाने में ज्यादा आनन्द आता हैं, और जहां ऐसे लोग होंगे, उस देश व राज्य का भगवान ही मालिक हैं। ऐसे में चीन ने अभी तो दस किलोमीटर अंदर आकर अपनी चौकी बनायी हैं, घबराइये नहीं कल वो बिहार - झारखंड तक आ जायेगा, और आप पत्रकारिता विभाग में ताला लगाते रहियेगा। अरे शर्म करो, यार...................
Mr Ankan has breached all the standards of the journalism and he has proved to be coward. He has used many innocent students to fulfill his wishes because he could not face the truth before the Departmental Council. The University has taken a right decision in his regard and all the students organizations must respect.
ReplyDeleteIt is high time, we must learn to speak yes to truth and no to lies...
Krishna Bhai u have written a wonderful peace.
The journalists, who try to teach moral and ethics to the society have themselves become characterless and have no morality...How can they speak to others about the same...?
OUR STATE IS UNIQUE AND SO AS RU DIRECTOR OF RU MASS COM HAS ADDED GOLDEN GLORIES TO HISTORY OF RU SUSHIL ANKAN IS A GREAT GUY LIKE THE KING OF STUPID DONKEY HATS OF TO ANKAN BYEEEEEE...
ReplyDeleteGreat Biplaw! really one must appreciate the efforts of Mr Ankan to keep his fight on! What a fighting spirit he has...defeated but not lost.! He is just a great guy!
ReplyDelete