हां भाईयों,
सब पर भारी, झारखंड की जनता हमारी।
कोई नहीं भरमा पायेगा, जब जनता जग जायेगा।। – ये नारा सम-सामयिक हैं, क्योंकि कल तक सारे राजनीतिज्ञों, मीडियाकर्मियों और ज्योतिषियों की धड़कनें तेज थी कि पता नहीं जनता का जनादेश क्या होगा......सभी अपनी –अपनी कलाबाजियों का प्रदर्शन करते हुए, डींगे हांक रहे थे। सब की अपनी – अपनी दलीलें, कोई कह रहा था कि मेरे क्षेत्र में हमने इतने काम किये हैं कि वहां से कोई दूसरा जीत ही नहीं सकता, कोई कह रहा था कि हमने धूप में बाल थोड़ी ही सुखायें हैं, पत्रकारिता की हैं, इसलिए जो हम बोल रहे हैं, वहीं होगा और राजनीतिक भविष्यवाणी करनेवाले ज्योतिषियों की तो हवा निकल गयी हैं, बोलते ही नहीं बन रहा, कल तक अर्जुन मुंडा को पुनः प्रतिष्ठित करनेवाले यानी मुख्यमंत्री बनाने का दावा करनेवाले ज्योतिषी खोजते नहीं मिल रहे। एक दो राजनीतिक पंडितों से बात हमने करनी चाही तो वे अपनी मोबाइल बंद कर सोते हुए मिले....कुछ की पत्नियां फोन उठायी और बड़ी विनम्रता से बोली, पंडित जी महराज सो रहे हैं, कृपा कर बाद में फोन करें..............अब हम क्या बोले कि पंडित जी को आज सोना ही देना उत्तम होगा, क्योंकि आज का दिन उनके लिए सोने के लिए ही संदेश लेकर आया हैं................
आखिर क्या हुआ हैं – झारखंड में..................
झारखंड में वो हुआ हैं, कि ऐसा किसी प्रदेश में आज तक नहीं हुआ.....
जनता ने एक साथ कई को सबक सिखाया हैं और कहा हैं कि अब ज्यादा चूं कि तो समझ लो, तुम्हारी खैर नहीं..................
झारखंड की जनता ने वो काम किया हैं कि जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम हैं, गर मेरी चले तो तो मैं एक लाइन में कह दूं कि यहां की जनता ने झारखंड के साथ खिलवाड़ करनेवाले नेताओं के साथ - साथ मीडिया को भी बजा दिया हैं कि मन करता हैं जनता जनार्दन का हाथ चूम लूं..........
यहां की जनता ने पहली बार राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत निवर्तमान मुख्यमंत्री तक को पहले धूल चटाया हैं.........
जैसे बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन ( बरहेट से जीते जरुर पर दुमका से हारे भी) को हराया.............
यहीं नहीं.....
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को भी बाहर का रास्ता दिखाया..........
काग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र प्रसाद सिंह को भी सदन में जाने से रोका............
झारखंड की पहली सरकार में कील ठोकनेवाले और गठबंधन की पहली सरकार को पटरी से उतारनेवाले लालचंद महतो और जलेश्वर महतो (प्रदेश अध्यक्ष जदयू) की औकात बता दी..........
राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह और राजद की तेज तर्रार नेता अन्नपूर्णा देवी को भी कह दिया कि इस बार आपकी सदन में जरुरत नहीं............
जो मीडिया हरे मोदी, हरे मोदी, हरे अमित शाह, हरे अमित शाह कहकर उनके मतदान प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा था उसे भी औकात बता दी और राज्य में एक मजबूत विपक्ष भी इस बार प्रदान कर दिया.........और अंत में कह डाला कि
देश की राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां, ज्योतिषियों का झूंड और खुद को लोकतंत्र का 4था स्तंभ कहनेवालों झारखंड की जनता के इस निर्णय का सम्मान करें और सबक लें...नहीं तो जब भी मौका मिलेगा, हम अपना निर्णय सुनायेंगे और वो निर्णय ऐसा होगा, जिसकी परिकल्पना किसी ने नहीं की होगी...............
अब जरा सोचिये किसी ने सोचा था क्या कि दो सीटों से चुनाव लड़नेवाले बाबू लाल मरांडी, खरसावां से चुनाव लड़नेवाले मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार अर्जुन मुंडा, दुमका से हेमंत सोरेन, मझगांव से मधु कोड़ा चुनाव हार जायेंगे, पर हुआ तो ऐसा ही....क्या किसी मीडियावालों ने सोचा था क्या कि इस बार सिल्ली से सुदेश हार जायेंगे, क्योंकि हर बात में मीडिया उनकी स्तुति गा दिया करता था..........पर हुआ तो ऐसा ही हैं...............
मैं, जब एक महीने पहले जयपुर से रांची आया तो जनता के बीच गया, छटपटाहट देखी, वो छटपटाहट थी – बार बार दामन पर लगनेवाले दाग की, वो छटपटाहट थी की मीडिया और राजनीति में शामिल लोग उन्हें बार – बार बदनाम क्यों करते हैं, ये क्यों कहते हैं कि स्पष्ट जनादेश जनता ने नहीं दिया......आखिर चुनाव आयोग क्यों पांच चरणों में चुनाव कराता हैं, आखिर राज्यसभा में उनके चूने हए प्रतिनिधि क्यों पैसे लेकर वोट डाला करते हैं, क्यों उन्हीं के समय जन्म लिया छत्तीसगढ़, उत्तराखंड उनसे आगे निकल गया और हम पीछे रह गये, आखिर उनके नेता विकास की सीढ़ियां चढ़ते हुए उनसे आगे कैसे निकल गये और वे पीछे क्यूं रह गये....क्यों उनके नेता विदेशों में अपने परिवार का इलाज कराने के लिए उन्हीं के पैसों का इस्तेमाल करते हैं पर उनके बेटे-बेटियां अच्छे इलाज के लिए तरस जाते हैं और इन्हीं छटपटाहटों के बीच झारखंड की जनता ने स्पष्ट जनादेश देने का मन बनाया और साथ ही संकल्प लिया कि वे उन्हें सबक सिखायेंगे, जो उन्हें सबक सिखाने की सोचते हैं, लीजिये जनादेश सामने हैं, जनता ने अपना काम कर दिया...गर इस जनादेश को समझ कर भी किसी की समझ नहीं खुलती हैं तो ऐसे लोगों के लिए तो भगवान ही मालिक हैं.....................
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