Tuesday, July 21, 2015

सत्ता के सर्वोच्च सिंहासन पर बैठनेवालों को ये जान लेना चाहिए कि वो जो कर रहे हैं, वह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही आता है, जैसे.............

सत्ता के सर्वोच्च सिंहासन पर बैठनेवालों को ये जान लेना चाहिए कि वो जो कर रहे हैं, वह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही आता है, जैसे.............
1. सत्ता में आते ही किसी अन्य दल के विधायकों को तोड़कर अपने दल में मिला लेना ( याद करें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 13 दिन के शासन के भाषण का वह अंश - किसी दल को तोड़कर सत्ता प्राप्त करनी हो तो ऐसी सत्ता को हम चिमटे से भी छूना पसंद नही करते....)
2. सत्ता में आते ही, अपने कर्मचारियों और जनता के हितों को न देख, सबसे पहला अपना हित देखना और अपने, अपने मंत्रियों और विधायकों साथ ही अन्य दलों के विधायकों के वेतन में वृद्धि करने का प्रस्ताव स्वीकार करना ( याद रहे, आप जन प्रतिनिधि है, जन सेवक हैं न कि शासकीय कर्मचारी और अधिकारी...)
3. सत्ता में आते ही, एक ऐसे व्यक्ति (एक न्यूज चैनल के मालिक) के घर जाकर चाय पीने की हिमाकत करना-भोजन करना, जिसे न्यायालय एक आरोप में खोज रही हैं। जिसके खिलाफ गैरजमानतीय वारंट जारी है और जिसे आपकी पुलिस उसे गिरफ्तार करने के बजाय, उसे सुरक्षा दे रखी है।
4. सत्ता में आते ही सदन में ये बयान देना कि जयपुर के एक यौन शोषण के आरोपी को पुलिस गिरफ्तार करने राजस्थान जायेगी और बाद में आप ही के एक पुलिस प्रवक्ता का ये बयान की उक्त आरोपी के खिलाफ कोई वारंट जारी नही हुआ हैं, इसलिए उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती और बाद में उसी आरोपी के चैनल में जाकर शान से अपना इंटरव्यू प्रसारित करवाना। इससे किसका मनोबल बढ़ा, उस बेटी का जिसने उक्त व्यक्ति पर यौन शोषण का आरोप लगाया, या उस व्यक्ति का जिस पर यौन शोषण का आरोप है, हद तो तब हो गयी, कि वो व्यक्ति अंत में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ विदेश यात्रा में भी शामिल हो गया। आश्चर्य, घोर आश्चर्य.......
5. जनता की सुरक्षा पर ध्यान न देकर, अपनी सुरक्षा के लिए पांच-पांच पजेरो निकलवाना, क्या ये सचमुच बहुत ज्यादा जरुरी हैं, अरे आप जब उपमुख्यमंत्री थे तो आप बिना सुरक्षा के चला करते थे, आज क्या हो गया.............
6. जो देश के लिए मरे, उस शहीद को देने के लिए मात्र 2 लाख और अपनी सुरक्षा के लिए एक करोड़ की गाड़ियों का काफिला की खरीद................वाह रे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़नेवाले नेता, वाह री सरकार......तुम्हारा जवाब नहीं......
7. 1 जून को मैंने फेसबुक पर एक आलेख पोस्ट किया और किसी ने उसकी सूध तक नहीं ली...........वो आलेख इस प्रकार था, पर किसी ने उस पर कार्रवाई तक नहीं कि...आलेख था.......
बच्चे परिणाम चाहते हैं...........
आखिर आप ये तो बताएं कि इन बच्चों ने कौन सा पाप किया है कि आपके वरीय पुलिस अधिकारी इनकी बात नहीं सुनते या इनकी वेदना पर अट्टहास करने से बाज नहीं आते..................
हम जहां रहते हैं, वहां एक बहुत ही गरीब घर का बच्चा रहता है, नाम है – लखू। उसने कुछ सपने देखे है, अपने परिवार के लिए, उसे लगता हैं कि अब सपने पूरे होनेवाले है, वह भी तब जब जैप विज्ञापन संख्या – 02/2011 के बोर्ड नं. 1 का मेरिट लिस्ट निकलेगा। लखू जैसे एक नहीं कई लड़के होंगे, जिनकी हैसियत या औकात नहीं कि दिल्ली या और किसी महानगर में जाकर हराम के पैसे कमानेवाले परिवार के बच्चों की तरह आईएएस व आईपीएस की तैयारी कर सकें। हां मैं एक बात दावे के साथ कह सकता हूं कि गर इन्हें मौका मिले और सरकार मदद कर दें, इन बच्चों की, तो यकीन मानिये हराम की कमाई खानेवाले इन बापों के बेटे किसी जिंदगी में अपने बाप के सपनों को पूरा नहीं कर पायेंगे, क्योंकि तब इन सभी पर इन गरीब ईमानदार बापों के बेटों का कब्जा होगा।
8. आज भी, जो पैरवीपुत्र हैं, धनकुबेर हैं, रांची में विभिन्न पदों पर कुंडली मार कर वर्षों से बैठे हैं, उन्हें उस पद से नहीं हटाया जाता, पर सामान्य लोगों पर आज भी तलवार लटकती हैं। आज प्रभात खबर ने तो ऐसे लोगों के नाम तक छाप डाले हैं, क्या राज्य सरकार ऐसे लोगों का स्थानांतरण करेगी, इसका क्या जवाब हैं, सरकार के पास.....जनता जानना चाहती है।

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