झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के बड़बोले नेता हेमंत सोरेन पर महाराष्ट्र
नवनिर्माण सेना के सुप्रीमो राज ठाकरे का गहरा प्रभाव है, जैसे राज ठाकरे
समय – समय पर गैर मराठियों को उनकी औकात बताने के लिए नाना प्रकार के
चिरकूटई टाइप के बयान देते रहते है, जिनके बयान आते ही, मनसे कार्यकर्ता
गैर-मराठियों के खिलाफ मार-धाड़ करने के लिए निकल पड़ते है, ठीक उसी प्रकार
हेमंत का बयान आज रांची से निकलनेवाले कमोवेश सभी अखबारों में पढ़ने को मिले।
चूंकि हमारे देश के चिरकूट टाइप के बहुत सारे नेताओं को ये गलतफहमी हो गयी
है, कि इस प्रकार के बयान देने से लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी हो जाती है,
इसलिए वे इस प्रकार का बयान देते रहते है।
अपने डेढ़ साल के मुख्यमंत्रित्व काल में हेमंत सोरेन ने इस प्रकार का बयान देने से खुद को बचा रखा था, शायद इस दौरान उन्हें दिव्य ज्ञान हासिल हो गया था कि मुख्यमंत्री पद पर रहकर ऐसा बयान नहीं दिया जाता। पर आज क्या हो गया...। हम आपको बता दें कि हेमंत को दिमाग देनेवाले बहुत सारे ऐसे लोग है, जिन्हें राजनीति की एबीसीडी नहीं आती...पर वो कहते है न, कभी – कभी मूर्खों और गधों की बातें भी दैवकृपा से सिद्ध हो जाती है...जिस के प्रभाव में आकर नेताओं का एक वर्ग, उन गधों और मूर्खों को दिव्य पुरुष मानकर, उसकी हर बातें इस प्रकार स्वीकार करता है, जैसे लगता है कि भगवान के श्रीमुख से निकली वाणी हो...
हेमंत को मालूम होना चाहिए कि इस प्रकार का बयान उनके भविष्य की राजनीति पर सदा के लिए प्रश्न चिह्न लगा देगा...हेमंत को जो लोग ओवैसी या राज ठाकरे बनने की सलाह दे रहे है...उन्हें नहीं पता कि वे आग से खेल रहे हैं...क्योंकि ये घटियास्तर की सलाह और चिरकूटई टाइप का बयान झारखण्ड को कहीं का नहीं छोड़ेगा...
झारखण्ड के लिए खुशी की बात है, कि इन दिनों पूरे देश में झारखण्ड की एक बेहतर तस्वीर गयी है...और ये झामुमो या हेमंत के चलते नहीं गयी...ये गयी है दीपिका और धौनी जैसे खिलाड़ियों की वजह से...अंशुता और सुमराई जैसे खिलाड़ियों की वजह से...। इनकी पार्टी ने तो झारखण्ड की वो दुर्गति कराई है कि सारा देश जानता है...। शायद हेमंत को पता नहीं कि झारखण्ड की जनता अभी तक भूली नहीं है कि इनकी पार्टी के नेताओं ने किस प्रकार रिश्वत लेकर नरसिंहा राव की सरकार बचाई थी...। जनता ये भी नहीं भूली है कि किस – किस को उनके लोगों ने पैसे लेकर राज्यसभा में पहुंचाया और बाद में वहीं व्यक्ति इनकी पार्टी और झारखण्ड को ठेंगा दिखाया...यानी ये तो वहीं बात हुई जो झारखण्ड को लूटवाया वो खुद को झारखण्ड का हितैषी बता रहा है...ये व्यक्ति जब सरकार में था, सत्ता में था तो डोमिसाइल समस्या हल नहीं किया...डोमिसाइल की फाइल को हाथ तक नहीं लगाया और जैसे ही भाजपा की सत्ता आयी, इसे डोमिसाइल पर प्रवचन करने की बात याद आ गयी...पता नहीं कैसे – कैसे नेता झारखण्ड में आ गये है जो अपनी ही माटी के दुश्मन बन गये....इनकी हरकत देख कर कौए और गीध तक शरमा जाय...।
अपने डेढ़ साल के मुख्यमंत्रित्व काल में हेमंत सोरेन ने इस प्रकार का बयान देने से खुद को बचा रखा था, शायद इस दौरान उन्हें दिव्य ज्ञान हासिल हो गया था कि मुख्यमंत्री पद पर रहकर ऐसा बयान नहीं दिया जाता। पर आज क्या हो गया...। हम आपको बता दें कि हेमंत को दिमाग देनेवाले बहुत सारे ऐसे लोग है, जिन्हें राजनीति की एबीसीडी नहीं आती...पर वो कहते है न, कभी – कभी मूर्खों और गधों की बातें भी दैवकृपा से सिद्ध हो जाती है...जिस के प्रभाव में आकर नेताओं का एक वर्ग, उन गधों और मूर्खों को दिव्य पुरुष मानकर, उसकी हर बातें इस प्रकार स्वीकार करता है, जैसे लगता है कि भगवान के श्रीमुख से निकली वाणी हो...
हेमंत को मालूम होना चाहिए कि इस प्रकार का बयान उनके भविष्य की राजनीति पर सदा के लिए प्रश्न चिह्न लगा देगा...हेमंत को जो लोग ओवैसी या राज ठाकरे बनने की सलाह दे रहे है...उन्हें नहीं पता कि वे आग से खेल रहे हैं...क्योंकि ये घटियास्तर की सलाह और चिरकूटई टाइप का बयान झारखण्ड को कहीं का नहीं छोड़ेगा...
झारखण्ड के लिए खुशी की बात है, कि इन दिनों पूरे देश में झारखण्ड की एक बेहतर तस्वीर गयी है...और ये झामुमो या हेमंत के चलते नहीं गयी...ये गयी है दीपिका और धौनी जैसे खिलाड़ियों की वजह से...अंशुता और सुमराई जैसे खिलाड़ियों की वजह से...। इनकी पार्टी ने तो झारखण्ड की वो दुर्गति कराई है कि सारा देश जानता है...। शायद हेमंत को पता नहीं कि झारखण्ड की जनता अभी तक भूली नहीं है कि इनकी पार्टी के नेताओं ने किस प्रकार रिश्वत लेकर नरसिंहा राव की सरकार बचाई थी...। जनता ये भी नहीं भूली है कि किस – किस को उनके लोगों ने पैसे लेकर राज्यसभा में पहुंचाया और बाद में वहीं व्यक्ति इनकी पार्टी और झारखण्ड को ठेंगा दिखाया...यानी ये तो वहीं बात हुई जो झारखण्ड को लूटवाया वो खुद को झारखण्ड का हितैषी बता रहा है...ये व्यक्ति जब सरकार में था, सत्ता में था तो डोमिसाइल समस्या हल नहीं किया...डोमिसाइल की फाइल को हाथ तक नहीं लगाया और जैसे ही भाजपा की सत्ता आयी, इसे डोमिसाइल पर प्रवचन करने की बात याद आ गयी...पता नहीं कैसे – कैसे नेता झारखण्ड में आ गये है जो अपनी ही माटी के दुश्मन बन गये....इनकी हरकत देख कर कौए और गीध तक शरमा जाय...।
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