भला भोर किसे पसन्द नहीं होगा। जब से दुनिया बनी, लोगों को अंधकार की जगह प्रकाश अर्थात् भोर ही ज्यादा भाया है। झारखण्ड में ऐसे तो कई अनुमंडलाधिकारी है, पर हमसे पूछा जाय तो, मैं कहूंगा कि एक ही अनुमंडलाधिकारी है, जिसका नाम भोर सिंह यादव है क्योंकि जो जनता की अपेक्षाओं पर खड़ा उतरे, वो अनुमंडलाधिकारी और जो जनता की बजाय नेताओं, देश के दुश्मनों के पिछलग्गू बने, वो खुद क्या है? खुद ही बताये तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
फिलहाल रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव ने कई नेताओं, बिल्डरों, दो नंबर का काम करनेवाले अखबारों-पत्रकारों, मिलावटखोरी का धंधा करनेवाले कारोबारियों और दंगा में महारत हासिल करनेवाले दंगाइयों की हालत पस्त कर दी है, और जैसे ही इन लोगों के हालत पस्त होने शुरु हुए है, सभी ने मिलकर अब भोर सिंह यादव को हटाने के लिए हाथ मिला लिया है, जिसका परिणाम है आज रांची कोर्ट में भोर सिंह यादव के खिलाफ दायर मुकदमा। ऐसे तो इतिहास गवाह है कि जैसे ही आप अच्छा काम करना शुरु करेंगे, लोग आपको ऐसा केस में उलझायेंगे कि आपकी नानी-दादी याद आ जायेगी, पर क्या हम इन झूठे मुकदमों से डरकर, अच्छा काम करना बंद कर देंगे? उत्तर होगा – नहीं।
आप रांची की आम जनता से पूछिये, सभी ने भोर सिंह यादव को अपने दिल में स्थान दे रखा है, आखिर क्या कर दिया है भोर सिंह यादव ने, कि लोग उसके पीछे पागल हो गये है? ये सवाल आज हर जगह चर्चा में है। मैं स्वयं पिछले 37 सालों से पत्रकारिता कर रहा हूं, पर आज तक मैंने ऐसा लोकप्रिय युवा एसडीओ नहीं देखा।
याद करिये, अभी कोई ज्यादा दिन नहीं हुआ है, घटना 20 अप्रैल की है, भोर सिंह यादव रांची की सड़कों पर अहले सुबह पहुंच गये, हेलमेट जांच करने हेतु, कुछ लोगों को उनका यह काम बहुत ही अच्छा लगा था, पर रांची से प्रकाशित प्रभात खबर को यह अच्छा काम, इतना बुरा लगा कि उसने दूसरे दिन 21 अप्रैल को पृष्ठ संख्या 2 में एसडीओ भोर सिंह यादव को ही कटघरे में खड़ा कर दिया, जिसकी हमने अपने फेसबुक में कड़ी आलोचना की थी और एसडीओ भोर सिंह यादव के इस सुंदर कार्य का समर्थन किया था। फेसबुक में मेरे द्वारा भोर सिंह यादव के इस कार्य का समर्थन का प्रभाव यह पड़ा कि प्रभात खबर को अंत में, बैकफूट पर जाना पड़ा तथा दूसरी ओर भोर सिंह यादव अपने कामों में बिना किसी लाग-लपेट के सेवा-भाव से लगे रहे।
इसी बीच कभी हेलमेट पहनने को प्रेरित करने का काम...
कभी मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई...
तो कभी बड़गाई बस्ती में उठी सांप्रदायिकता की आग को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए सक्रिय होने का कार्य...
भोर सिंह यादव को और अधिक लोकप्रिय बना दिया...
स्थिति ऐसी हो गयी है कि रांची की आम जनता यह मानने को तैयार ही नहीं, कि रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव किसी से दस लाख रुपये की डिमांड कर सकते है, हालांकि ये पूरा मामला अब धीरे-धीरे क्लियर होता जा रहा है, कि भोर सिंह यादव द्वारा आखिर दस लाख रुपये की डिमांड का आरोप क्यों लगाया जा रहा है...
इधर भोर सिंह यादव द्वारा मिलावटखोरों के खिलाफ की गयी कार्रवाई के बाद कुछ व्यापारियों द्वारा अपने कारोबार को एक दिन के लिए बंद रखने का काम, रांची की जनता को रास नही आया है।
हालांकि सुनने में आया है कि गलत कार्य करनेवाले व्यापारियों और राजनीतिज्ञों का दल रघुवर सरकार पर दबाव बना रहा है कि भोर सिंह यादव की रांची से विदाई कर दी जाय, पर आम जनता के बीच लोकप्रिय भोर सिंह यादव की बिदाई इतना आसान नहीं, क्योंकि भोर सिंह यादव के लिए राजधानी रांची की जनता, रांची की सड़कों पर उतरने के लिए तैयार है, कुछ युवा शक्तियां तो अभी से आंदोलन के मूड में है...
इसलिए भोर सिंह यादव जी, बधाई आपको, रांची की जनता आपके साथ, तो फिर डर किस बात का...
लगे रहिये और असामाजिक तत्वों को उनकी औकात बताते रहिये...
हमारी ओर से ढेर सारी आपको शुभकामनाएं...
फिलहाल रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव ने कई नेताओं, बिल्डरों, दो नंबर का काम करनेवाले अखबारों-पत्रकारों, मिलावटखोरी का धंधा करनेवाले कारोबारियों और दंगा में महारत हासिल करनेवाले दंगाइयों की हालत पस्त कर दी है, और जैसे ही इन लोगों के हालत पस्त होने शुरु हुए है, सभी ने मिलकर अब भोर सिंह यादव को हटाने के लिए हाथ मिला लिया है, जिसका परिणाम है आज रांची कोर्ट में भोर सिंह यादव के खिलाफ दायर मुकदमा। ऐसे तो इतिहास गवाह है कि जैसे ही आप अच्छा काम करना शुरु करेंगे, लोग आपको ऐसा केस में उलझायेंगे कि आपकी नानी-दादी याद आ जायेगी, पर क्या हम इन झूठे मुकदमों से डरकर, अच्छा काम करना बंद कर देंगे? उत्तर होगा – नहीं।
आप रांची की आम जनता से पूछिये, सभी ने भोर सिंह यादव को अपने दिल में स्थान दे रखा है, आखिर क्या कर दिया है भोर सिंह यादव ने, कि लोग उसके पीछे पागल हो गये है? ये सवाल आज हर जगह चर्चा में है। मैं स्वयं पिछले 37 सालों से पत्रकारिता कर रहा हूं, पर आज तक मैंने ऐसा लोकप्रिय युवा एसडीओ नहीं देखा।
याद करिये, अभी कोई ज्यादा दिन नहीं हुआ है, घटना 20 अप्रैल की है, भोर सिंह यादव रांची की सड़कों पर अहले सुबह पहुंच गये, हेलमेट जांच करने हेतु, कुछ लोगों को उनका यह काम बहुत ही अच्छा लगा था, पर रांची से प्रकाशित प्रभात खबर को यह अच्छा काम, इतना बुरा लगा कि उसने दूसरे दिन 21 अप्रैल को पृष्ठ संख्या 2 में एसडीओ भोर सिंह यादव को ही कटघरे में खड़ा कर दिया, जिसकी हमने अपने फेसबुक में कड़ी आलोचना की थी और एसडीओ भोर सिंह यादव के इस सुंदर कार्य का समर्थन किया था। फेसबुक में मेरे द्वारा भोर सिंह यादव के इस कार्य का समर्थन का प्रभाव यह पड़ा कि प्रभात खबर को अंत में, बैकफूट पर जाना पड़ा तथा दूसरी ओर भोर सिंह यादव अपने कामों में बिना किसी लाग-लपेट के सेवा-भाव से लगे रहे।
इसी बीच कभी हेलमेट पहनने को प्रेरित करने का काम...
कभी मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई...
तो कभी बड़गाई बस्ती में उठी सांप्रदायिकता की आग को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए सक्रिय होने का कार्य...
भोर सिंह यादव को और अधिक लोकप्रिय बना दिया...
स्थिति ऐसी हो गयी है कि रांची की आम जनता यह मानने को तैयार ही नहीं, कि रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव किसी से दस लाख रुपये की डिमांड कर सकते है, हालांकि ये पूरा मामला अब धीरे-धीरे क्लियर होता जा रहा है, कि भोर सिंह यादव द्वारा आखिर दस लाख रुपये की डिमांड का आरोप क्यों लगाया जा रहा है...
इधर भोर सिंह यादव द्वारा मिलावटखोरों के खिलाफ की गयी कार्रवाई के बाद कुछ व्यापारियों द्वारा अपने कारोबार को एक दिन के लिए बंद रखने का काम, रांची की जनता को रास नही आया है।
हालांकि सुनने में आया है कि गलत कार्य करनेवाले व्यापारियों और राजनीतिज्ञों का दल रघुवर सरकार पर दबाव बना रहा है कि भोर सिंह यादव की रांची से विदाई कर दी जाय, पर आम जनता के बीच लोकप्रिय भोर सिंह यादव की बिदाई इतना आसान नहीं, क्योंकि भोर सिंह यादव के लिए राजधानी रांची की जनता, रांची की सड़कों पर उतरने के लिए तैयार है, कुछ युवा शक्तियां तो अभी से आंदोलन के मूड में है...
इसलिए भोर सिंह यादव जी, बधाई आपको, रांची की जनता आपके साथ, तो फिर डर किस बात का...
लगे रहिये और असामाजिक तत्वों को उनकी औकात बताते रहिये...
हमारी ओर से ढेर सारी आपको शुभकामनाएं...
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