Saturday, June 20, 2015

चलनी दूसे सुप के जिन्हें बहत्तर छेद..............

बेचारे नीतीश आजकल नरेन्द्र मोदी का जंतर लेकर पटना से दिल्ली तक का सफर कर रहे हैं, ये वे जंतर लेकर जनता को बताते हैं कि नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान क्या वायदे किये थे पर नीतीश शायद भूल चुके है कि आज से ठीक पांच साल पहले उन्होंने भी बिहार की जनता को यह कहकर टोपी पहनाया था ( बिहार की जनता को जंतर पहनाया था) कि आनेवाले विधानसभा चुनाव में गर हमने बिहार के गांव- गांव तक बिजली नहीं पहुंचायी तो वे वोट मांगने बिहार की जनता के समक्ष नहीं आयेंगे.............
मैं पूछता हूं कि क्या बिहार के गांव - गांव में बिजली संकट समाप्त हो गयी, गर नहीं तो नीतीश को क्या अधिकार हैं नरेन्द्र मोदी पर ताना कसने की..............
क्या नीतीश बता सकते हैं कि जिस बिहार में अपने दुश्मन को उंचा पीढ़ा देने की रिवायत हैं, उस रिवायत को नीतीश ने कैसे धूल में मिला दिया, जब भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आये भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को खुद भोज पर आमंत्रित किया और खुद ही भोज देने से मना कर दिया क्या नीतीश बता सकते हैं कि इससे अपमान किसका हुआ, नीतीश का, बिहार का या भाजपा के नेताओं का............
क्या नीतीश भूल गये कि उन्होंने बिहार की लड़कियों से काला दुपट्टा कब और कैसे उतरवाने की कोशिश की थी...........
क्या नीतीश भूल गये कि उन्होंने कैसे लालू को चारा घोटाला में फंसाया और फिर लालू की गोद में बैठकर सत्ता की दुध-मलाई खाने में व्यस्त हो रहे हैं.............
कमाल हैं जिस भाजपा के साथ आठ वर्ष तक गलबहियां डाले घूम रहे थे, आज वो सांप्रदायिक हो गयी और जिस जातिवाद के खेल में प्रवीणता दिखाकर ये बिहार को घोर जातिवाद में धकेल रहे हैं, क्या बिहार को जातिवाद से खतरा नहीं.............
क्या नीतीश बता सकते हैं कि जब पूरा देश स्वच्छता अभियान में जूटा हैं तो वे झूठी अहंकार के लिए इस अभियान को भी चुनौती दे डाली हैं और पूरी राजधानी को नरक बनाने में सफलता प्राप्त कर ली ....नरक देखना हो तो बस पटना जंक्शन से बाहर आइये और करिये नीतीश के नरक का दर्शन.....
क्या नीतीश बता सकते हैं कि उन्हीं के एक पार्टी के नेता ने कहा था कि सीमा पर जवान मरने के लिए ही जाते हैं.............क्या एक नेता की ये भाषा हो सकती हैं, शर्म..शर्म...शर्म........
क्या नीतीश बता सकते हैं कि जिस नरेन्द्र मोदी ने बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिए गुजरात की जनता की ओर से सहयोग राशि भेजी थी, जिसे अपनी घमंड के चलते नीतीश ने लौटा दिया था, वे आज किस मुंह से नरेन्द्र मोदी से बिहार हित में सहयोग की बात करते हैं, केन्द्र से पैसे मांगते हैं, अरे नीतीश कुमार थोड़ा सा शर्म करो.....................नहीं तो लोग कहेंगे
चलनी दूसे सूप के, जिन्हें बहत्तर छेद.......
नीतीश का घमंड तोड़िये...........नया विकल्प चुनिये.........
बिहार हित में मतदान कीजिये.......
न लालू...न नीतीश.......
जनता बदलेगी बिहार की तकदीर.........
जनहित में जारी..............

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