Thursday, May 14, 2015

संघ और प्रभात खबर के बीच छिड़ी जंग.........


पिछले दिनों 9 मई को प्रभात खबर के पृष्ठ संख्या 2 में पढ़ने को मिला कि समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार, झारखंड द्वारा इस वर्ष से शुरु किये गये पं. दीनदयाल राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के लिए प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक (झारखंड) अनुज कुमार सिन्हा को चयन किया है। श्री सिन्हा को ये पुरस्कार 12 मई को एटीआई सभागार में प्रदान किया जायेगा। पुरस्कार के लिए एक चयन समिति बनायी गयी। उस चयन समिति की बैठक में ये निर्णय लिया गया, कि इस पुरस्कार के लिए प्रभात खबर के अनुज कुमार सिन्हा ही योग्य है, दूसरा कोई नहीं.....!

मुझे जैसे ही ये समाचार पढ़ने को मिला, मेरा माथा ठनका। भला ये कैसे हो सकता हैं कि संघ प्रभात खबर में कार्यरत इतने बड़े अधिकारी को वह भी संपादकीय स्तर का, उसे सम्मानित कर दें, क्या संघ का हृदय परिवर्तन हो गया.....या कुछ दूसरी बात हैं......मैंने पता लगाने की कोशिश की और 12 मई तक इँतजार किया। जैसे ही 12 मई बीता, मुझे ये बात जानने में देर नहीं लगी कि संघ का हृदय परिवर्तन हुआ या कुछ दूसरी बात हैं।

संघ जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहा जाता है। अधिकांश लोगों का मानना हैं कि ये पूर्णतः चरित्र निर्माण करनेवाली एक राष्ट्रभक्त संगठन है। जिसे लेकर देश-विदेश के कई महापुरुषों ने अपने संभाषणों में इस संगठन के क्रियाकलापों पर सुंदर प्रतिक्रियाएं दी, जिसे कई अखबारों और चैनलों ने जगह भी दी। ये अलग बात हैं कि कुछ अखबार/चैनल पूर्व से ही अपने मन में संघ के प्रति नकारात्मक भाव रखते हुए अनाप-शनाप छापते/ दिखलाते रहते हैं।

इधर कुछ महीनों से प्रभात खबर ने संघ के प्रति छद्म नाम से बहुत कुछ छापे हैं, हम उस समाचार को न तो गलत ठहरा सकते हैं और न ही सही, सच्चाई क्या है, ये जांच का विषय हैं। हर समाचार में गलतियां और हर समाचार में सच्चाईयां नहीं होती। कुछ समाचार समय, काल और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अखबार व चैनल वाले छापते व दिखाते रहते हैं, इसमें उनका निहितस्वार्थ छुपा रहता हैं, जिसे वे निहितस्वार्थ न कहकर देश व समाज के प्रति अपना कर्तव्य का निर्वहण करने का ढोंग समाज के समक्ष रखते हैं।

सूत्र बताते हैं कि इधर संघ के खिलाफ प्रभात खबर का लगातार होता दुष्प्रचार से संघ ने एक नीति बनायी, कि वह न तो अखबार के खिलाफ आंदोलन चलायेगा और न ही न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा। हां इतना जरुर करेगा कि वह स्वयंसेवकों से अनुरोध करेगा कि वे प्रभात खबर का बहिष्कार करना शुरु करें। आज भी आप देख सकते हैं कि संघ के ऐसे बहुतेरे स्वयंसेवक हैं, जो संघ के लिए अपना जान छिरकते हैं, उन्होंने प्रभात खबर को अपने घर में आने पर प्रतिबंध लगा दिया हैं। निवारणपुर स्थित संघ मुख्यालय में तो आप प्रभात खबर कभी देख ही नहीं सकते और न ही इसकी आनुषांगिक संगठन के कार्यालयों में।

अब बात यहां आती हैं कि जब संघ मुख्यालय में प्रभात खबर नहीं आता तो फिर प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा को पुरस्कृत करने की बात कहां से आ गयी, वह भी संघ की अनुषांगिक संगठन, समाचार एजेंसी, हिन्दुस्थान समाचार की ओर से..........। ये बात किसी भी स्वयंसेवक को पच नहीं रही थी, सभी स्वयंसेवक इसका विरोध कर रहे थे। कुछ दबीं जुबां तो कुछ खुलकर विरोध कर रहे थे। आखिर ये कैसे हो गया। क्या राज्य में सचमुच पत्रकारों का अकाल पड़ गया हैं। क्या अब जब भी पुरस्कार की बात आयेगी तो प्रभात खबर से ही लोग आयेंगे, पुरस्कार लेने। यानी जितने स्वयंसेवक, उतनी ही बातें।

सूत्र बताते हैं कि जैसे ही पं. दीन दयाल राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार देने की बात झारखंड में आयी। हिन्दुस्थान समाचार के ब्यूरो चीफ ने हिन्दुस्तान समाचार पत्र के चंदन मिश्र और दैनिक जागरण के कमलेश रघुवंशी को बुलाकर एक बैठक की और आनन-फानन में प्रभात खबर के अनुज कुमार सिन्हा को पुरस्कार देने की घोषणा कर डाली। फिर अखबारों व चैनलों से इस बात की जानकारी जनता तक पहुंचा दी गयी। जिसे संघ, हिन्दुस्थान समाचार और विश्व संवाद केन्द्र के उच्चाधिकारियों को नागवार गुजरी और उसी वक्त तय हो गया कि किसी भी हालत में प्रभात खबर के अनुज कुमार सिन्हा को 12 मई को एटीआई में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित नहीं किया जायेगा, हालांकि पुरस्कार दिलवानेवालों ने भी कम एड़ी-चोटी एक नहीं की। नाना प्रकार के तिकड़म लगाये पर सफलता मिलती नहीं दिखी। खैर 12 मई समयानुसार आया, कार्यक्रम आयोजित हुए। संघ, विश्व संवाद केन्द्र, हिन्दुस्थान समाचार, भाजपा और संघ के कई आनुषांगिक संगठन के लोग पहुंचे पर उन्हें सम्मान नहीं मिला, जिन्हें सम्मान देने की घोषणा की गयी थी.......। इससे प्रतिष्ठा किसकी गयी.......? सम्मान लेनेवाले की, सम्मान दिलाने की घोषणा करनेवाले की या किसी और की। आप अपने ढंग से इसकी व्याख्या कर सकते हैं।

इधर आज 14 मई को हमने चयन समिति के सदस्य चंदन मिश्र से बात की, तब उनका कहना था कि सम्मान समारोह का कार्यक्रम अभी स्थगित हुआ हैं, पुरस्कार देने की घोषणा की तिथि बाद में की जायेगी, पर संघ के सूत्र बताते हैं कि ऐसा संभव नहीं। 12 मई को संपादकीय पृष्ठ पर सांप्रदायिकता के जहर से सावधान नामक संपादकीय और 13 मई को पवन के. वर्मा के आलेख भगवाकरण की घातक प्रक्रिया में संघ के आनुषांगिक संगठनों को लंपट समूह की संज्ञा देने पर भी संघ को आपत्ति है। संघ का कहना हैं कि प्रभात खबर आखिर ये सब लिख और पढ़ा कर क्या साबित करना चाहता हैं। ये समझ से परे हैं। संघ के स्वयंसेवकों का कहना हैं कि संघ पर वैचारिक हमले हो, उसका स्वागत हैं, पर गलत, मनगढंत, अपशब्दों का प्रयोग, अखबार के मानसिक दिवालियापन की ओर संकेत करता है।

दूसरी ओर संघ समर्थकों का कहना हैं कि जब संघ इतना गलत हैं तो फिर इसके आनुषांगिक संगठनों से खुद सम्मानित होने का भाव रखना, ये क्या न्यायोचित हैं? आखिर अपने संपादक के पुरस्कृत होनेवाली खबर प्रभात खबर ने क्यों छापे? उसे तो पुरस्कार यह कहकर ठुकरा देना चाहिए था कि आप तो सांप्रदायिक हो, और हम भगवा सोच वाले, सांप्रदायिक संगठनों अथवा उसके आनुषांगिक संगठनों से अनुप्राणित अथवा पुरस्कृत नहीं होते। यानी यहां तो दो प्रकार की बातें हो रही हैं, संघ को गाली भी दे रहे हो और संघ से पुरस्कृत होने का स्वार्थ भी रखते हो। प्रभात खबर को इस विषय पर अपनी सोच बदलनी होगी। क्योंकि दोनों चीजें, एक साथ नहीं चल सकती।

इधर जहां मैं रहता हूं, वहां प्रभात खबर समर्थकों की संख्या बहुत थी, पर अब उनका भी विचार बदल रहा है। एक सज्जन ने कहा कि प्रभात खबर पर्यावरण बचाओ मुहिम चला रहा हैं और लिखता हैं कि झारखंड से 38 पहाड़ गायब हो गये। भला झारखंड तो पठारी इलाका हैं, यहां पहाड़ी हो सकते हैं, पहाड़ कहां से आ गया भाई। बचपन में जब झारखंड, संयुक्त बिहार में था तब पढ़ने को यहां मिलता था कि बिहार की सबसे ऊंची पहाड़ी पारसनाथ की पहाड़ी है, जो अब झारखंड की सबसे उंची पहाड़ी है। ऐसे में जब यहां पहाड़ हैं नहीं, तो पहाड़ गायब कैसे हो गये।

दूसरी बात जो प्रत्येक दिन अखबार के चार पेज की लाइफ रांची देखने को मिलती हैं, उसके टाइम पास वाले पृष्ठ पर अर्धनग्न नायिकाओं के चित्र परोसे जाते हैं, वो किसलिए परोसे जाते हैं, उससे कौन सा समाज, प्रभात खबर तैयार कर रहा हैं, समझ में नहीं आ रहा।

इसलिए संघ, कैंपेन चलाये, अथवा न चलाये। ऐसे भी प्रभात खबर को लेकर जनता के विचार बदल रहे है, जनता के पास अब विकल्प बहुतेरे हैं, उन विकल्पों पर जनता गौर कर रही हैं, परिणाम जल्द ही आयेगा, कोई ज्यादा दिमाग नहीं लगाये...............

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