आज रांची से प्रकाशित होनेवाले प्रभात खबर को छोड़कर सभी अखबारों ने हृदय
को आह्लादित व भावविभोर कर देनेवाली खबर, प्रथम पृष्ठ पर छापी है। खबर है –
44 साल बाद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना, वीर शहीद
की मिट्टी ला रही है। रांची के कई सामाजिक संगठनों ने उक्त मिट्टी का
तहेदिल से स्वागत करने का फैसला ही नहीं लिया, बल्कि स्वागत करने के लिए
निकल पड़े है, भारतीय सेना का तो जवाब ही नहीं, त्रिपुरा में जिस प्रकार से
भारतीय सेना ने बलमदीना और उनके साथ गयी टीम का स्वागत किया।
वह अदभुत है। बलमदीना का तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने जिस
प्रकार से स्वागत किया। उस स्वागत के संस्मरण से आज प्रभात खबर को छोड़कर
सारे अखबार पटे हुए है, पर प्रभात खबर में इस खबर को वो तवज्जो नहीं मिली
है। शायद प्रभात खबर को लगता है कि यह खबर उनके लिए उतनी कोई मायने नहीं
रखती। मायने रखेंगी भी कैसे?, क्योंकि उसे लगता है कि गर ये खबर छापेंगे तो
उसकी पोल खुल जायेंगी, जबकि सच्चाई ये है कि प्रभात खबर ये खबर छापे या न
छापे, उसकी पोल व कलई एक तरह से झारखण्ड की समस्त जनता के सामने खुल गयी है
कि वो कैसा अखबार है?
हम आपको बता दें कि जिस प्रकार का घमंड आज प्रभात खबर ने पाल रखा है, ठीक इसी प्रकार का घमंड कभी बिहार से प्रकाशित होनेवाली अखबार आर्यावर्त को भी था, पर आज आर्यावर्त कहां चला गया, सभी को पता है। हम आज दावे के साथ कह सकते है कि जिस प्रकार आर्यावर्त अखबार का सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया, ठीक इसी प्रकार प्रभात खबर का भी सूर्य अब सदा के लिए अस्त होने चला है...
हम इस अवसर पर दैनिक भास्कर अखबार का तहेदिल से स्वागत करना चाहेंगे, जिसने शुरुआत से ही प्रभात खबर की झूठी खबर और उसकी ढोंग का वो आपरेशन किया, जिस आपरेशन से प्रभात खबर की बची-खुची सम्मान भी समाप्त हो गयी। प्रभात खबर ने परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर 3 दिसम्बर 2015 को किस प्रकार का ढोंग व पाखंड किया। उस ढोंग व पाखंड को मैंने भी उजागर किया था। इसे आप मेरे ही फेसबुक पर या www.vidrohi24.blogspot.in पर पढ़ या देख सकते है। अब तो एक तरह से स्पष्ट हो गया कि प्रभात खबर ने अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर किस प्रकार झारखण्ड के लोगों का भावनात्मक शोषण किया और अमर शहीद का अपमान किया। सवाल एक बार फिर क्या प्रभात खबर को उसके इस हरकत के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए? इस सवाल पर मेरा उत्तर होगा – इसकी सजा, उसे ईश्वर देगा, जो उसकी सजा पर निर्णय कब का सुना चुका है।
हम तहेदिल से मुख्यमंत्री रघुवर दास का भी अभिनन्दन करना चाहेंगे, जिन्होंने प्रभात खबर की बातों में न आकर, बिना देर किये, त्वरित निर्णय लिया और अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना की भावनाओं का कद्र करते हुए, एक टीम गठित कर, वो कर दिखाया कि आज दूध का दूध, पानी का पानी हो गया। ऐसे ही मुख्यमंत्री की झारखण्ड को जरुरत है, जो अखबार के इशारों पर न चलकर, स्वविवेकानुसार निर्णय करता है, यहीं नहीं अमर शहीद के परिवारों का सम्मान ही नहीं, बल्कि उसके आदेश को सर माथे लगाता है...
रघुवर दास जी, सचमुच आप प्रशंसा के पात्र है...
आपने वो कार्य कर दिखाया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती...
आपने एक अखबार के ढोंग व पाखंड को भी उजागर कर दिया...
सही मायनों में आपने झारखण्ड का सम्मान रखा है...
उन वीर पुत्रों की मां, पत्नियां, बेटे- बेटियां आपको जरुर दुआएं देंगी, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व खो दिया...
या देश के लिए आज भी सर्वस्व खोने को तैयार हैं...
हम आपको बता दें कि जिस प्रकार का घमंड आज प्रभात खबर ने पाल रखा है, ठीक इसी प्रकार का घमंड कभी बिहार से प्रकाशित होनेवाली अखबार आर्यावर्त को भी था, पर आज आर्यावर्त कहां चला गया, सभी को पता है। हम आज दावे के साथ कह सकते है कि जिस प्रकार आर्यावर्त अखबार का सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया, ठीक इसी प्रकार प्रभात खबर का भी सूर्य अब सदा के लिए अस्त होने चला है...
हम इस अवसर पर दैनिक भास्कर अखबार का तहेदिल से स्वागत करना चाहेंगे, जिसने शुरुआत से ही प्रभात खबर की झूठी खबर और उसकी ढोंग का वो आपरेशन किया, जिस आपरेशन से प्रभात खबर की बची-खुची सम्मान भी समाप्त हो गयी। प्रभात खबर ने परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर 3 दिसम्बर 2015 को किस प्रकार का ढोंग व पाखंड किया। उस ढोंग व पाखंड को मैंने भी उजागर किया था। इसे आप मेरे ही फेसबुक पर या www.vidrohi24.blogspot.in पर पढ़ या देख सकते है। अब तो एक तरह से स्पष्ट हो गया कि प्रभात खबर ने अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर किस प्रकार झारखण्ड के लोगों का भावनात्मक शोषण किया और अमर शहीद का अपमान किया। सवाल एक बार फिर क्या प्रभात खबर को उसके इस हरकत के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए? इस सवाल पर मेरा उत्तर होगा – इसकी सजा, उसे ईश्वर देगा, जो उसकी सजा पर निर्णय कब का सुना चुका है।
हम तहेदिल से मुख्यमंत्री रघुवर दास का भी अभिनन्दन करना चाहेंगे, जिन्होंने प्रभात खबर की बातों में न आकर, बिना देर किये, त्वरित निर्णय लिया और अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना की भावनाओं का कद्र करते हुए, एक टीम गठित कर, वो कर दिखाया कि आज दूध का दूध, पानी का पानी हो गया। ऐसे ही मुख्यमंत्री की झारखण्ड को जरुरत है, जो अखबार के इशारों पर न चलकर, स्वविवेकानुसार निर्णय करता है, यहीं नहीं अमर शहीद के परिवारों का सम्मान ही नहीं, बल्कि उसके आदेश को सर माथे लगाता है...
रघुवर दास जी, सचमुच आप प्रशंसा के पात्र है...
आपने वो कार्य कर दिखाया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती...
आपने एक अखबार के ढोंग व पाखंड को भी उजागर कर दिया...
सही मायनों में आपने झारखण्ड का सम्मान रखा है...
उन वीर पुत्रों की मां, पत्नियां, बेटे- बेटियां आपको जरुर दुआएं देंगी, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व खो दिया...
या देश के लिए आज भी सर्वस्व खोने को तैयार हैं...
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