Sunday, November 4, 2012

बिहार को विशेष दर्जा क्यों, पुरुषार्थ जगाने के बदले, भीख मांगने की नयी परंपरा की शुरुआत क्यों...........

बिहार को विशेष दर्जा चाहिए। नीतीश ने इसके लिए अधिकार रैली पटना में बुलायी हैं। बड़ी संख्या में बिहार के सुदुरवर्ती इलाकों से लोग पहुंचे हैं, इस अधिकार रैली में। हालांकि इस प्रकार की रैली में लोग कैसे आते हैं, कैसे बुलाये जाते हैं, किस प्रकार के प्रलोभन दिये जाते हैं, ये बिहार की जनता रग - रग जानती हैं। ऐसे भी बिहार विकास के लिए कम, रैली और रैलाओं के लिए ही जाना जाता हैं। इसके पहले भी लालू प्रसाद जैसे घाघ नेता पटना में रैली बुला चुके हैं, उसका रसास्वादन भी कर चुके हैं, पर फिलहाल इनके हालत पस्त हैं। आज गर ये रैली बुलाये तो शायद ही, इनके द्वारा पूर्व में बुलायी गयी रैली, जितनी भीड़ भी जूट सके। पर जनता तो जनता हैं, कभी लालू तो अब नीतीश, आनेवाले समय में कभी दूसरे नेताओं को भी ये श्रेय वह दे दें तो अतिश्यिोक्ति नहीं होगी। 
चलिये भविष्य की बात छोड़े। अतीत से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य बनता हैं। अतीत गरीब रैला, लाठी में तेलपिलावन रैला से होते हुए अधिकार रैली तक पहुंच चुका हैं। हर जदयू विधायक ने अपने अपने हिसाब से इस रैली में अपने लोग को बुलाने में, जमकर कसरत की हैं, जिसका रिजल्ट अधिकार रैली में देखने को मिला हैं। हम आपको बता दें कि ऐसे पूरे देश में रैली व रैला का दौर चल पड़ा हैं। लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी तो दिल्ली में आज ही के दिन कांग्रेस ने भी अपनी शक्ति प्रदर्शन कर, एक तरह से 2014 के लोकसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया हैं। जमकर सभी पार्टियों ने एक दूसरे को लताडा़ भी हैं और भ्रष्टाचार कें मुद्दे पर स्वयं को पाक साफ और महंगाई के लिए एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ा। अब जनता परेशान है कि इन रैलियों में किसे वे पाक साफ समझे और किसे कटघऱे में रखे। इसी बीच हिमाचल प्रदेश में आज मतदान चल रहा हैं, जबकि गुजरात में मतदान होना बाकी हैं, पर गुजरात और हिमाचल से जो संकेत मिल रहे हैं, वो साफ हैं कि जनता कांग्रेस से दूरी बना चुकी हैं और लोकसभा का चुनाव जब भी हो, कांग्रेस को विपक्ष में इस बार बैठने का जरुर मौका मिलेगा।
और अब हम बात करते हैं, बिहार की। जब से दूसरी बार नीतीश ने बिहार में सत्ता संभाली। वे बिहार के विशेष दर्जा दिलाने की मांग पर ज्यादा जोर देते रहे। बात यहां आती हैं कि बिहार को ही विशेष दर्जा क्यों, अन्य प्रदेशों को क्यों नहीं। देश में और भी बिहार जैसे कई प्रांत हैं, जो विकास से कोसो दूर हैं, उन्हें क्यों नहीं विशेष दर्जा मिलना चाहिए। दूसरी बात, नीतीश को ये परमज्ञान उस वक्त क्यों नहीं प्राप्त हुआ, जब वे एनडीए के शासनकाल में केन्द्र में एक जिम्मेदार मंत्रालय संभाल रहे थे और बिहार में रावडी़ देवी का शासन था। बिहार में रावड़ी भी तो वहीं बात कह रही थी और ये बार - बार इसका विरोध कर रहे थे। यानी आप जो बोलो वो देववाणी और बाकी बोले वो असुरवाणी। क्या सोच हैं - नीतीश जैसे लोगों की। जो लोग नीतीश को नजदीक से जानते हैं कि वो अच्छी तरह जानते हैं कि ये व्यक्ति, स्वयंप्रभु, भाग्यविधाता, अपने को मानता हैं। ये अपने आगे किसी को नहीं लगाता, चाहे वो जदयू में शरद यादव जैसे लोग ही क्यों न हो। हालांकि इसी अहं में वो नरेन्द्र मोदी को भी चुनौती दे डालता हैं पर इसकी ताकत इतनी नहीं कि वो नरेन्द्र मोदी से आंख में आंख मिलाकर बात भी कर सकें। इसने अहं में आकर कई बार गुजरात की जनता का भी अपमान किया, पर गुजरात की जनता, ऐसे - ऐसे व्यक्ति को, ज्यादा महत्व नहीं देती, मुझे अच्छी तरह मालूम हैं। नीतीश के बार में, मैं एक और बात कह दूं कि जिनकी याददाश्त थोड़ा कमजोर हैं तो उनके लिए उदाहरण दे देता हूं कि ये वहीं नीतीश हैं -- जिसने पिछली बार लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की बांका से टिकट कटवा दी थी। ये अलग बात हैं कि दिग्विजय सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में लोकसभा का चुनाव लड़कर नीतीश को, उसकी औकात बता दी। आज दिग्विजय सिंह दुनिया में नहीं हैं, पर ऐसा नहीं कि उनके नहीं रहने से नीतीश के कारगुजारियों पर बोलने व लिखनेवाला कोई नहीं।
ज्यादातर लोग नीतीश को एक बेहतर शासक के रुप में मानते हैं। वे इसलिए मानते है कि लालू का जिसने शासनकाल देखा हैं, वे मानते है कि अब भी लालू से नीतीश बेहतर हैं, पर क्या, हम इन्हें भी अराजकता फैलाने का वहीं मौका दें, जो कभी लालू को दिया था। आज भी मुजफ्फरपुर की नवरुणा कहां हैं, किसी को पता नहीं। अपहरण, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिक सौहार्द्र की स्थिति क्या हैं, बिहार में किसी से छुपा नहीं। फिलहाल बिहार तो आतंक का रणक्षेत्र बनता जा रहा हैं। देश के किसी भी हाल में आंतकी घटनाएं हो रही हैं, उसका किसी न किसी प्रकार से सूत्र बिहार में मिल जा रहा हैं। ऐसे में बिहार का क्या सम्मान हैं, और क्यो विशेष दर्जा मिलना चाहिए। हमारी समझ से परे हैं। 
मैं भी बिहार का रहनेवाला हूं। मैंने लालू यादव का शासन भी देखा और नीतीश का भी शासन देखा। वहां क्या स्थिति हैं। मुझसे बेहतर कौन जानता है। एक घटना सुनाता हैं। आज से तीन साल पहले पटना के गांधी मैदान में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही थी। ये उस वक्त की बात हैं जब बिहार में विधानसभा के चुनाव की रणभेरी बज चुकी थी। एक दक्षिण से प्रसारित होनेवाली टीवी चैनल में जब हमने समाचार देखने के लिए, नौ बजे रात्रि में टीवी खोला तो देखा कि रात्रि के नौ बजे से लेकर नौ बजकर 22 मिनट तक नीतीश ही नीतीश दिखाई पड़ रहे थे। जब हमने इस संबंध में पता लगाया तो पता चला की नीतीश ने उक्त चैनल को पेड न्यूज के रुप में अपने पक्ष में इस्तेमाल करवाया। जब हमने इस संबंध मे पटना के ही एक वरिष्ठ पत्रकार जो नीतीश भक्त हैं, पूर्व में खुब पत्रकारिता जगत में नाम भी कमाया हैं, वयोवृद्ध हैं। इस संबंध में बात की तब उनका कहना था कि ये गलत नहीं हैं, हर नेता को अधिकार हैं कि वो अपने पक्ष में ऐसा करें । कमाल हैं नीतीश पेड न्यूज के आधार पर अति महत्वपूर्ण समाचारों को रुकवाकर अपने लिए चैनल को इस्तेमाल करें तो सहीं, बाकी करें तो गलत हैं।
अंत में, बिहार को किसी भी हालत में विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलना चाहिए, और इस प्रकार की केन्द्र पर बेवजह दबाव की राजनीति भी बंद होनी चाहिए। नहीं तो, हर प्रदेश के लोग ऐसा करना शुरु करेंगे। ऐसे में पूरे देश में अराजकता की स्थिति पैदा होंगी, देश टूटने के कगार पर होगा। अच्छा होगा कि बिहार के नेता, अपने पुरुषार्थ को जगाकर, स्वयं बिहार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये। ऐसे देश में कई राज्य हैं, जो स्वयं आगे बढ़े हैं, किसी से भीख नहीं मांगा और न ही विशेष राज्य का दर्जा के लिए, अधिकार रैली का आयोजन, अपने प्रांत में कराया, तो फिर बिहार में इस प्रकार की अधिकार रैली क्यों.........................

3 comments:

  1. Bilkul theek likha hai aap ne. Nitish is known for his shrewedness and cleverness. He has been for none. He works for himself and if someone tries to challenge him he is bound to finish him/her.
    The issue raised by u about the sp status is correct. If Bihar, then why not Jharkhand, WB, all the northern states and other states aswell? All the states of the country have some or other problems. Basically it is a way to distract the attention of the people from the real issues...

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  3. Bahut badhiya aalekh...Abhishek Ranjan, Law Fac, DU

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