Sunday, January 17, 2016

प्रभात खबर की गलथेथरई.......

अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पवित्र मिट्टी झारखण्ड पहुंच चुकी है। 44 साल बाद अपने वीर सैनिक की मिट्टी को देख सभी अभिभूत है, सभी ने मिलकर स्वागत किया है। राज्य के सारे अखबार (प्रभात खबर को छोड़कर) प्रसन्न है, इस अवसर पर विशेष पृष्ठ दिये है। राज्य सरकार के अधिकारी व राज्य सरकार संतुष्ट है, जिसने अपना पति गवांया, वो बलमदीना खुशी से फूली नहीं समा रही, अलबर्ट एक्का का सारा परिवार आनन्दित है, जो लोग मिट्टी लाने के लिए त्रिपुरा गये थे, उस टीम में शामिल सभी लोगों की आंखे, इस खुशी के पल को देखकर छलक रही हैं पर प्रभात खबर को प्रमाणिक दस्तावेज चाहिए कि ये जो मिट्टी आयी है, उसका क्या सबूत है कि ये मिट्टी अलबर्ट एक्का की ही है...
प्रभात खबर ने टीम में शामिल एक सदस्य से ऐसे – ऐसे सवाल पूछे है, जिसे पढ़कर आपको उस अखबार की घटिया मानसिकता का पता चल जायेगा...
अखबार ने बलमदीना के आंचल में पड़े शहीद की मिट्टी के प्रमाणिक दस्तावेज के बारे में पूछा है...
जबकि सारे लोग जानते है, वो अखबार खुद जानता है कि जहां युद्ध होते है, वहां वीरों के शव को किस प्रकार सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है, पर प्रभात खबर को दस्तावेज चाहिए...
जबकि वो अखबार अच्छी तरह जानता है कि ढुलकी गांव के सारे लोग, वो व्यक्ति भुवन दास जिसने वीरों के शव को दफनाया था, कहा है कि यहीं वह जगह हैं, जहां उसने दफनाया था, जहां आज एक मकान बन गया है, जो मकान गोपाल चंद्र दास का है, गोपाल चंद्र दास अपने मकान के आंगन को खुद ही अपने हाथों से खोद डालते है और विन्सेंट एक्का अपनी मां के आंचल में वो पवित्र मिट्टी डाल देता है...इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है...
और जो प्रभात खबर मिट्टी मंगवाया था, वहां से 100 मीटर की दूरी से लाई गयी मिट्टी थी...यानी गलत पर गलत प्रभात खबर किये जा रहा है और ढिठई से खुद को औरो से बेहतर बताने की असफल कोशिश किये जा रहा है। जिसके कारण उसकी लगातार जगहंसाई होती जा रही है...
पर बेशर्म को शर्म कहां...वाली कहावत बार बार उसके साथ चरितार्थ हो रही है...
आज एक बार फिर दैनिक भास्कर ने प्रभात खबर की पत्रकारिता पर ही सवाल उठा दिया है, जो सही भी है...
प्रभात खबर बताये कि क्या एक शहीद की मिट्टी इसी तरह लायी जाती है, जैसा कि उसने लाकर किया...अरे एक सामान्य व्यक्ति की मौत हो जाने पर भी उसके परिवार वाले भी उसके मिट्टी को इस प्रकार नहीं लाते और न ले जाते है, जैसा कि प्रभात खबर ने किया...प्रभात खबर को इस कुकर्म के लिए अविलम्ब सारे झारखण्डवासियों से माफी मांगनी चाहिए...पर वो माफी क्यूं मांगेगा, उसे तो लगता है कि दुनिया की सारी अच्छाइयां उसी में समायी हुई है...
जरा प्रभात खबर से पूछिये कि 3 दिसम्बर को उसी के द्वारा आयोजित रथ को रांची के अलबर्ट एक्का चौक से प्रस्थान करने वक्त उसके कितने लोग मौजूद थे...वो तो पुष्प वृष्टि कराने का निवेदन भी किया था...पर निवेदक की पूरी टीम पुष्पवृष्टि के समय ही गायब थी, जिसका वर्णन में पूर्व के एपिसोड में कर चुका हूं...
चलिए...अब तो जगजाहिर हो चुका है...कि प्रभात खबर क्या है? उसे गलथेथरई करने दीजिये...क्योंकि गलथेथरई में उसे महारत हासिल है...
प्रभात खबर ने ओछेपन में सवाल भी दागे है, वो क्या है, जरा देखिये...
प्रभात खबर के अनुसार...
अनुत्तरित सवाल
रतन तिर्की ने 30 नवंबर को संवाददाता सम्मेलन कर मिट्टी पर सवाल उठाते हुए मिट्टी की जांच की मांग की थी, तो क्या इस बार मिट्टी की जांच कर उसे लाया गया है. क्या यह संभव है कि जमीन से छह-आठ फीट खुदाई कर मिट्टी ली जाये.
अंतत:
प्रभात खबर का मानना है कि ऐसे सवालों का कोई अंत नहीं है. यह पवित्र मिट्टी है. जिसमें अलबर्ट एक्का के परिवार की आस्था हो, जो वे चाहते हैं, वही होना चाहिए, राजनीति नहीं. बेहतर है सब मिट्टी मिला कर उनके गांव में समाधि बने, ताकि परमवीर अलबर्ट एक्का के प्रति श्रद्धा और बढ़े.
प्रभात खबर को हमारा जवाब...
रतन तिर्की ने 30 नवंबर को संवाददाता सम्मेलन कर, प्रभात खबर द्वारा लायी गयी मिट्टी पर सवाल उठाकर, जांच की मांग कर यह पूछने की कोशिश की थी कि आखिर कैसे ये मान लिया जाय कि ये जो मिट्टी लाई गयी है, वो अलबर्ट एक्का की कब्र की है, इसका उत्तर उस वक्त न तो प्रभात खबर के पास था और न ही अन्य के पास...
लेकिन आज जो मिट्टी आयी उसका जवाब सभी के पास है...
वो व्यक्ति जिसने दफनाया यानी भुवन दास साफ बताया कि गोपाल चंद्र दास का जहां मकान बना है, वहीं दफनाया गया और डेढ़ महीने जो पहले मिट्टी लाई गयी थी, वो उस जगह की है ही नहीं...तो फिर ये अनुत्तरित सवाल कैसे रहा...ये तो वहीं बात हुई कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया...
अंततः अरे जब बलमदीना संतुष्ट है, पूरा झारखण्ड संतुष्ट है तो प्रभात खबर के चीखने – चिल्लाने से क्या होगा? उसके चीखने – चिल्लाने से झूठ सच थोड़े ही हो जायेगा...चीखते रहो भाई प्रभात खबर...
इतिहास लिखा गया...
कि 44 साल बाद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की मिट्टी 16 जनवरी 2016 को रांची लाई गयी थी, जिसका सभी ने शानदार स्वागत किया और प्रभात खबर ने परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के मिट्टी लाने के नाम पर डेढ़ माह पहले झारखण्ड की जनता की आंखों में धूल झोकने की कोशिश की थी, जिस पर परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना ने सदा के लिए विराम लगा दिया।
ये घटना उन पत्रकारों और अखबारों के लिए सबक भी है, जो खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने के चक्कर में गलत पर गलत करते चले जाते है...प्रभात खबर को मानना होगा कि उसने अलबर्ट एक्का की मिट्टी लाने के प्रकरण पर अपनी सारी प्रतिष्ठा पूरी तरह से गंवा चुकी है...

Saturday, January 16, 2016

प्रभात खबर की हालत पस्त, बलमदीना का अभुतपूर्व स्वागत अर्थात् अलबर्ट एक्का को हृदय से सम्मान...

आज रांची से प्रकाशित होनेवाले प्रभात खबर को छोड़कर सभी अखबारों ने हृदय को आह्लादित व भावविभोर कर देनेवाली खबर, प्रथम पृष्ठ पर छापी है। खबर है – 44 साल बाद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना, वीर शहीद की मिट्टी ला रही है। रांची के कई सामाजिक संगठनों ने उक्त मिट्टी का तहेदिल से स्वागत करने का फैसला ही नहीं लिया, बल्कि स्वागत करने के लिए निकल पड़े है, भारतीय सेना का तो जवाब ही नहीं, त्रिपुरा में जिस प्रकार से भारतीय सेना ने बलमदीना और उनके साथ गयी टीम का स्वागत किया। वह अदभुत है। बलमदीना का तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने जिस प्रकार से स्वागत किया। उस स्वागत के संस्मरण से आज प्रभात खबर को छोड़कर सारे अखबार पटे हुए है, पर प्रभात खबर में इस खबर को वो तवज्जो नहीं मिली है। शायद प्रभात खबर को लगता है कि यह खबर उनके लिए उतनी कोई मायने नहीं रखती। मायने रखेंगी भी कैसे?, क्योंकि उसे लगता है कि गर ये खबर छापेंगे तो उसकी पोल खुल जायेंगी, जबकि सच्चाई ये है कि प्रभात खबर ये खबर छापे या न छापे, उसकी पोल व कलई एक तरह से झारखण्ड की समस्त जनता के सामने खुल गयी है कि वो कैसा अखबार है?
हम आपको बता दें कि जिस प्रकार का घमंड आज प्रभात खबर ने पाल रखा है, ठीक इसी प्रकार का घमंड कभी बिहार से प्रकाशित होनेवाली अखबार आर्यावर्त को भी था, पर आज आर्यावर्त कहां चला गया, सभी को पता है। हम आज दावे के साथ कह सकते है कि जिस प्रकार आर्यावर्त अखबार का सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया, ठीक इसी प्रकार प्रभात खबर का भी सूर्य अब सदा के लिए अस्त होने चला है...
हम इस अवसर पर दैनिक भास्कर अखबार का तहेदिल से स्वागत करना चाहेंगे, जिसने शुरुआत से ही प्रभात खबर की झूठी खबर और उसकी ढोंग का वो आपरेशन किया, जिस आपरेशन से प्रभात खबर की बची-खुची सम्मान भी समाप्त हो गयी। प्रभात खबर ने परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर 3 दिसम्बर 2015 को किस प्रकार का ढोंग व पाखंड किया। उस ढोंग व पाखंड को मैंने भी उजागर किया था। इसे आप मेरे ही फेसबुक पर या www.vidrohi24.blogspot.in पर पढ़ या देख सकते है। अब तो एक तरह से स्पष्ट हो गया कि प्रभात खबर ने अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर किस प्रकार झारखण्ड के लोगों का भावनात्मक शोषण किया और अमर शहीद का अपमान किया। सवाल एक बार फिर क्या प्रभात खबर को उसके इस हरकत के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए? इस सवाल पर मेरा उत्तर होगा – इसकी सजा, उसे ईश्वर देगा, जो उसकी सजा पर निर्णय कब का सुना चुका है।
हम तहेदिल से मुख्यमंत्री रघुवर दास का भी अभिनन्दन करना चाहेंगे, जिन्होंने प्रभात खबर की बातों में न आकर, बिना देर किये, त्वरित निर्णय लिया और अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना की भावनाओं का कद्र करते हुए, एक टीम गठित कर, वो कर दिखाया कि आज दूध का दूध, पानी का पानी हो गया। ऐसे ही मुख्यमंत्री की झारखण्ड को जरुरत है, जो अखबार के इशारों पर न चलकर, स्वविवेकानुसार निर्णय करता है, यहीं नहीं अमर शहीद के परिवारों का सम्मान ही नहीं, बल्कि उसके आदेश को सर माथे लगाता है...
रघुवर दास जी, सचमुच आप प्रशंसा के पात्र है...
आपने वो कार्य कर दिखाया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती...
आपने एक अखबार के ढोंग व पाखंड को भी उजागर कर दिया...
सही मायनों में आपने झारखण्ड का सम्मान रखा है...
उन वीर पुत्रों की मां, पत्नियां, बेटे- बेटियां आपको जरुर दुआएं देंगी, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व खो दिया...
या देश के लिए आज भी सर्वस्व खोने को तैयार हैं...

Wednesday, January 13, 2016

ऐसे ही युवा मंत्री की झारखण्ड को जरुरत है......

ऐसे ही युवा मंत्री की झारखण्ड को जरुरत है...
जो इसकी परवाह नहीं करें कि उसका भाषण सुननेवालों की संख्या कितनी है...
या हैं भी या नहीं...
वो डंके की चोट पर अपने इरादे को स्पष्ट रुप से रखे...
और वहीं करें, जिसका संकल्प लेकर वो घर से निकला है...
आज सुबह – सुबह एक अखबार पर नजर पड़ी है, प्रथम पृष्ठ पर राज्य के पर्यटन मंत्री अमर कुमार बाउरी का भाषण देते हुए तस्वीर है, जिसमें दिखाया गया है कि अमर कुमार बाउरी भाषण दे रहे हैं, पर उन्हें सुननेवाला कोई नहीं...
मेरा मानना है,
कि हम भारत में रहते हैं...
भारत के शब्द है ये, जो कहते है कि आप को जो करना है, करो...
क्योंकि सुक्ष्मावस्था में बहुत सारे ऐसे जीव है, जो आपको देख व सुन रहे है...
बधाई अमर कुमार बाउरी जी, आपने वो कर दिखाया, जो बहुत कम ही लोग करते है...
दूसरा नेता रहता या उस अखबार का ही कोई प्रतिनिधि होता तो भाग खड़ा होता...यह कहकर कि यहां तो कोई हैं ही नहीं, तो भाषण किसको सुनाऊँ...
खैर,
इसी घटना को देख व सुनकर मुझे ईटीवी धनबाद याद आ गया...। जब मैं ईटीवी धनबाद कार्यालय में कार्यरत था, तब उसी दौरान ईटीवी हैदराबाद मुख्यालय से एंटी टूबैको कंपेन चलाने को कहा गया। संभवतः जून का महीना था, जिस दिन से एंटी टूबैको कंपेन चलना था, संयोग से ठीक उसके एक दिन पहले विश्व हिन्दू परिषद ने भारत बंद का ऐलान कर दिया। हैदराबाद से फोन आया कि चूंकि विश्व हिन्दू परिषद ने भारत बंद का ऐलान कर दिया है, इसलिए एंटी टूबैको कंपेन दूसरे दिन से चलाया जायेगा। मैंने तुरंत सवाल खड़ा किया कि घर में शादी- विवाह होता, और उसी दिन कोई संगठन बंद का कॉल कर देता तो क्या आनन-फानन में शादी – विवाह का दिन भी बदल जाता क्या? हैदराबाद वालों ने कहा कि आप पूर्व निर्धारित तिथि अनुसार कार्य करें, बाकी जगहों पर एक दिन बाद शुरु होगा और मैंने पूर्व निर्धारित तिथि और समयानुसार कार्यक्रम को संपन्न कराया। कहीं कोई दिक्कत नहीं। जिनको भारत बंद करना था, वे भारत बंद किये और हमें एंटी टूबैको कंपेन चलाना था, मैंने एंटी टूबैको कंपेन चलाया। इसी बीच इस कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए, हमें एक आदमी की तलाश थी, जिसने कभी टूबैको को यूज नहीं किया हो। संयोग से पता चला कि धनबाद रेल मंडल के तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक अम्बरीश कुमार गुप्ता इन सबसे वंचित है। मैने उनसे उद्घाटन के लिए आग्रह किया, मेरे आग्रह को स्वीकार करते हुए, वे ठीक समय पर पहुंचे। उस वक्त भी मेरे उद्घाटन कार्यक्रम के समय एक भी व्यक्ति मौजूद नहीं था, फिर भी चूंकि समय निर्धारित था, मैंने बिना किसी के परवाह किये, कार्यक्रम का उद्घाटन करवाया, क्योंकि मैं जानता था कि समय का क्या महत्व है?
और ऐसे भी, कोई रहे या न रहे...आप जो करने जा रहे है, उसकी धमक जहां तक पहुंचनी है, पहुंचेगी ही, गर आपका चरित्र और लक्ष्य सही है, लीजिये और हम इसमें कामयाब भी हुए।
इस कार्यक्रम को संपन्न कराने में जिन्होंने हमारी दिल से मदद की, उन्हें मैं भूल नहीं सकता। वे थे जगदीश राव, जो आजकल वाराणसी में हैं और दूसरे रहमान भाई जो धनबाद क्रिकेट से जूड़े है...सचमुच आप दोनों एक बार फिर याद आ गये...मैं आप दोनों को भूल नहीं सकता, भाई।

Monday, January 11, 2016

जब भी “हिन्दुस्तान” और “दैनिक जागरण” अखबार......

जब भी “हिन्दुस्तान” और “दैनिक जागरण” अखबार देखता हूं, तो हृदय पुलकित हो जाता है, साथ ही इस अखबार के दिल्ली से लेकर रांची तक के संपादकों को हृदय से आभार व्यक्त करने का दिल करता है...
क्योंकि एकमात्र यहीं दोनों अखबार है, जो युवाओं के लिए प्रेरणापुंज हैं...
युवाओं के लिंग कैसे बढ़े?, उनके लिंग में कैसे जोश आये?, इस पर नाना प्रकार के विज्ञापन ये दोनों अखबार प्रत्येक दिन प्रकाशित करते हैं...
जापानी तेल से लेकर लिंगवर्द्ध यंत्र तक के विज्ञापन इनके पास है...बस इनके अखबार पढ़िये और अपने लिंग में आज ही जोश भरिये या लिंग इतना बड़ा कर लीजिये कि आपको देखकर कोई कहे, वाह क्या इनका लिंग है?
ज्यादा जानकारी के लीजिए आज का ही “दैनिक जागरण” का पृष्ठ संख्या 10 वर्गीकृत और पृष्ठ संख्या 15 पर नजर दौड़ाइये और “हिन्दुस्तान” का वर्गीकृत पृष्ठ संख्या 8 और पृष्ठ संख्या 15 देख लीजिये...गर आपकी सेक्स संबंधी सारी समस्याओँ का समाधान नहीं हो गया तो फिर कहियेगा...हां जब सेक्स संबंधी सारी समस्याएं समाप्त हो जाये तो एक धन्यवाद संबंधित पोस्टकार्ड इन संपादकों को जरुर भेजिये...ताकि वे इस प्रकार का विज्ञापन और दूगुने उत्साह से छाप कर अपने कोषागार को और समृद्ध कर सकें और युवाओं का सही मार्गदर्शन कर सकें...और जिनका इस विज्ञापन से भला नहीं हुआ या जिन्हें लगता है कि इससे समाज व देश को खतरा है, उनका रांची से प्रकाशित होनेवाले सभी अखबारों से कुछ सवाल...
क. आप हमें ये बताएं कि इस प्रकार के विज्ञापन से आप समाज को क्या दे रहे हैं?
ख. क्या आपका सामाजिक दायित्व नहीं बनता?
ग. क्या आप समाज व देश से बड़े हैं?
घ. क्या आपको कोई पैसे देगा और उसके लालच में आप सामाजिक मर्यादा को तार – तार कर देंगे?
ङ. क्या आपको मालूम नहीं कि जब सबेरा होता है तो ये अखबार नन्हें- मुन्नों के हाथों में भी पहुंचते हैं? ऐसे में आप बताएं कि उनके मन पर इस प्रकार के विज्ञापन कैसा प्रभाव डालता होगा?
च. आपसे नम्र निवेदन, शर्म करिये और ऐसे विज्ञापनों से खुद को अलग करिये...क्योंकि ये मत भूलिये कि ये अखबार आपके बच्चों के हाथों में भी होता है। ये समाज व देश आपका भी हैं, इसका नमक खाया है तो इसका कर्ज अदा करिये?
पत्रकारिता देश हित में
लालच में पत्रकारिता नहीं...
देश हमारा, हम देश के
ये नारा कभी भूले नहीं...

Monday, January 4, 2016

वाह रे ढुलू, तेरी तो निकल पड़ी...............

आज रांची से प्रकाशित “प्रभात खबर” ने पृष्ठ संख्या 7 पर “ढुल्लू पर मुकदमा
वापसी के फैसले पर उठे सवाल” नामक शीर्षक से जो आलेख प्रकाशित करते हुए एक विशेष पेज दिया है। उनमें जितने भी सवाल उठाये गये। उन सवालों को मैंने अपने फेसबुक और ब्लॉग के माध्यम से 30 अक्टूबर को ही उठा दिया था, जो आज भी मेरे फेसबुक और ब्लाग www.vidrohi24.blogspot.in पर मौजूद है। मैंने 30 अक्टूबर को लिखा था “कानून को ठेंगा दिखानेवाले विधायक ढुलू महतो को बचाने का प्रयास...
मनमुताबिक मंतव्य लेने के लिए, लोक अभियोजक का तबादला...
प्रभार लेने के पूर्व ही, सरकार के मनमुताबिक रिपोर्ट, धनबाद डीसी को भेजा ए के सिंह-2 ने...”
गर उस आलेख को ध्यान से देखें अथवा पढ़े तो सब कुछ स्पष्ट हो जायेगा...
चलिये सवाल किसी ने भी उठाया हो, वो सवाल पहले उठाया गया अथवा बाद में...यह महत्वपूर्ण नहीं...
गर सवाल में ताकत है तो उसका जवाब सरकार की ओर से आनी ही चाहिए, क्योंकि सरकार ने कई बार कहा है कि वह भ्रष्टाचार मुक्त झारखंड बनाना चाहती है...
अब सरकार ही बताये...
कि जो व्यक्ति अथवा विधायक
1. पुलिस की वर्दी फाड़ दे...
2. संभ्रांत नागरिकों को चोर – चुहाड़ बोले...
3. जिसके भय से डीएसपी कांपने लगे...
4. जिसके भय से बीसीसीएल के वरीय अधिकारी इस्तीफा देने की पेशकश करें...
5. जो स्थानीय पुलिस के समानान्तर एक टाइगर सेना बना लें...
6. जो अपने विरोधियों को भगवान के पास भेजने का बयान जारी करें...
और ऐसे लोगों को सरकार बचाने का प्रयास ही नहीं, बल्कि उसे बचा लें तो क्या ऐसे में झारखंड भ्रष्टाचार मुक्त बनेगा...