Saturday, June 10, 2017

बहुत हो चुका......

बहुत हो चुका...
आंदोलन अथवा रैली के नाम पर किसी भी संगठन को गुंडागर्दी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती...
गर इन गुंडागर्दी पर जल्द रोक नहीं लगा तो झारखण्ड हाथ से निकल जायेगा...
हालात नार्थ-ईस्ट जैसी हो जायेगी...
कुछ धार्मिक संगठन ऐसी स्थिति लाने की कोशिश कर रहे है, जिससे राज्य में रहनेवाले अन्य समुदायों की तकलीफें बढ़ रही हैं...
ऐसे समय में, राज्य सरकार का पहला और अंतिम दायित्व होना चाहिए कि वह राज्य की जनता को यह विश्वास दिलायें कि राज्य में अमन और शांति है, और इस अमन व शांति को कायम रखने के लिए सरकार वचनवद्ध है... लेकिन वर्तमान में, जो स्थितियां दिखाई पड़ रही है, ठीक इसके विपरीत है...
कल जो कुछ रांची की सड़कों पर देखने को मिला, वह पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार की निष्क्रियता को दर्शाता है, और इसे इन दोनों को स्वीकार भी करना चाहिए...
कल एक संगठन ने रैली बुलाई और आपको पता नहीं चला, ये बताता है कि आपका खुफिया संगठन पूर्णतः फेल है। आश्चर्य इस बात की है कि लोग खूंटी से चलकर, रांची पहुंच गये और आपके पुलिस प्रशासन को भनक तक नहीं मिली, इससे बड़ी शर्मनाक की बात और क्या हो सकती है?
कहां गये भोर महाशय, जो विहिप कार्यालय में बिना बुलाये पहुंच जाते है, उन्हें हिदायत देते है, और इतनी बड़ी घटना रांची की जनता के साथ होती है और उनको भनक तक नहीं मिली...
ये सारी घटनाएं बता रही है कि राज्य में स्थिति को खराब करने में प्रशासन के कुछ लोग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है, क्या हम माने कि जिस तरह बच्चा चोरी अफवाह मामले में सरायकेला खरसावां के डीसी-एसपी को निलंबित किया गया, इस कल की घटना के जिम्मेदार पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी दंड दिया जायेगा।
कमाल है, कल भगवान बिरसा मुंडा का शहादत दिवस था और ये बिरसा के नाम पर आंदोलन और उलगुलान की बात करनेवाले बिरसा और झारखण्ड के ही अमर शहीदों के चित्रों पर लाठी बरसा रहे थे, ये गुस्सा बताता है कि ये आंदोलन गलत रास्ते की ओर बढ़ रहा है, इसका मकसद राज्य की जनता को बताना है कि वे उनके गुलाम है, उनके रहमोकरम पर है।
कमाल है, रैली आयोजित करनेवाले बतायें कि
उनके लोगों ने अरगोड़ा में पुलिस से भिड़ने की कोशिश क्यों की?  वे रैली में शामिल होने आये थे या पुलिस से भिड़ने।
हरमू बाइपास में उत्पात क्यों मचाया, तोड़-फोड़ क्यों की, इसका मतलब क्या है?
मोदी फेस्ट में शामिल लोगों ने उनका क्या बिगाड़ा था, जो उनके साथ दुर्व्यवहार किया?
बिरसा मुंडा समेत अन्य अमर शहीदों के पोस्टर-होर्डिंग्स क्यों फाड़ें, इन अमर शहीदों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?
कुछ सवाल पुलिस प्रशासन से भी...
ये रैली खुंटी से रांची तक पहुंच गई और आप कहते है कि, आपको मालूम नहीं, तब तो भाई मैं यहीं कहूंगा कि आपलोगों को ईमानदारी से अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, जब हम राम भरोसे इस राज्य में है, तो फिर आप जैसे पुलिसकर्मियों की यहां क्या जरुरत है?  जैसे राम जी रखेंगे, वैसे रह लेंगे...
और अब सवाल मुख्यमंत्री रघुवर दास से...
आपको नहीं लगता कि पिछले तीन-चार महीनों से एक सुनियोजित साजिश के तहत राज्य को अस्थिर करने का षडयंत्र चल रहा है और इसमें आप ही के प्रशासनिक अधिकारी ही ज्यादा धमाल मचा रहे है, वहीं प्रशासनिक अधिकारी जिनसे आप सलाह लेते है और समय-समय पर उनकी पीठ भी ठोंकते है, और मैं जिन्हें कनफूंकवा के सिवा दूसरा कुछ नहीं कहता हूं...
अंतिम बात...
आप समझे या न समझे, पर इतना जरुर कहूंगा कि किसी को भी इस राज्य को अस्थिर करने और यहां की शांतिप्रिय जनता को अशांत करने का अधिकार नहीं है...
हमें लगता है, आप जल्द समझें तो अच्छा, नहीं तो राज्य की जनता देख रही है... वो उचित समय पर निर्णय स्वयं ले लेगी, हमें पूर्ण विश्वास है...

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