15 अगस्त बीते हुए तीन दिन हो गये, पर झारखंड में नियोजित आईएएस और आईपीएस
को, अभी भी स्वतंत्रता दिवस की खुमारी नहीं उतरी हैं। वे बेमतलब के दिये
जा रहे है, आम जनता की गाढ़ी कमाई दोनों हाथों से लूटा रहे हैं और अखबारों
के मालिकों की तिजोरी भरते चले जा रहे हैं। तिजोरी भरने के चक्कर में ये
आईएएस और आईपीएस मुख्यमंत्री तक को मात दे रहे हैं। अभी भी विभिन्न अखबारों
में उनके द्वारा दिये जा रहे भारतीय स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
– लंबे-चौड़े रुप में छपते चले जा रहे हैं। क्या ये बता सकते हैं कि इससे
आम जनता को क्या फायदा हो रहा है। किसी झारखंड की जनता ने इनसे शुभकामना
संदेश मांगा हैं क्या। गर नहीं तो फिर ये ऐसा क्यूं कर रहे हैं।
जरा इन
आईएएस-आईपीएस से पूछिए कि वे जो विज्ञापन के नाम पर दोनों हाथों से राज्य
के राजस्व को लूटा रहे हैं, क्या कभी अपने पैसे से अपने घर के किसी सदस्य
का इसी प्रकार का विज्ञापन कभी छपवाया हैं। उत्तर होगा – नहीं। तो फिर आम
जनता के पैसे को वे इस तरह क्यूं बर्बाद कर रहे हैं।
क्या मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान नहीं लेना चाहिए...........
हम तो चाहेंगे कि भारतीय स्वतंत्रता दिवस के नाम पर जिन – जिन अधिकारियों ने बेवजह के विज्ञापन विभिन्न अखबारों में छपवाएं हैं, उसका भुगतान इन अधिकारियों के मिलनेवाले वेतन से करायी जाय, ताकि फिर कोई अधिकारी इस प्रकार की हरकतें न करें। आम तौर पर विज्ञापन जनहित में सरकार की विभिन्न योजनाओँ को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया जाता हैं, पर यहां तो गजब हो गया हैं। इस प्रकार से स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर विज्ञापन की गंगा – यमुना, अखबारों में बहा दी जाती हैं कि पूछिये मत। जिसका औचित्य भी नहीं होता।
आजकल तो एक नया फैशन चल पड़ा हैं, अब तो अखबारों के जन्मदिन पर भी ये अधिकारी सरकार का खजाना जमकर लूटा रहे हैं और अखबारों को विज्ञापन की राशि से मुंह भर दे रहे हैं, गर इस गरीब राज्य में यहां के अधिकारी इसी प्रकार की हरकतें करेंगे तो यकीन मानिये, राज्य की जनता का बहुत बड़ा अहित हो जायेगा। इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस प्रकार के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और उनसे पूछे कि जो विज्ञापन निकाले गये या निकाले जा रहे हैं, उनके औचित्य क्या थे। कम से कम इनसे कारण पृच्छा तो होनी ही चाहिए और इस प्रकार के विज्ञापन देने की प्रथा पर तत्काल प्रभाव से रोकनी चाहिए, ताकि जनता के पैसे का दुरुपयोग न हो।
क्या मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान नहीं लेना चाहिए...........
हम तो चाहेंगे कि भारतीय स्वतंत्रता दिवस के नाम पर जिन – जिन अधिकारियों ने बेवजह के विज्ञापन विभिन्न अखबारों में छपवाएं हैं, उसका भुगतान इन अधिकारियों के मिलनेवाले वेतन से करायी जाय, ताकि फिर कोई अधिकारी इस प्रकार की हरकतें न करें। आम तौर पर विज्ञापन जनहित में सरकार की विभिन्न योजनाओँ को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया जाता हैं, पर यहां तो गजब हो गया हैं। इस प्रकार से स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर विज्ञापन की गंगा – यमुना, अखबारों में बहा दी जाती हैं कि पूछिये मत। जिसका औचित्य भी नहीं होता।
आजकल तो एक नया फैशन चल पड़ा हैं, अब तो अखबारों के जन्मदिन पर भी ये अधिकारी सरकार का खजाना जमकर लूटा रहे हैं और अखबारों को विज्ञापन की राशि से मुंह भर दे रहे हैं, गर इस गरीब राज्य में यहां के अधिकारी इसी प्रकार की हरकतें करेंगे तो यकीन मानिये, राज्य की जनता का बहुत बड़ा अहित हो जायेगा। इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस प्रकार के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और उनसे पूछे कि जो विज्ञापन निकाले गये या निकाले जा रहे हैं, उनके औचित्य क्या थे। कम से कम इनसे कारण पृच्छा तो होनी ही चाहिए और इस प्रकार के विज्ञापन देने की प्रथा पर तत्काल प्रभाव से रोकनी चाहिए, ताकि जनता के पैसे का दुरुपयोग न हो।
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