Monday, March 21, 2016

रांची के कुछ अखबारों के संपादकों को चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए.................

रांची के कुछ अखबारों के संपादकों को चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए...
BUT
थैंक यू “आजाद सिपाही”
जी हां, रांची के अखबारों के संपादकों को चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए, ऐसा इसलिए कि इन अखबारों ने पाठकों तक सही समाचार नहीं पहुंचाने का संकल्प ले रखा हैं...। ये अखबार गुंडों और अपराधियों की मदद करते हैं। अखबार की आड़ में अपनी संतानों का भविष्य सुरक्षित करते हैं और नेताओं के चरणोदक पीकर, स्वयं को कृतार्थ करते हैं...
आखिर मैंने ऐसा क्यूं कहां...
आइये हम आपको विस्तार पूर्वक बताते हैं...
कल यानी 20 मार्च को चुटिया के महादेव मंडा के पास एक हृदय विदारक घटना घटी। कल बंद समर्थकों ने चंद्रशेखर ठाकुर नामक युवक को जिंदा जलाने का प्रयास किया, पर वह युवक दैव कृपा से बच गया और अपनी जान बचाते हुए, स्वयं चुटिया थाने के ठीक सामने आर पी फार्मा यानी विक्की सिंह के दुकान पर पहुंच गया। जहां विक्की सिंह और उनके भाई जो डाक्टर भी है, उक्त युवक की बिना किसी शुल्क लिये, अपनी सेवा दी और उसकी जान बचाई, पर रांची के किसी अखबार ने आजाद सिपाही को छोड़कर सही खबरे नहीं दी...
आश्चर्य इस बात की है कि आर पी फार्मा के ठीक सामने चुटिया थाना है, पर चुटिया थाने के किसी भी पुलिसकर्मी ने आर पी फार्मा आकर वस्तुस्थिति को जानने की कोशिश नहीं की...। जब इलेक्ट्रानिक मीडियाकर्मियों का दल वहां पहुंचा, तब भुक्तभोगी युवक आर पी फार्मा में इलाजरत था, पर चुटिया पुलिस कहां थी, किसी को पता नहीं था।
इधर, बंद समर्थकों द्वारा चंद्रशेखर ठाकुर को जिंदा जलाने का प्रयास हुआ, उसकी हत्या करने की कोशिश की गयी, पर जरा देखिये, रांची से प्रकाशित निर्लज्ज अखबारों को, क्या छाप रहे है...
सबसे पहले प्रभात खबर को देखिये...
इसने आज के अखबार में पृष्ठ संख्या 4 पर बंद से संबंधित खबरें छापी है...जिसमें लिखा है कि “कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं” जरा सोचिये, जहां एक युवक को जिंदा जलाने का प्रयास किया जाता हो, वहां यह अखबार लिख रहा है कि “कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं”...इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है...यहीं नहीं इसी पृष्ठ पर यह अखबार लिखता है कि “बंद समर्थकों से धक्का-मुक्की, आग पर गिरा युवक” साथ ही उक्त युवक का वह फोटो भी दे रहा है और गोल मटोल झूठी समाचार छाप कर, इस घटना का इतिश्री कर दिया।
और अब बात हिन्दुस्तान अखबार की...
इस अखबार ने तो झूठ का रिकार्ड ही तोड़ दिया...। पृष्ठ संख्या 5 पर “आगजनी की चपेट में आया युवक” नाम से छपे समाचार में इस अखबार ने सिर्फ झूठ ही लिखा है और झूठ के सिवा कुछ भी नहीं...जरा देखिये क्या लिखा है इसने – कुछ बंद समर्थकों ने ही चंद्रशेखर को बचाया, फिर उसे गुरुनानक अस्पताल भेजा, जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दुस्तान अखबार जो खुद उस युवक का फोटो छापा है, वह फोटो विक्की सिंह के दुकान की है, जहां उक्त युवक की इलाज हुई...युवक को न तो बंद समर्थकों ने विक्की सिंह के दुकान पर लाया था और न ही युवक गुरु नानक अस्पताल गया...इस अखबार ने तो बंद समर्थकों को ऐसी आरती उतारी कि पूछिये मत...
अब देखिये दैनिक भास्कर ने क्या लिखा...
दैनिक भास्कर ने पृष्ठ संख्या 3 में इस प्रकार इस खबर को दिया, जैसे लगता है कि ये कोई मामूली घटना हो...। शीर्षक है – बंद समर्थकों ने युवक के साथ मारपीट की।
और दैनिक जागरण
इस अखबार ने पृष्ठ संख्या 2 पर इस खबर को इस प्रकार छापा, जैसे लगता है कि ये कोई घटना ही नहीं, पर इस अखबार को हम एक बात के लिए दाद देंगे कि इसने इस घटना की सच्चाई को कम से कम छूने की कोशिश की...
और आजाद सिपाही
आजाद सिपाही ने तो कमाल ही कर दिया...
पृष्ठ संख्या एक पर सही - सही छाप दिया कि चुटिया के महादेव मंडा में किस प्रकार एक युवक को जलाने की कोशिश की गयी, वह भी बंदी के नाम पर...
और अब बात हेमंत सोरेन की...
हेमंत जी आपको बधाई...आप तो बाहरियों के लिए तीर – धनुष उठाने और डंडा उठाने की बात कह रहे थे। यहां के आदिवासियों और मूलवासियों ने आपसे एक कदम और बढ़ने का संकल्प ले लिया। हाथ में पेट्रोल बम पकड़ लिया है। कल एक युवक को जिंदा जलाने की कोशिश हुई...पर वह संयोग से बच निकला। आनेवाले समय में हो सकता है कि ये घटना की पुनरावृत्ति हो, यह भी हो सकता है कि बार – बार की इस घटना में कोई युवक इस आगजनी का शिकार भी हो जाय...सचमुच आप महान है, क्योंकि आप जैसे नेता ही तो झारखण्ड की शान है...ऐसे ही बयान देते रहिये, ताकि झारखण्ड का नाम रौशन होता रहे...
और वाह रे रांची की पुलिस...
चुटिया थाना की पुलिस तो महान है...। चंद्रशेखर चुटिया थाना के सामने इलाज करा रहा था और चुटिया थाना पुलिस कहां सोई थी, पता ही नहीं चला, जबकि मिनटों में ही इलेक्ट्रानिक मीडिया के संवाददाता आर पी फार्मा, विक्की सिंह के दुकान पर पहुंच गये और अपने कार्य को गति दे दी...। हालांकि कई इलेक्ट्रानिक मीडिया ने अपने धर्म का निर्वहन नहीं किया।
बधाई राज्य सरकार को भी...
एक समय था, जब आदिवासी-मूलवासी डोमिसाइल के नाम बंद करते थे, तो एक प्रकार की दहशत हो जाया करती थी, पर अब वो दहशत का माहौल नहीं होता...। पर दहशत का माहौल करने की कोशिश की जा रही है...। हमारा राज्य सरकार से अनुरोध होगा कि वह पुलिस व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करें, नहीं तो स्थिति भयावह करने की पुरजोर कोशिश विपक्षियों द्वारा की जा रही है...। हालांकि गलती करेंगे और करायेंगे विपक्षी, पर ठीकरा फोड़ेंगे सरकार पर...। ये रघुवर सरकार को भूलना नहीं चाहिए।

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