आज बिहार में भाजपा विश्वासघात दिवस मना रही हैं, पूरे राज्य में बिहार बंद का आह्वान किया हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को दंगाई बतानेवाला बिहार का दंगाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गुंडागर्दी देखिये। वे अपने जदयू कार्यकर्ताओं को आह्वाऩ कर रहे हैं कि वे सड़कों पर उतरे। भाजपा कार्यकर्ताओं का मुकाबला करें और इनके आह्वाऩ पर जदयू कार्यकर्ताओं ने वहीं किया जो उनके आलाकमान नीतीश ने कहा - जमकर भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसायी। भाजपा कार्यकर्ताओॆं को घायल कर दिया। इनके कार्यकर्ता राइफल लेकर भी पहुंचे, ये राइफल लेकर सड़कों पर भजन गाने के लिए तो आये नहीं थे। अंततः जदयू के इस गुंडागर्दी और स्वयं पर लाठियां बरसते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं ने वहीं किया जो सामान्य व्यक्ति ऐसी अवस्थाओं में करता हैं।
मैं पूछता हूं - कि नीतीश बिहार के खुद मुख्यमंत्री हैं। वे सरकार में हैं। पुलिस उनकी। प्रशासन उनका। ऐसे में वे पुलिस प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करने के बदले, जदयू कार्यकर्ताओं को उकसाने का काम क्यों किया। ऐसा काम सेक्यूलर नेता नहीं बल्कि एक गुंडा करता हैं। ये बिहार ही नहीं, बल्कि देश का बच्चा - बच्चा जानता हैं। क्या नीतीश बता सकते हैं कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता जदयू के कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा कार्यालय क्यों गये थे। उनकी मंशा क्या थी। ऐसे में नीतीश के पुलिसकर्मी क्या कर रहे थे, वे क्या इंतजार कर थे, कि जदयू कार्यकर्ता, भाजपा कार्यालय जाये, भाजपा कार्यकर्ताओं को जमकर, उनकी औकात बताये। ऐसे में पूरे राज्य में कानून व्यवस्था गर बिगड़ी तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।
कल तक भाजपा अच्छी, सत्ता से उसके साथ चिपकने में अच्छा लगा और अब लगे भाजपा और भाजपा कार्यकर्ताओं को औकात बताने। धर्मनिरपेक्षता का इतना ही ठेका ले रखा हैं, तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण का लबादा क्यों ओढ़ रखा हैं, उसे फेंक दो और जाओ सोनिया व राहुल के चरणों में बलिहारी जाओ। ऐसे भी सोनिया और राहुल के इशारों पर ठूमके लगानेवाला, भारत का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तुम्हें धर्मनिरपेक्षता का प्रमाण पत्र आज दे ही दिया हैं। इस देश की विडम्बना हैं, कि सत्ता से बाहर रहने पर सारे के सारे नेताओं को भाजपा अच्छी लगती हैं, उसके कंधों पर मुख्यमंत्री बनना अच्छा लगता हैं, पर जैसे ही उसे अपनी मूर्खता पर अभिमान आने लगता हैं, उसे भाजपा और भाजपा के नेता दंगाई नजर आने लगते हैं। पूरे बिहार को विकास का हौवा खड़ाकर, बिहार का नाश करनेवाला, बिहार की लड़कियों से काला दुपट्टा उतरवानेवाला नीतीश, पूरे बिहार को बर्बाद कर के रख दिया। फिर भी पता नहीं, नीतीश भक्त पत्रकार, आर्थिक विश्लेषक और उसके टुकड़ों पर पलनेवाले मूर्खों को नीतीश क्यूं अच्छा लगता हैं, समझ में नहीं आता।
आश्चर्य तो तब हुआ, कि कल रांची से प्रकाशित एक अखबार ने लंदन में अपनी पूरी जिंदगी गुजारनेवाला एक व्यक्ति का आलेख छापा - कि नीतीश बिहार को संभाल लेंगे। उसका नमूना तो आज ही दीख गया कि नीतीश कैसे बिहार को संभालने का प्रबंध कर रखा हैं। अरे जो नेता, अपने ही नेता जार्ज फर्नांडिंस, दिग्विजय सिंह को ठिकाने लगा दे और अब शरद यादव को उसकी औकात बताते हुए, पूरे पार्टी से लोकतंत्र समाप्त कर दे और खुद को स्वयंभू नेता घोषित कर दे, वो देश या प्रांत का नेता या सेवक नहीं होता, वो तो विशुद्ध रुप से तानाशाह कहलाता हैं, और आज जिस प्रकार से उसने अपने कार्यकर्ताओं को पूरे प्रदेश में सड़कों पर उतरने का आह्वान कर दिया, उससे साफ लगता हैं कि ये काम तो गुंडें का भी नहीं, ये तो पूर्णतः दंगाई का काम हैं, पर देश के अन्य नेताओं को नीतीश का ये कुकृत्य दिखाई नहीं देता।
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