झारखण्ड का अर्जुन लालू बनेगा, लालू स्टाइल में राजनीति करेगा और भाजपा को
डूबो कर अपने अपमान का बदला लेगा। 29 मई 2016, झारखण्ड के पूर्व
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा धनबाद के ब्राह्मण बरारी बस्ती में बांगला व
खोरठा भाषा में लालू स्टाइल में भाषण दे रहे थे। जैसे लालू यादव का भाषण
ब्राह्मण विरोध पर शुरु होता है और ब्राह्मण विरोध पर ही खत्म होता है, ठीक
उसी स्टाइल में वे भाषण दे रहे थे। वे उपस्थित जनता को आह्वान कर रहे थे
कि जनता भ्रष्ट अधिकारियों को ओखली में कूटे। वे धनबाद के डीसी कृपानन्द झा
और एसएसपी सुरेन्द्र कुमार झा पर खूब बरसे। और तल्ख टिप्पणी करते हुए,
सीधे कहा कि ये अधिकारी धनबाद को बिहार का झाझा शहर न बनायें। वे सतीश महतो
के निमंत्रण पर जो इस कोयलानगरी में नया – नया आउटसोर्सिग में हाथ आजमा कर
बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है, उसका राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए यहां
पहुंचे थे। अर्जुन मुंडा सीधे तौर पर स्थानीय प्रशासन को इशारों ही इशारों
में ये कहना चाहते थे कि यहां के अधिकारी सतीश महतो को हर प्रकार की
सहूलियत प्रदान करें, ताकि सतीश अपना दबदबा कायम कर, इस कोयला नगरी में एक
आतंक के रूप में उभर सकें, जिसका आर्थिक फायदा अर्जुन मुंडा जैसे नेताओं को
भी मिल सकें।
और अब सवाल भाजपा के दिग्गज नेताओं से...
1. अगर अर्जुन मुंडा जैसा व्यक्ति जो राज्य का पूर्व मुख्यमंत्री रह चुका है, वो सार्वजनिक सभा में यह कहता है कि जनता भ्रष्ट अधिकारियों को ओखली में कूटे तो क्या जनता को यह अधिकार नहीं कि वह भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को भी ओखली में कूट दें, जिसके कारण झारखण्ड तबाह और बर्बाद हो गया, या हो रहा है।
2. धनबाद के डीसी कृपानन्द झा और एसएसपी सुरेन्द्र कुमार झा अगर ब्राह्मण समुदाय से है तो उन पर जातिगत टिप्पणी करना कहा तक जायज है, और उन्हें भ्रष्ट बताना कहां से जायज है, क्या अर्जुन मुंडा के पास एक विशेष प्रकार का चश्मा है, जिससे उन्होंने पता लगा लिया कि वे दोनों भ्रष्ट है, और अगर ये दोनों भ्रष्ट है तो उन्हें सजा देने-दिलाने का काम अर्जुन मुंडा का है क्या?
3. कल जब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे, तो यही अधिकारियों का दल इनकी आरती उतारता था तो बहुत अच्छा था और आज जब ये अपना काम करने में लगा हैं और इनकी नहीं सुन रहा तो भ्रष्ट हो गया। ये तो वहीं बात हो गयी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों में – कड़वा-कड़वा थू-थू और मीठा-मीठा चप-चप।
4. अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए एक नया भस्मासुर पैदा करने से क्या धनबाद की स्थिति सुधर जायेगी? क्या धनबाद के लोग नहीं जानते है कि ये सतीश महतो कौन है और इसका मकसद क्या है?
और अब अपनी बात...
झारखण्ड की जनता को यह जान लेना चाहिए कि...
झारखण्ड में चाहे बाबू लाल मरांडी हो, या अर्जुन मुंडा या शिबू सोरेन या हेमंत सोरेन या कोई भी नेता – सच्चाई यहीं है कि ये सभी अपना पीए या सलाहकार ब्राह्मण जाति के समुदाय के लोगों को ही रखते है, या रखे हुए है। किसी कारण से अगर वे सत्ता के सर्वोच्च सिंहासन से नीचे आते है तो वे इनका संरक्षण करने के लिए, हद से गुजर जाते है। ...पर जरा देखिये, सार्वजनिक सभाओं में इनका चरित्र कैसे उजागर होता है? बस मौका मिलना चाहिए, इन्हें ब्राह्मणों को गाली देने का, ये दे चलते है, क्योंकि ये राजनीतिबाज जो ठहरे, राजनीतिबाजी से कैसे स्वयं को अलग कर सकते है? देश – समाज भाड़ में जाये, इससे उन्हें क्या मतलब। उन्हें तो मतलब है किसी ऐसे समुदाय को गाली देने से, जिससे आज की जनता बहुत ही प्रसन्न होती है और वह जाति है –ब्राह्मण, क्यों अर्जुन मुंडा जी।
और अब सवाल भाजपा के दिग्गज नेताओं से...
1. अगर अर्जुन मुंडा जैसा व्यक्ति जो राज्य का पूर्व मुख्यमंत्री रह चुका है, वो सार्वजनिक सभा में यह कहता है कि जनता भ्रष्ट अधिकारियों को ओखली में कूटे तो क्या जनता को यह अधिकार नहीं कि वह भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को भी ओखली में कूट दें, जिसके कारण झारखण्ड तबाह और बर्बाद हो गया, या हो रहा है।
2. धनबाद के डीसी कृपानन्द झा और एसएसपी सुरेन्द्र कुमार झा अगर ब्राह्मण समुदाय से है तो उन पर जातिगत टिप्पणी करना कहा तक जायज है, और उन्हें भ्रष्ट बताना कहां से जायज है, क्या अर्जुन मुंडा के पास एक विशेष प्रकार का चश्मा है, जिससे उन्होंने पता लगा लिया कि वे दोनों भ्रष्ट है, और अगर ये दोनों भ्रष्ट है तो उन्हें सजा देने-दिलाने का काम अर्जुन मुंडा का है क्या?
3. कल जब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे, तो यही अधिकारियों का दल इनकी आरती उतारता था तो बहुत अच्छा था और आज जब ये अपना काम करने में लगा हैं और इनकी नहीं सुन रहा तो भ्रष्ट हो गया। ये तो वहीं बात हो गयी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों में – कड़वा-कड़वा थू-थू और मीठा-मीठा चप-चप।
4. अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए एक नया भस्मासुर पैदा करने से क्या धनबाद की स्थिति सुधर जायेगी? क्या धनबाद के लोग नहीं जानते है कि ये सतीश महतो कौन है और इसका मकसद क्या है?
और अब अपनी बात...
झारखण्ड की जनता को यह जान लेना चाहिए कि...
झारखण्ड में चाहे बाबू लाल मरांडी हो, या अर्जुन मुंडा या शिबू सोरेन या हेमंत सोरेन या कोई भी नेता – सच्चाई यहीं है कि ये सभी अपना पीए या सलाहकार ब्राह्मण जाति के समुदाय के लोगों को ही रखते है, या रखे हुए है। किसी कारण से अगर वे सत्ता के सर्वोच्च सिंहासन से नीचे आते है तो वे इनका संरक्षण करने के लिए, हद से गुजर जाते है। ...पर जरा देखिये, सार्वजनिक सभाओं में इनका चरित्र कैसे उजागर होता है? बस मौका मिलना चाहिए, इन्हें ब्राह्मणों को गाली देने का, ये दे चलते है, क्योंकि ये राजनीतिबाज जो ठहरे, राजनीतिबाजी से कैसे स्वयं को अलग कर सकते है? देश – समाज भाड़ में जाये, इससे उन्हें क्या मतलब। उन्हें तो मतलब है किसी ऐसे समुदाय को गाली देने से, जिससे आज की जनता बहुत ही प्रसन्न होती है और वह जाति है –ब्राह्मण, क्यों अर्जुन मुंडा जी।