लो कर लो बात......., खुद भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे, अपने बीवी-बच्चों को सांसद-मंत्री और मुख्यमंत्री बनानेवाले, न्यायालय से सजा पाये, नेताओं की फौज दिल्ली में मोदी से हिसाब मांग रहे हैं, ताल ठोक रहे हैं कि वे सत्ता से मोदी को उखाड़ फेंकेंगे, ये वे लोग हैं, जिनकी कोई औकात नहीं, पर मोदी की औकात बताने में लगे हैं.....ये वे लोग हैं, जिन्हें बोलने तक की तमीज नहीं...जो बलात्कारियों पर भी कृपा लूटाते हैं, मोदी को सत्ता से हटाने का ख्वाब देख रहे हैं....इन राजनीतिबाजों के कलाबाजियों पर तो अब हंसी भी नहीं आती, क्योंकि इन्होंने तो यूपी-बिहार को कबाड़ बना कर रख दिया हैं।
जब से लालू की बेटी और मुलायम के पोते की सगाई हुई हैं। लालू का मुलायम प्रेम देखते बन रहा हैं। एक समय था कि मुलायम के प्रधानमंत्री बनने के समय सबसे बड़ा रोड़ा लालू ही बनकर उभरे थे, पर अब लालू ऐसा नही करेंगे, इसका शायद उन्होंने मुलायम के समक्ष अब संकल्प कर लिया हैं। दूसरी ओर एक समय भाजपा के साथ गलबहियां डालकर घूमनेवाले और कभी मोदी के लिए कशीदे पढ़नेवाले नीतीश को परमज्ञान की प्राप्ति हो गयी हैं, वे अब लालू के गोद में बैठकर, लालू-मुलायम की भक्ति में जूट गये हैं, ये भी कह रहे हैं, मुलायम भैया को हम प्रधानमंत्री बनाकर रहेंगे, चाहे बिहार में उनकी सांसदों की संख्या शून्य ही क्यों न हो जाये, पर सपना देखने में क्या बुराई हैं, क्योंकि दुश्मन का दुश्मन, दोस्त होता हैं। चूंकि नरेन्द्र मोदी ने नीतीश के सपने चकनाचूर कर दिये, इसलिए नीतीश के सबसे बड़े शत्रु मोदी हैं, और मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए गर घोटालेबाजों से भी, बीवी-बच्चों को सांसद और मुख्यमंत्री बनानेवाले राजनीतिबाजों से दोस्ती करनी पड़ें तो इसमें नीतीश को बुराई नहीं दिखती।
खैर छोड़िये, ये हमेशा, जूटते हैं, हमेशा टूटते हैं, क्यों जूटते हैं, इनका तो इन्हें पता रहता हैं पर क्यों टूटते हैं, शायद इन्हें मालूम होने के बावजूद ये गलतियां करते रहते हैं। फिलहाल इन दिनों काला धन वापस लाने का मुद्दा और देश में चल रहे धर्मांतरण का मुद्दा ये जोर – शोर से उठा रहे हैं। जातीयता की राजनीति करनेवाले यानी नरक में भी ठेला-ठेली करनेवालों को देश में धर्म के नाम पर देश का बंटाधार होता दीख रहा हैं। संसद से लेकर सड़क तक शोर मचा रहे हैं, पर ये नहीं बता रहे कि यूपी-बिहार में किस प्रकार इन्होंने जातियता का नंगा नाच किया हैं। कैसे बिहार में लालू ने पन्द्रह साल तक जंगल राज स्थापित किया जिस कारण बिहार की जनता ने इस जंगलराज से आजीज होकर नीतीश को सत्ता सौंपी, ये अलग बात हैं कि बिहार की जनता को लालू फूटी आंख नहीं सुहाते, पर नीतीश और शरद को तो लालू में अब भगवान नजर आते हैं।
इन दिनों मोदीफोबिया की बीमारी से ग्रसित नीतीश कुमार मोदी की सीडी का जंतर बनाकर गला में लटकाये घूम रहे हैं, जहां मौका मिलता हैं मोदी की वो सीडी सुनाते हैं....रोते हुए सभा में कहते हैं कि देखिये मोदी ने आपसे वायदा किया था पर मोदी ने वायदा नहीं निभाया। वादा तो हम यानी नीतीश निभाते हैं, आपने भाजपा-जदयू गठबंधन को बिहार में सरकार चलाने का बहुमत दिया था पर हमने आपके दिये इस बहुमत के फैसले को ठेंगा दिखा दिया और अब राजद के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं...यानी अपनी बेशर्मी नीतीश को नहीं दिख रही, कल तक बिहार के गांव – गांव में शत प्रतिशत बिजली देने की घोषणा करनेवाले नीतीश क्या बतायेंगे कि क्या बिहार के सभी गांवों में 24 घंटे बिजली हैं, गर नहीं तो जिसके घर शीशे के बने हो, उसे दूसरे के घर में पत्थर नहीं फेंकने चाहिए......
क्या हाल बना दिया हैं, राजधानी पटना का नीतीश ने...गंदगियों और मलमूत्र से पटा पटना में कोई आना नहीं चाहता....गांव –गांव में चाय की दुकान की तरह दारु का दुकान खुलवा दिया और खुद को विकास पुरुष मान बैठा हैं.....इसके शासनकाल में मीडियाकर्मियों की क्या हालत थी, कैसे मीडियाकर्मियों का ये शोषण करवाता था, पटना के विभिन्न अखबारों में कार्य करनेवाले मीडियाकर्मी बताते हैं पर मोदी ने जैसे ही इनके जनसहयोग से पर कतरे, इनकी चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी।
लालू-मुलायम-नीतीश जितनी जोर लगा ले, पर उन्हें मालूम होना चाहिए कि जनता जाग गयी हैं, इनकी हरकतों को देख चुकी हैं, झांसे में नहीं आनेवाली। पांच साल के लिए मोदी को अपना बहुमत दी हैं। मोदी को पांच साल में दिखाना हैं अपना किया वादा, अपना वादा मोदी पुरा करेंगे तो फिर सत्ता में आयेंगे, नहीं तो जनता के पास विकल्पों की कमी हैं क्या, कि वे विकल्प के लिए नीतीश-लालू और मुलायम की ओर देखेगी। इन लोगों ने तो अपना दीदा खो दिया हैं, शर्म आनी चाहिए, ऐसे नेताओं को जो जनता को बरगलाने में लगे हैं।
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