Thursday, June 8, 2017

भोर महाशय सावधान.................

भोर महाशय सावधान...
आप राजनीति के शिकार हो रहे है...
दुनिया में जब भी कोई व्यक्ति जो समाज व देश हित में अच्छा काम करता है, और जब वह राजनीति का शिकार होता है, तब सर्वाधिक नुकसान जनता और उस व्यक्ति का होता है, जो बेहतर काम कर रहा होता है...
यह मैं इसलिए लिख रहा हूं कि पहली बार एक अधिकारी रांची को मिला, जिसने राजधानीवासियों में प्रशासन के प्रति विश्वास जगाया है, लोगों को लगा है कि यह व्यक्ति मेरा नहीं, हमारा है, ऐसे मैं कुछ स्वार्थी राजनीतिक तत्व इसका सियासी फायदा लेने से नहीं चूक रहे...
वे तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे है, ताकि इसका सीधा फायदा उन्हें राजनीतिक लाभ के रुप में प्राप्त हो...
ये सारे राजनीतिक दल से जुड़े लोग अब सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में स्वयं को प्रतिष्ठित कर, आप के प्रति अपनी निष्ठा दिखा रहे है, ताकि आनेवाले समय में वे जनता के बीच में एक सच्चा और अच्छा व्यक्ति स्वयं को दिखा सकें।
ये आजकल एसडीओ कार्यालय जाकर, आपको बुके दे रहे है, कोई मार्निंगवाक के बहाने पैदल मार्च कर रहा है और अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहा है, जबकि सामान्य जनता को इससे कोई लेना देना नहीं।
मैंने स्वयं देखा कि 5 जून को मोराबादी मैदान में जदयू का नेता, मार्निंग वाक के बहाने पैदल मार्च में भाग लिया और आप के समर्थन में भाषण देने लगा। एक-दो दिन पहले एक भाकपा माले नेता को देखा कि वह भी सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में आपको अपना नैतिक समर्थन देने पहुंच गया। ये दो उदाहरण काफी है कि भोर सिंह यादव को लेकर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही है।
दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को रांची विश्वविद्यालय कार्यालय परिसर में जायज मांगों को लेकर उन्हें धरना-प्रदर्शन करने से रोकना और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यालय में जाकर उन्हें अपना कार्य करने से रोकना यह भी कोई अच्छा संदेश नहीं दे रहा है। आपका काम कानून-व्यवस्था को ठीक रखना है और इसमें जो कोई अड़ंगा लगाये, उसे पकड़िये और कानून के तहत सजा दिलवा दीजिये, सबका दिमाग ठंडा हो जायेगा, पर किसी को मिले लोकतांत्रिक अधिकार पर हमला करने की छूट तो किसी को नहीं, क्योंकि कुछ सवाल अब लोगों के दिमाग में स्वतः उपजने लगे है...
सवाल है, क्या आपके समर्थन में जिन लोगों ने मोराबादी मैदान में पैदल मार्च निकाला, क्या उनलोगों ने इसके लिए प्रशासन से आदेश लिया था? और जब आदेश लिया ही नहीं तो फिर उस पैदल मार्च में एक जदयू नेता ने किस हैसियत से भाषण दिया और उन पर क्या कानूनी कार्रवाई हुई?
ऐसा तो नहीं कि कोई व्यक्ति या संस्थान प्रशासनिक व्यक्ति के पक्ष में कोई आंदोलन करें तो उसे छूट और बाकी लोग करें तो उन्हें कानून का डंडा दिखाकर चुप करा दिया जाय।
ये बातें, मैंने इसलिए लिखा है कि आप पर लोगों को बहुत भरोसा है, और इसमें केवल जदयू, कांग्रेस, भाकपा माले ही नहीं, बल्कि और भी जितने दल है, या अच्छे लोग है, या संस्थान है, वह आपको पसंद कर रहे है, कृपया आप इस सम्मान के झूठे लालच में नहीं पड़े।
सम्मान क्या होता है? जरा इस आदिवासी महिला का दास्तान सुनिये...
वह प्रतिदिन रांची के मेन रोड स्थित महावीर मंदिर में पत्तल बनाने का काम और बेचने का काम करती है, अचानक जब बजरंगियों का हुजूम देखा और इधर उसका विरोध करनेवाले एक समुदाय की तैयारी देखी, तो वह कांप गयी, वो सोचने लगी कि वह घर कैसे जायेगी? अगर कुछ हुआ तो? पर आपकी व्यवस्था देख, प्रसन्नचित्त वह घर गयी,  उसके मन में उपजा भय समाप्त हुआ। अब जरा सोचिये, जब वह घर पहुंची होगी, तो आपको वह कितनी दुआएं दी होगी, यह समझने की आवश्यकता है, आपको ऐसे ही दुआओं की आवश्यकता होनी चाहिए, न कि झूठी सम्मान और झूठे समर्थन की। बस आप अपना काम करते रहिये, लोग मुक्त कंठ से आपको दुआएं दे रहे है, पर हां, याद रखियेगा...
जीवन में ईमानदारी जरुरी है, न कि राजनीति... 

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