..................और एक बार फिर पत्रकारिता की आड़ में वो सब हुआ। जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। पत्रकारों ने वो कार्य किया, जिसकी जितनी निंदा की जाय कम है। वो भी अपने संपादक के नेतृत्व में, गुंडागर्दी की। अंपायरों की धुनाई की। अंपायरों को भद्दी - भद्दी गालियां दी। अंपायरों को धमकियां दे दी। वो भी सिर्फ एक मैच जीतने के लिए। कहां जाता हैं कि क्रिकेट संभ्रांतों का खेल हैं, पर जिस प्रकार से इस क्षेत्र में येन केन प्रकारेन केवल जीत का रसास्वादन करनेवाले लोग शामिल हो रहे हैं। मैं कह सकता हूं कि ये अब गुंडों का खेल हो गया हैं। यानी अब आप जब भी क्रिकेट खेलने जाइये तो गुंडे और असामाजिक तत्वों को अपने साथ अवश्य रखे, अच्छा रहेगा कि क्रिकेटर के रुप में हाथ - पांव से मजबूत गूंडों को ही क्रिकेटर बनाइये। इससे फायदा ये रहेगा कि गर आप हार गये तो इन गुंडों से असली काम लेते हुए, आप अपनी टीम को जीत दिलवा सकते हैं।
मैं ये बाते आज खुश होकर नहीं लिख रहा। दरअसल रांची जिला क्रिकेट एसोसिएशन ने स्व. शशिकांत पाठक मेमोरियल क्रिकेट मीडिया कप का आयोजन किया हैं। जिसमें पत्रकारों में क्रिकेट के प्रति उऩकी सोच को रेखांकित करने, खेल भावना को पुष्ट करने का संकल्प निहित हैं, पर जिस प्रकार से इस मीडिया कप में कुछ अखबारों की टीम शामिल हो रही हैं, और सिर्फ जीत का स्वाद चखने के लिए, मैदान में उतर रही हैं, उससे यहीं लगता हैं कि शायद ही ये मैच खेल भावना को पुष्ट कर रहा हैं।
कुछ दिन पहले प्रभात खबर के संपादक विजय पाठक ने कशिश और प्रभात खबर के बीच चल रही क्रिकेट मैच के दौरान, मैदान में जाकर अंपायर को धमकाया था और आज रही सही कसर पूरी कर दी, दैनिक भास्कर ने। दैनिक भास्कर के लोगों ने अपने संपादक के नेतृत्व में वो हरकतें की, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाय कम हैं। मैच कोई जीते, कोई हारे। कहां जाता हैं कि क्रिकेट नहीं हारना चाहिए, पर यहां क्रिकेट हारा। आइये हम आपको बता देते है कि क्या हुआ। दरअसल हेहल के ओटीसी ग्राउंड में कशिश और दैनिक भास्कर के बीच मैच था। कशिश की टीम पहले खेलते हुए 20 ओवरों में 6 विकेट खोकर 120 रन बनाये। जवाब में दैनिक भास्कर की टीम 20 ओवर में 120 रन बनाकर आल आउट हो गयी। नियम के मुताबिक मुकाबला बराबर रहा। मैच का परिणाम सुनिश्चित करने के लिए, नियम के मुताबिक अंपायरों ने एक - एक ओवर दोनों टीम से खेलने को कहा। दैनिक भास्कर की टीम पहले खेलते हुए एक ओवर में सात रन बनाये, जवाब में कशिश की टीम को उतरना ही था कि दैनिक भास्कर की टीम अंपायरों से उलझ गयी। भद्दी - भद्दी गालियां, अपमानजनक शब्दों का प्रयोग, धक्का - मुक्की ये अंपायरों के साथ करने लगे। इनकी हरकतें ऐसी थी कि वहां मैच देख रहे लोग भी भौचक्के रह गये। वहां बच्चे भी थे, जो इनकी हरकतों को देख रहे थे। ये वे लोग थे, जो नित्य प्रतिदिन देश व समाज को देवदर्शन और चरित्र का पाठ कराते हैं, पर खुद आज वे वो कार्य कर रहे थे, वो भी अंपायरों के साथ, जिसे देख एक सामान्य आदमी शर्मिंदा हो जाये, पर इन्हें शर्म नहीं आ रही थी। जमकर तमाशा किया। वो हर हाल में जीतना चाहते थे, पर अंपायरों का कहना था नियमानुसार ही जीत - हार का फैसला होगा। अंपायरों ने जब देखा कि दैनिक भास्कर, खेलने को तैयार नहीं हैं, तो उसने कशिश को जीत दे दी, पर दैनिक भास्कर के लोगों को गुस्सा इतना था कि वो कुछ भी सुनने और मानने को तैयार नहीं थे। अंपायर के इस फैसले से वे और आग बबुला हो गये। फिर अंत में फैसला ये हुआ कि मामला रांची जिला क्रिकेट एसोसिएशन के पास जायेगा और रांची जिला क्रिकेट एसोसिएशन फैसला करेगी कि कौन जीता और कौन हारा।
नियम तो यहीं हैं कि अंपायर का डिसीजन अंतिम होता हैं। नियम तो ये हैं कि गर आप खेलते नहीं हैं तो दूसरी टीम को जीत करार देने का अंपायर को हक हैं, पर आप नियम का पालन नहीं करेंगे और न किसी और को करने देंगे। हमेशा जीत का ही स्वाद चखना चाहेंगे, तो ये तो साफ-साफ गुंडागर्दी हैं। इसलिए हम तो चाहेंगे कि इस मीडिया कप का नाम बदलकर गुंडा कप रख दिया जाये। जो जितना बड़ा गुंडा, जिसकी जितनी बड़ी गुंडागर्दी, उसका कप पर कब्जा। बताइयें कैसी रही..................................
nowadays gundaism is prevalent everywhere and it is more prevalent and explicit in media. Media people and especially the local media personnel are the 'real gundas' and we should come out together to expose them. Some of the local media people are in fact goon / fraud turned journalist and their for editors who should have expelled them on these charges from their organization, but rather than getting rid of these goonda elements in media, the editors of various newspapers utilize their services for their benefits. This is the reason our present day media is full of fool goons...... and this is not surprising at all if someday media cup tournament turns into a goonda cup tournament.
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