रघुवर जी, आखिर आप ये तो बताएं कि इन बच्चों ने
कौन सा पाप किया है कि आपके वरीय पुलिस अधिकारी इनकी बात नहीं सुनते या इनकी वेदना
पर अट्टहास करने से बाज नहीं आते..................
हम जहां रहते हैं, वहां एक बहुत ही गरीब घर का
बच्चा रहता है, नाम है – लखू। उसने कुछ सपने देखे है, अपने परिवार के लिए, उसे
लगता हैं कि अब सपने पूरे होनेवाले है, वह भी तब जब जैप विज्ञापन संख्या – 02/2011 के बोर्ड नं. 1
का मेरिट लिस्ट निकलेगा। लखू जैसे एक नहीं कई लड़के होंगे, जिनकी हैसियत या औकात
नहीं कि दिल्ली या और किसी महानगर में जाकर हराम के पैसे कमानेवाले परिवार के
बच्चों की तरह आईएएस व आईपीएस की तैयारी कर सकें। हां मैं एक बात दावे के साथ कह
सकता हूं कि गर इन्हें मौका मिले और सरकार मदद कर दें, इन बच्चों की, तो यकीन
मानिये हराम की कमाई खानेवाले इन बापों के बेटे किसी जिंदगी में अपने बाप के सपनों
को पूरा नहीं कर पायेंगे, क्योंकि तब इन सभी पर इन गरीब ईमानदार बापों के बेटों का
कब्जा होगा, पर जरा देखिये इन बच्चों के साथ क्या हो रहा हैं। ये बच्चे प्रतिदिन
कभी पुलिस उप महानिरीक्षक जैप, कभी प्रभारी पुलिस उप महानिरीक्षक(कार्मिक), कभी
सुमन गुप्ता, पुलिस उप-महानिरीक्षक, जैप, कभी महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक का
कार्यालय, कभी न्यायालय तो कभी मुख्यमंत्री जनता दरबार, यानी कौन ऐसी जगह हैं,
जहां इन बच्चों ने अपने हक के लिए दरवाजा नहीं खटखटाया, पर क्या मजाल कि जिन्हें
अपने कार्यों को गति देना हैं, उनके कान पर जूं तक रेंगे। भला इनके बच्चों से
संबंधित मामला थोड़े ही हैं, ये तो उन बच्चों का भविष्य हैं, जो जहां जन्म लेते
हैं, वहीं मर जाते हैं.....इसलिए ऐसे भी मरेंगे, वैसे भी मरेंगे। राज्य सरकार के
वरीय पुलिस कर्मियों की बेशर्मी देखिये, जब ये बच्चे सूचना के अधिकार के तहत,
सूचनाएं मांगते हैं, तो उनका जवाब होता हैं, प्रक्रिया जारी हैं, अरे भ्राई ये
प्रक्रिया आखिर कब समाप्त होगा। इसकी कोई समय सीमा भी हैं या नहीं, या ढपोर शंखी
हो गये तुम लोग। गर तुम किसी समय सीमा पर कोई परिणाम नही दे सकते तो फिर इस प्रकार
का विज्ञापन क्यों निकालते हो, मत निकालो विज्ञापन और जैसा तुम हमेशा करते हो, बैक
डोर से पैसे लेकर वो सारे कुकर्म कर डालों, जिसके लिए झारखंड जाना जाता है....।
क्या इसके लिए इन बच्चों ने मना किया था क्या। हद तो तब हो जाती हैं, जब बच्चे
किसी अखबार के संवाददाता के पास पहुंचते हैं, और वो संवाददाता भी पैसे की बात कर
देता हैं और नहीं देने पर उलजूलूल छाप देता हैं।
आखिर जिन बच्चों ने जैप विज्ञापन संख्या 02/2011 का परीक्षा दिया था,
जिसमें तीन बोर्ड बनाये गये थे, उसमे बोर्ड -1 एक परिणाम कब आयेगा, क्या सरकार
बतायेगी, या परिणाम निकलवाकर उन बच्चों के सपनों को पूरा करेंगी, उनके भविष्य
सुधारेंगी या उनके हाल पर छोड़ देंगी.......मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, इन बच्चों
को आप से उत्तर चाहिए और ये उत्तर केवल उन बच्चों को ही नहीं, मुझे भी चाहिए ताकि
मैं जान सकूं कि ये सरकार कितनी संवेदनशील है..................
No comments:
Post a Comment