ये आधुनिक जयचंद है, जो भारत की इस असफलता पर अट्टहास कर रहे है...
आइये हम आपको एक कहानी सुनाते है। ये कहानी भारत की ही है। जब पृथ्वी राज चौहान ने संयोगिता के साथ विवाह रचाया तो जयचंद ने इसे अपना अपमान समझा। इस अपमान के बदले में उनसे मुहम्मद गोरी का साथ देने का निश्चय किया। पृथ्वी राज चौहान की हार हुई, मुहम्मद गोरी जीत गया, पर ऐसा नहीं कि जयचंद को उससे फायदा हुआ, हुआ यह कि भारत एक बार फिर विदेशियों के हाथों पराजित हुआ, मानमर्दित हुआ।
दूसरी कहानी सुनिये...
महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों को धूल चटा रही थी और ग्वालियर नरेश अंग्रेजों के तलवे चाट रहे थे। ज्यादा जानकारी के लिए भारत की ही सुप्रसिद्ध कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता पढ़ लीजिये –
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी
खुब लड़ी मर्दानी वो तो झांसीवाली रानी थी
जब भगत सिंह भारत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, सोते हुए भारतीयों को जगाने का काम कर रहे थे तो उस वक्त सुप्रसिद्ध दिवगंत पत्रकार खुशवंत सिंह का पिता शोभा सिंह भगत सिंह को फांसी के तख्ते पर पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभा रहा था।
ऐसी एक नहीं, अनेक सच्ची कहानियां है, जो बताती है कि हम भारतीय चाहे शांत हो या गुस्से में हो, वहीं काम करते है, जिससे भारत का नुकसान हो जाय, भारत बर्बाद हो जाये...
ये हमारी फितरत है, हम सुधर नहीं सकते। हम सच्चे देशभक्त नहीं, क्योंकि पूरे विश्व में हम एकलौते देश है, जो आजादी की लड़ाई का भी कीमत वसूलते है, स्वतंत्रता सेनानी का वेतन लेकर, अब तो 1974 के जेपी आंदोलन का भी पैसा वसूल रहे है, जैसे लगता है कि आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे...
मैंने कहा न, ये हमारी फितरत है, हम सुधरेंगे ही नहीं...
हम जानते है कि 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया...हमारे हजारों रणबाकुड़ें मार डाले...हजारों वर्ग किलोमीटर भू-भाग को कब्जा कर लिया...पर आज भी हम उसकी आर्थिक समृद्धि के लिए वे सभी सामान खरीदते है, जो हमारे लिए जरूरी है, और वह चीन, हरदम हमारे सीने पर, तो कभी पीठ पर खंजर भोकता है...
हम हैं भारतीय, जो कभी नहीं सुधरेंगे...
आज ही देखिये,
अखबारों में पढ़ा कि भारत एनएसजी का सदस्य नहीं बना, क्यों नहीं बना तो चीन ने उस पर अड़ंगा लगा दिया...क्या भारत को एनएसजी का सदस्य नहीं बनना चाहिए।
हमारा उत्तर होगा – बनना चाहिए,
क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एनएसजी की सदस्यता के लिए जो प्रयास किये, वो गलत था...
एक दूसरे देश का सामान्य नागरिक भी होगा तो वह यहीं कहेगा कि मोदी का यह प्रयास सही था, पर जरा भारत के विभिन्न दलों में रह रहे जयचंदों को देखिए, बहुत खुश है। अनाप-शनाप बयान दिये जा रहे है। मोदी को कोस रहे है।
जरा केजरीवाल के स्टेटमेंट को देखिये – यह मूर्ख क्या कह रहा है – कह रहा है कि पीएम मोदी विदेश नीति के मोर्चे पर फेल रहे है, उन्हें यह बताना होगा कि वे विदेश यात्राओं में क्या करते रहे।
जरा कांग्रेस को देखिये वो कह रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को और भारत को तमाशा बना दिया। लालू और नीतीश की तो बात ही छोड़ दीजिये, ये तो नमूने है। इनसे देशप्रेम की आशा करना तो अव्वल दर्जे के मूर्ख होने का प्रमाण पत्र स्वीकार करना है।
ये है हमारे नेता, हमारे उद्धारकर्ता, आधुनिक जयचंद।
अब कांग्रेसियों से कुछ सवाल...
कांग्रेसियों तुम्हे पता है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रीत्वकाल में कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ में उस वक्त के विपक्ष में रह रहे, जो विपक्ष के नेता भी नहीं थे, अटल बिहारी वाजपेयी ने क्या भूमिका निभाई थी, अगर नहीं पता तो मूर्खों ज्यादा दिन नहीं हुआ, इतिहास पढ़ो...
अरे कमबख्तों, कम से कम देश के मुद्दे पर तो एक हो जाओ...
क्या जयचंद बनने में, ज्यादा जोर लगा रहे हो...
अरे भारतीयों, अब भी चेतो...
अरे सरकार मजबूर है, विपक्ष घटियास्तर का है, पर तुम तो देशभक्त हो...
बहिष्कार करो, चीनी सामानों का...
बहिष्कार करो, चीनी नेताओं का...
बहिष्कार करो, चीनी सोच का, जो वामपंथियों ने भारत में फैला रखा है...
बहिष्कार करो, उन हर नेताओं को जो देश में रहकर विदेशी ताकतों को मजबूत कर रहे है...
उन वीर भारतीयों का हौसला बुलंद करों,
जो विपरीत परिस्थितियों में चीन को नाक में दम कर रखे है...
उन वीर वैज्ञानिकों का हौसला आफजाई करों, जो भारत को शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे है...
आखिर कब चेतोगे...
तुम्हारे देश के ज्यादातर नेता गद्दार है, ये याद रखो...
ये तुम्हारे बीच, जातिवाद फैलाते है, और इस जातिवाद की आड़ में अपने जोरु, अपने बेटी-बेटे, दामाद-बहु का आंगन क्लियर करते है...
जागो भारतीय जागो, पर तुम जागोगे, इसकी संभावनाएं हमें कम है...
क्योंकि विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है, जो सर्वाधिक गुलामी का दंश झेलने का रिकार्ड अपने पास सुरक्षित रखा है...
आइये हम आपको एक कहानी सुनाते है। ये कहानी भारत की ही है। जब पृथ्वी राज चौहान ने संयोगिता के साथ विवाह रचाया तो जयचंद ने इसे अपना अपमान समझा। इस अपमान के बदले में उनसे मुहम्मद गोरी का साथ देने का निश्चय किया। पृथ्वी राज चौहान की हार हुई, मुहम्मद गोरी जीत गया, पर ऐसा नहीं कि जयचंद को उससे फायदा हुआ, हुआ यह कि भारत एक बार फिर विदेशियों के हाथों पराजित हुआ, मानमर्दित हुआ।
दूसरी कहानी सुनिये...
महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों को धूल चटा रही थी और ग्वालियर नरेश अंग्रेजों के तलवे चाट रहे थे। ज्यादा जानकारी के लिए भारत की ही सुप्रसिद्ध कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता पढ़ लीजिये –
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी
खुब लड़ी मर्दानी वो तो झांसीवाली रानी थी
जब भगत सिंह भारत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, सोते हुए भारतीयों को जगाने का काम कर रहे थे तो उस वक्त सुप्रसिद्ध दिवगंत पत्रकार खुशवंत सिंह का पिता शोभा सिंह भगत सिंह को फांसी के तख्ते पर पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभा रहा था।
ऐसी एक नहीं, अनेक सच्ची कहानियां है, जो बताती है कि हम भारतीय चाहे शांत हो या गुस्से में हो, वहीं काम करते है, जिससे भारत का नुकसान हो जाय, भारत बर्बाद हो जाये...
ये हमारी फितरत है, हम सुधर नहीं सकते। हम सच्चे देशभक्त नहीं, क्योंकि पूरे विश्व में हम एकलौते देश है, जो आजादी की लड़ाई का भी कीमत वसूलते है, स्वतंत्रता सेनानी का वेतन लेकर, अब तो 1974 के जेपी आंदोलन का भी पैसा वसूल रहे है, जैसे लगता है कि आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे...
मैंने कहा न, ये हमारी फितरत है, हम सुधरेंगे ही नहीं...
हम जानते है कि 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया...हमारे हजारों रणबाकुड़ें मार डाले...हजारों वर्ग किलोमीटर भू-भाग को कब्जा कर लिया...पर आज भी हम उसकी आर्थिक समृद्धि के लिए वे सभी सामान खरीदते है, जो हमारे लिए जरूरी है, और वह चीन, हरदम हमारे सीने पर, तो कभी पीठ पर खंजर भोकता है...
हम हैं भारतीय, जो कभी नहीं सुधरेंगे...
आज ही देखिये,
अखबारों में पढ़ा कि भारत एनएसजी का सदस्य नहीं बना, क्यों नहीं बना तो चीन ने उस पर अड़ंगा लगा दिया...क्या भारत को एनएसजी का सदस्य नहीं बनना चाहिए।
हमारा उत्तर होगा – बनना चाहिए,
क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एनएसजी की सदस्यता के लिए जो प्रयास किये, वो गलत था...
एक दूसरे देश का सामान्य नागरिक भी होगा तो वह यहीं कहेगा कि मोदी का यह प्रयास सही था, पर जरा भारत के विभिन्न दलों में रह रहे जयचंदों को देखिए, बहुत खुश है। अनाप-शनाप बयान दिये जा रहे है। मोदी को कोस रहे है।
जरा केजरीवाल के स्टेटमेंट को देखिये – यह मूर्ख क्या कह रहा है – कह रहा है कि पीएम मोदी विदेश नीति के मोर्चे पर फेल रहे है, उन्हें यह बताना होगा कि वे विदेश यात्राओं में क्या करते रहे।
जरा कांग्रेस को देखिये वो कह रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को और भारत को तमाशा बना दिया। लालू और नीतीश की तो बात ही छोड़ दीजिये, ये तो नमूने है। इनसे देशप्रेम की आशा करना तो अव्वल दर्जे के मूर्ख होने का प्रमाण पत्र स्वीकार करना है।
ये है हमारे नेता, हमारे उद्धारकर्ता, आधुनिक जयचंद।
अब कांग्रेसियों से कुछ सवाल...
कांग्रेसियों तुम्हे पता है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रीत्वकाल में कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ में उस वक्त के विपक्ष में रह रहे, जो विपक्ष के नेता भी नहीं थे, अटल बिहारी वाजपेयी ने क्या भूमिका निभाई थी, अगर नहीं पता तो मूर्खों ज्यादा दिन नहीं हुआ, इतिहास पढ़ो...
अरे कमबख्तों, कम से कम देश के मुद्दे पर तो एक हो जाओ...
क्या जयचंद बनने में, ज्यादा जोर लगा रहे हो...
अरे भारतीयों, अब भी चेतो...
अरे सरकार मजबूर है, विपक्ष घटियास्तर का है, पर तुम तो देशभक्त हो...
बहिष्कार करो, चीनी सामानों का...
बहिष्कार करो, चीनी नेताओं का...
बहिष्कार करो, चीनी सोच का, जो वामपंथियों ने भारत में फैला रखा है...
बहिष्कार करो, उन हर नेताओं को जो देश में रहकर विदेशी ताकतों को मजबूत कर रहे है...
उन वीर भारतीयों का हौसला बुलंद करों,
जो विपरीत परिस्थितियों में चीन को नाक में दम कर रखे है...
उन वीर वैज्ञानिकों का हौसला आफजाई करों, जो भारत को शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे है...
आखिर कब चेतोगे...
तुम्हारे देश के ज्यादातर नेता गद्दार है, ये याद रखो...
ये तुम्हारे बीच, जातिवाद फैलाते है, और इस जातिवाद की आड़ में अपने जोरु, अपने बेटी-बेटे, दामाद-बहु का आंगन क्लियर करते है...
जागो भारतीय जागो, पर तुम जागोगे, इसकी संभावनाएं हमें कम है...
क्योंकि विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है, जो सर्वाधिक गुलामी का दंश झेलने का रिकार्ड अपने पास सुरक्षित रखा है...
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