Monday, January 11, 2016

जब भी “हिन्दुस्तान” और “दैनिक जागरण” अखबार......

जब भी “हिन्दुस्तान” और “दैनिक जागरण” अखबार देखता हूं, तो हृदय पुलकित हो जाता है, साथ ही इस अखबार के दिल्ली से लेकर रांची तक के संपादकों को हृदय से आभार व्यक्त करने का दिल करता है...
क्योंकि एकमात्र यहीं दोनों अखबार है, जो युवाओं के लिए प्रेरणापुंज हैं...
युवाओं के लिंग कैसे बढ़े?, उनके लिंग में कैसे जोश आये?, इस पर नाना प्रकार के विज्ञापन ये दोनों अखबार प्रत्येक दिन प्रकाशित करते हैं...
जापानी तेल से लेकर लिंगवर्द्ध यंत्र तक के विज्ञापन इनके पास है...बस इनके अखबार पढ़िये और अपने लिंग में आज ही जोश भरिये या लिंग इतना बड़ा कर लीजिये कि आपको देखकर कोई कहे, वाह क्या इनका लिंग है?
ज्यादा जानकारी के लीजिए आज का ही “दैनिक जागरण” का पृष्ठ संख्या 10 वर्गीकृत और पृष्ठ संख्या 15 पर नजर दौड़ाइये और “हिन्दुस्तान” का वर्गीकृत पृष्ठ संख्या 8 और पृष्ठ संख्या 15 देख लीजिये...गर आपकी सेक्स संबंधी सारी समस्याओँ का समाधान नहीं हो गया तो फिर कहियेगा...हां जब सेक्स संबंधी सारी समस्याएं समाप्त हो जाये तो एक धन्यवाद संबंधित पोस्टकार्ड इन संपादकों को जरुर भेजिये...ताकि वे इस प्रकार का विज्ञापन और दूगुने उत्साह से छाप कर अपने कोषागार को और समृद्ध कर सकें और युवाओं का सही मार्गदर्शन कर सकें...और जिनका इस विज्ञापन से भला नहीं हुआ या जिन्हें लगता है कि इससे समाज व देश को खतरा है, उनका रांची से प्रकाशित होनेवाले सभी अखबारों से कुछ सवाल...
क. आप हमें ये बताएं कि इस प्रकार के विज्ञापन से आप समाज को क्या दे रहे हैं?
ख. क्या आपका सामाजिक दायित्व नहीं बनता?
ग. क्या आप समाज व देश से बड़े हैं?
घ. क्या आपको कोई पैसे देगा और उसके लालच में आप सामाजिक मर्यादा को तार – तार कर देंगे?
ङ. क्या आपको मालूम नहीं कि जब सबेरा होता है तो ये अखबार नन्हें- मुन्नों के हाथों में भी पहुंचते हैं? ऐसे में आप बताएं कि उनके मन पर इस प्रकार के विज्ञापन कैसा प्रभाव डालता होगा?
च. आपसे नम्र निवेदन, शर्म करिये और ऐसे विज्ञापनों से खुद को अलग करिये...क्योंकि ये मत भूलिये कि ये अखबार आपके बच्चों के हाथों में भी होता है। ये समाज व देश आपका भी हैं, इसका नमक खाया है तो इसका कर्ज अदा करिये?
पत्रकारिता देश हित में
लालच में पत्रकारिता नहीं...
देश हमारा, हम देश के
ये नारा कभी भूले नहीं...

No comments:

Post a Comment