आज रांची से प्रकाशित “प्रभात खबर” ने पृष्ठ संख्या 7 पर “ढुल्लू पर मुकदमा
वापसी के फैसले पर उठे सवाल” नामक शीर्षक से जो आलेख प्रकाशित करते हुए एक विशेष पेज दिया है। उनमें जितने भी सवाल उठाये गये। उन सवालों को मैंने अपने फेसबुक और ब्लॉग के माध्यम से 30 अक्टूबर को ही उठा दिया था, जो आज भी मेरे फेसबुक और ब्लाग www.vidrohi24.blogspot.in पर मौजूद है। मैंने 30 अक्टूबर को लिखा था “कानून को ठेंगा दिखानेवाले विधायक ढुलू महतो को बचाने का प्रयास...
मनमुताबिक मंतव्य लेने के लिए, लोक अभियोजक का तबादला...
प्रभार लेने के पूर्व ही, सरकार के मनमुताबिक रिपोर्ट, धनबाद डीसी को भेजा ए के सिंह-2 ने...”
गर उस आलेख को ध्यान से देखें अथवा पढ़े तो सब कुछ स्पष्ट हो जायेगा...
चलिये सवाल किसी ने भी उठाया हो, वो सवाल पहले उठाया गया अथवा बाद में...यह महत्वपूर्ण नहीं...
गर सवाल में ताकत है तो उसका जवाब सरकार की ओर से आनी ही चाहिए, क्योंकि सरकार ने कई बार कहा है कि वह भ्रष्टाचार मुक्त झारखंड बनाना चाहती है...
अब सरकार ही बताये...
कि जो व्यक्ति अथवा विधायक
1. पुलिस की वर्दी फाड़ दे...
2. संभ्रांत नागरिकों को चोर – चुहाड़ बोले...
3. जिसके भय से डीएसपी कांपने लगे...
4. जिसके भय से बीसीसीएल के वरीय अधिकारी इस्तीफा देने की पेशकश करें...
5. जो स्थानीय पुलिस के समानान्तर एक टाइगर सेना बना लें...
6. जो अपने विरोधियों को भगवान के पास भेजने का बयान जारी करें...
और ऐसे लोगों को सरकार बचाने का प्रयास ही नहीं, बल्कि उसे बचा लें तो क्या ऐसे में झारखंड भ्रष्टाचार मुक्त बनेगा...
वापसी के फैसले पर उठे सवाल” नामक शीर्षक से जो आलेख प्रकाशित करते हुए एक विशेष पेज दिया है। उनमें जितने भी सवाल उठाये गये। उन सवालों को मैंने अपने फेसबुक और ब्लॉग के माध्यम से 30 अक्टूबर को ही उठा दिया था, जो आज भी मेरे फेसबुक और ब्लाग www.vidrohi24.blogspot.in पर मौजूद है। मैंने 30 अक्टूबर को लिखा था “कानून को ठेंगा दिखानेवाले विधायक ढुलू महतो को बचाने का प्रयास...
मनमुताबिक मंतव्य लेने के लिए, लोक अभियोजक का तबादला...
प्रभार लेने के पूर्व ही, सरकार के मनमुताबिक रिपोर्ट, धनबाद डीसी को भेजा ए के सिंह-2 ने...”
गर उस आलेख को ध्यान से देखें अथवा पढ़े तो सब कुछ स्पष्ट हो जायेगा...
चलिये सवाल किसी ने भी उठाया हो, वो सवाल पहले उठाया गया अथवा बाद में...यह महत्वपूर्ण नहीं...
गर सवाल में ताकत है तो उसका जवाब सरकार की ओर से आनी ही चाहिए, क्योंकि सरकार ने कई बार कहा है कि वह भ्रष्टाचार मुक्त झारखंड बनाना चाहती है...
अब सरकार ही बताये...
कि जो व्यक्ति अथवा विधायक
1. पुलिस की वर्दी फाड़ दे...
2. संभ्रांत नागरिकों को चोर – चुहाड़ बोले...
3. जिसके भय से डीएसपी कांपने लगे...
4. जिसके भय से बीसीसीएल के वरीय अधिकारी इस्तीफा देने की पेशकश करें...
5. जो स्थानीय पुलिस के समानान्तर एक टाइगर सेना बना लें...
6. जो अपने विरोधियों को भगवान के पास भेजने का बयान जारी करें...
और ऐसे लोगों को सरकार बचाने का प्रयास ही नहीं, बल्कि उसे बचा लें तो क्या ऐसे में झारखंड भ्रष्टाचार मुक्त बनेगा...
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