आज सुबह सुबह मैंने सारे समाचार पत्रों को खंगाला हैं। सभी समाचार पत्रों ने नीतीश की स्तुतिगान की हैं। स्तुतिगान करना आवश्यक भी था, क्योंकि अब विज्ञापन नहीं छपते हैं। विज्ञापन के बदले, ऐसे समाचार छाप दिये जाते हैं, जो विज्ञापन का ही काम करता हैं और उसके बदले, उसकी एक बड़ी राशि समाचार से प्रभावित होनेवाले व्यक्ति अथवा संस्थानों से ले लिेये जाते हैं। ऐसा देश के सभी समाचार पत्र कर रहे हैं, इसलिए राष्ट्रीय से लेकर, क्षेत्रीय समाचार पत्रों ने भी वहीं किया, जिसका मैंने पूर्व में आकलन किया था। इसके पहले, इस तरह का काम, सभी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय टीवी चैनल कल कर चुके हैं।
आज सुबह - सुबह करीब सारे राष्ट्रीय चैनल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को फांसी पर लटकाने के लिए बेताब दीखे, लगे हाथों भाजपा के चिरप्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी की ओर से भाजपा अध्यक्ष नितिन के खिलाफ बयान भी आ गया, जिसे इन चैनलों द्वारा दिखाया और सुनाया भी जा रहा हैं। हद हो गयी, इसे लेकर विशेष समाचार प्रसारित शुरु कर दिये गये हैं। समाचार क्या हैं, जरा आप ही पढ़िये और विचार कीजिये। भोपाल के एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने एक बयान दिया कि विवेकानंद और दाउद के आईक्यू एक ही थे, पर एक ने उस आईक्यू द्वारा देश और विश्व को नयी दिशा दी तो दूसरे ने विध्वंसात्मक कार्य कर मानवता का अहित किया। अब आप ही बताये, इसमें गलत क्या हैं। आज भी हम राम और रावण, कृष्ण और कंस का तुलनात्मक विवरण अपने बच्चों को नहीं देते हैं क्या और इस विवरण के द्वारा, हम बच्चों में ये प्रेरणा नहीं भरते हैं क्या, कि तुम्हें राम बनना हैं, तुम्हें कृष्ण बनना हैं, तुम्हें विवेकानन्द जैसा बनना हैं, जिससे हमारा समाज और हमारा राष्ट्र गौरवान्वित हो। ऐसा हम जब करते हैं तो फिर नितिन गडकरी के खिलाफ हाय तौबा क्यों। ये तो वहीं बात हुई, बेसिरपैर के बाल का खाल निकालना। गर राष्ट्रीय चैनल के पत्रकारों को कोई बात नहीं समझ आती या वे पागल हो गये हो तो इसमें नितिन गडकरी को हलाल करने की आवश्यकता क्यों। इन्हें खुद आगरा अथवा रांची के मनःचिकित्सा अस्पतालों में जाकर शरण लेनी चाहिए।
इन दिनों देश का सर्वाधिक नुकसान तथाकथित पत्रकारों द्वारा हो रहा हैं। ये सभी कांग्रेसभक्त बनकर, देश की अस्मिता व इसके वैभवशाली इतिहास पर कुठाराघात कर रहे हैं और इसके बदले वे कांग्रेस से उपकृत होते जा रहे हैं। हमारे पास कई सबूत हैं, जिसके आधार पर हम कह सकते हैं कि अब तक इन मीडिया हाउस के मालिकों और पत्रकारों ने क्या किया हैं। कोई इस प्रकार के समाचारों को प्रसारित व प्रकाशित कर प्रधानमंत्री का प्रेस सलाहकार बन जाता हैं तो कोई राज्यसभा के सांसद के रुप में उपकृत होता हैं, कोई इसी के आड़ में अपना व्यवसाय चलाता हैं तो कोई अपने बेटे - बेटियों और संगे संबंधियों को सरकारी अथवा कारपोरेट जगत में लाखों - करोंड़ों के पैकेज पर नौकरी दिलवाता हैं। ऐसे में इन पत्रकारों द्वारा प्रकाशित अथवा प्रसारित खबरों पर अपना मन बनाना, देश के साथ खिलवाड़ करने के सिवा कुछ नहीं। इसलिए सभी देशवासियों को चाहिए, कि ऐसे पत्रकारों से अपनी दूरियां बनाये और इनके द्वारा प्रकाशित और प्रसारित समाचारों के प्रति कड़ा प्रतिवाद करें, ऐसा माहौल बनाये, कि इनके कुकर्मों से देश को बचाया जा सकें। क्योंकि परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक, इनके विचार हैं। परमाणु बम से केवल एक खास इलाका प्रभावित होता हैं, पर इनके खतरनाक विचार, पूरे भारत को निगलने के लिए तैयार हैं। ऐसे भी इन घटियास्तर के पत्रकारों की सोच पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में कुछ भी नहीं हैं, ये स्वयं को देश के लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताकर देश की जनता को दिग्भ्रमित भी कर रहे हैं। इसलिए सावधान हो, और इन घटियास्तर के चैनलों व पत्रकारों को अपने वैचारिक जागरुकता से पराजित करने के लिेए, मिलकर एक ऐसा कदम उठाये, कि ये सारे पत्रकार भारत की जनता से थर्रा उठे।
sara trp aur lokpriyata batorne ka chakkar hai sir jee. iske liye chahe arth ka anarth kyon na ho jaye
ReplyDeleteYah lokpriyata batorne ka koi chakkar nahin hai, yah to samaj ko dhokha dene ki baat hai. Vastav mein main bata doon ki Media ki aukat kya hai? Media ki aukat yahi hai ki use lakhon-karodon log dekhte hain. Ab yadi unhin ki laash par samjhauta hone lage aur unhin se fareb karne lage media wale to samjhen ki bahut jald hi astitva hi khatm ho jayega hamara....
ReplyDeletebaaat bilkul sahi hai apne nihit swarth ke liye kuch patrakar apne pad ka durupyog karte hai.Darasal baat aisi hai ki hamare desh ke charo stambh me kewal kuch hi sahi log hai baki sab swarthi hai jo apne niji iksha ki purti hetu anaitikta apnane se baaz nai aate.
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